सुपार्श्वनाथ मंदिर में आचार्य सुंदरसागरजी महाराज ससंघ उत्साह, श्रद्धा व भक्तिभाव के साथ मनाया गया मोक्ष सप्तमी महोत्सव…. जिनवाणी सुनने की ललक जागृत होने पर हो जाएगा हमारा कल्याण – आचार्य सुंदरसागर महाराज

सुपार्श्वनाथ मंदिर में आचार्य सुंदरसागरजी महाराज ससंघ उत्साह, श्रद्धा व भक्तिभाव के साथ मनाया गया मोक्ष सप्तमी महोत्सव…. जिनवाणी सुनने की ललक जागृत होने पर हो जाएगा हमारा कल्याण – आचार्य सुंदरसागर महाराज

भीलवाड़ा(अमर छत्तीसगढ) 11 अगस्त। शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में रविवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में भगवान पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक दिवस मोक्ष सप्तमी महोत्सव मनाया गया। इस अवसर पर श्रद्धा एवं जिनशासन की भक्ति की भावना से ओतप्रोत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।

इस अवसर पर सुबह 6.15 बजे मंगलाष्टक,जिनाभिषेक शांतिधारा व निर्वाण काण्ड वाचन के बाद निर्वाण लड्डू चढ़ाया गया। सुबह 8.15 बजे से प्रवचन में आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने कहा कि आत्मा से वितराग बनने का धर्म जिनशासन है। जिनशासन पहले करता है फिर बोलता है। यह क्षत्रियों का धर्म है कायरों का नहीं है।

जिस दिन हमारे मन में जैन कुल में जन्म लेने के बाद कुव्यसनों का त्याग कर जिनवाणी सुनने की ललक जागृत हो गई उस दिन हमारा कल्याण हो जाएगा। कल्याण की कामना रखते है तो स्वयं को कषाय मुक्त बनाना होगा। हमारा मन पवित्र व पावन हुआ तो कर्मो की निर्जरा भी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भगवान पार्श्वनाथ मोक्ष कल्याणक दिवस पर धन्य है वह जीव जो आज सम्मेदशिखरजी की वंदना कर रहे होंगे। यहां पर भी सभी साधु परमेष्टि जो अरिहन्त बनने वाले है उनकी वंदना कर रहे है।

भगवान पार्श्वनाथ ने अपने घातीय कर्मो को नष्ट कर अपना कल्याण किया। आचार्यश्री ने कहा कि अंदर की कषाय हमारी शत्रु है इनको जीतो ओर जिनवाणी का अध्ययन व साधु संतों की संगति कर आत्मकल्याण करो। अनंतानुबंधी कषाय अनंत संसार व मिथ्यात्व को बांधती है जो जिनवाणी श्रवण ओर भगवान का बोध करने से रोकता है।

कषाय छोड़ने पर आत्मा को चौथे गुणस्थान की प्राप्ति हो जाएगी ओर मोक्ष का परमिट मिल जाएगा। इससे पूर्व प्रवचन में श्री सुधीर सागर महाराज ने कहा कि मनुष्य दुःख से बचना चाहता है ओर इसके लिए सदा प्रयत्नशील भी रहता है। उपाय बताने वाले उपकारी साधु संत होते है। हमारी आत्मा के अलावा हमारा कोई नहीं है ऐसे में हमेशा दूसरों की सुनने की बजाय अपनी आत्मा की आवाज सुनने का प्रयास करना चाहिए। है।

सांयकालीन धर्म कक्षा में आर्यिका सुलक्ष्यमति माताजी ने तत्वार्थ सूत्र के छठे अध्याय आश्रव तत्व के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि मनुष्य आयु व देव आयु का बंध कब और कैसे होता है। श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि सभा में शकुन्तलादेवी नंदलाल सुरेश कोठारी परिवार, गुणमाला पंकज बड़जात्या परिवार, जयकुमार कोठारी, राजेन्द्र जैन, महेन्द्र सोनी, राजेन्द्र बाकलीवाल, निर्मल जैन (रोजेट स्कूल) का चातुर्मास में मंगलकलश पुण्यार्जक बनने पर समाज द्वारा स्वागत अभिनंदन करते हुए इस पुनीत कार्य के लिए हार्दिक अनुमोदना की गई। कार्यक्रम में मंगलाचरण राजेन्द्र जैन ने किया। ,

दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण डॉ. पुनीत जैन, जयकुमार कोठारी, राजेन्द्र बाकलीवाल, महेन्द्र सोनी एवं बाहर से पधारे अतिथियों द्वारा किया गया। मोक्ष सप्तमी पर उपवास तप की आराधना करने वाली बालिकाओं की समाज द्वारा अनुमोदना करते हुए उनकी तपस्या सआनंद पूर्ण होने की मंगलकामना की गई। संचालन पदमचंद काला ने किया। महावीर सेवा समिति द्वारा बाहर से पधारे अतिथियों का स्वागत किया गया।

मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि मोक्ष सप्तमी महोत्सव के तहत दोपहर 1.15 बजे मंदिर में पार्श्वनाथ विधान सामूहिक पूजा का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में भक्तगण शामिल हुए। शाम 6.15 बजे से शंका समाधान सत्र एवं शाम 7.15 बजे से आर्यिका सुलक्ष्यमति माताजी के मंगल सानिध्य में विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।

Chhattisgarh