हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ) 11 अगस्त। जिनशासन के प्रति श्रद्धा व भक्ति से ओतप्रोत अद्भुत नजारा रविवार को मोतियों की नगरी हैदराबाद में ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में उस समय प्रस्तुत हुआ जब 18 दिवसीय पुण्यकलश आराधना तप करने वाले तपस्वियों की अनुमोदना में सैकड़ो श्रावक-श्राविकाओं के दोनों हाथ उपर उठे। विशाल सभागार भी जनसैलाब के समक्ष छोटा प्रतीत हो रहा था। हर तरफ तपस्वियों के जयकारे गूंजायमान हो रहे थे। करीब 180 श्रावक-श्राविकाएं 18 दिवसीय पुण्यकलश आराधना कर रहे है।
पुण्यकलश आराधक तपस्वियों का श्रीसंघ के तत्वावधान में भव्य धर्म शोभायात्रा (वरघोड़ा) निकाल अभिनंदन किया गया। शोभायात्रा धर्मसभा स्थल पर पहुंची तो श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में सभी तपस्वियों की अनुमोदना की गई। पूज्य समकितमुनिजी ने कहा कि तपस्वियों के प्रति मन में कितनी श्रद्धा भक्ति होती है इसका नजारा आज पेश हुआ है।
इससे पता चलता है। तप त्याग के आदर से बड़ा ओर कुछ नहीं होता है। उन्होंने कहा कि रसेन्द्रिय का त्याग बहुत कठिन होता है लेकिन तपस्वियों के कारण ही आज ग्रेटर हैदराबाद संघ में तप की बहार है। तपस्या कर्म निर्जरा का सशक्त माध्यम है। मुनिश्री ने कहा कि पाप करने के सीमित रास्ते यानि 18 रास्ते ही है लेकिन पाप भोगने के रास्ते अनगिनित है। इनमें से करोड़ो रास्ते तो बीमारियों से खुलते है।
पुण्य कलश आराधक तपस्वियों की शोभायात्रा निकालने का उद्ेश्य उस देख लोगों के मन में भावना जगे कि ये क्यों हो रहा है ओर उनकी भी उनसे जुड़ने के भाव बने। धर्म कार्य में जो होता है वह फालतू नहीं प्रभावना होती है। तपस्या नहीं कर सकते है तो उसकी अनुमोदना तो कर ही सकते है। मुनिश्री ने कहा कि जब पुण्य कलश आराधना शुरू की थी तो तभी नहीं सोचा था ऐसा अद्भुत तप-भक्ति का नजारा होगा। ये सब श्रीसंघ के समर्पित पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की मेहनत से संभव हुआ है।
पुण्य कलश आराधना की पूर्णाहुति पर 14 अगस्त को सामूहिक पारणे होने के साथ श्रीसंघ की ओर से बाहुमान किया जाएगा। गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘हम आए है गुणगान करने’’ की प्रस्तुति दी। प्रवचन में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा। धर्मसभा में चैन्नई से आए गुरू दर्शन संघ के करीब 250 श्रावक-श्राविकाएं तीसरे दिन भी मौजूद रहे। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के मंत्री पवन कटारिया ने किया।
ग्रेटर हैदराबाद में पहली बार देखा तप अनुमोदना का ऐसा नजारा
पुण्यकलश आराधक तपस्वियों की शोभायात्रा (वरघोड़ा) में शामिल होने के लिए ग्रेटर हैदराबाद के विभिन्न क्षेत्रों से सैकड़ो श्रावक-श्राविकाएं पहुंचे थे। तपस्वियों को विशेष रूप से तैयार बग्गियों में बिठाया गया था। ग्रेटर हैदराबाद क्षेत्र की सड़कों पर जिनशासन भक्ति का अनूठा नजारा था। शोभयात्रा कार्यक्रम स्थल पहुंचने से पूर्व जिन-जिन मार्गो से गुजरी देखने वाले नजारा देख चकित होते गए ओर एक-दूसरे से पूछते रहे ये क्या हो रहा है। इतने तपस्वी एक साथ कभी नहीं देखे।
शोभायात्रा में बैण्ड की मधुर भक्तिमय स्वरलहरियों की गूंज के साथ तपस्वियों के सम्मान में जयकारे भी निरन्तर लग रहे थे। विशेष बात यह भी थी कि बैण्ड कोई प्रोफेशनल नहीं होकर जैन धर्म के ही बच्चों द्वारा संचालित थे। बैण्ड संचालन संभाल रहे श्री पार्श्व भैरव मण्डल व श्री वीर सूरी मण्डल के सदस्य बच्चों का ग्रेटर हैदराबाद संघ द्वारा अनुमोदना करते हुए स्वागत किया गया।
देशभर से तपस्वी हैदराबाद पहुंचे थे पुण्यकलश आराधना करने
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में 27 जुलाई से 18 दिवसीय पुण्यकलश आराधना करने वालों में केवल हैदराबादवासी ही नहीं बल्कि देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए श्रावक-श्राविकाएं भी शामिल थे। आराधना करने वाले करीब 180 तपस्वियों में लगभग 70 तपस्वी जैन संस्कृति सेवा केन्द्र पूना की प्रेरणा से पूना व आसपास के क्षेत्रों से आए थे।
पुण्यकलश आराधना करने आई पूना की 6 श्राविकाओं ने अठाई या उससे बड़ी तपस्या कर ली है तो कई पुण्यकलश आराधक तेला तप भी कर चुके है। पुण्यकलश आराधना का समापन 18 अगस्त को होगा। पूना से आई तपस्वी प्रीतम पारख व सरला भंसाली ने विचार व्यक्त करते हुए तपस्वियों के लिए श्रेष्ठ सेवाएं देने पर काचीगुड़ा संघ का आभार जताया।
निरन्तर प्रवाहित हो रही तपस्या की गंगा
प्रवचन के दौरान रविवार को अनुमोदना के जयकारो की गूंज के मध्य सुश्रावक अनिल सुराणा ने 11 उपवास एवं सुश्रावक महेन्द्र लुणावत ने 9 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए।
अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित 15 दिवसीय चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप भी गतिमान है। तप के नवें दिन 7 द्रव्य मर्यादा रही। प्रतिदिन एक-एक द्रव्य मात्रा कम होते हुए अंतिम दिवस 17 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
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