सिलीगुडी (अमर छत्तीसगढ़) 12 अगस्त।
प्रवचन में मुनिश्री डॉ ज्ञानेंद्र कुमारजी ने आज गोचरी विषय के बारे में श्रावको को जानकारी प्रदान की ।उन्होंने बताया कि गोचरी की विधि क्या है, कैसे गोचरी की भावना भानी चाहिए, गोचरी कौन ले सकता है। सिर्फ जैन धर्म मे ही इस विधि को गोचरी कहा गया है ।गोचरी शुद्ध भाव के साथ करानी चाहिए।
मुनिश्री ने इस विषय पर बहुत ही महत्वपूर्ण बातों के बारे में जानकारी प्रदान की इससे पूर्व मुनिश्री पदम कुमार ने एक गीतिका का संगान किया और उन्होंने दुलीचंद श्रावक की तरह हम सब को संघ और संघपति के प्रति समस्त साधु संतों के प्रति गहरी निष्ठा रखनी चाहिए, मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न किया गया।
समाचार प्रदाता – मदन संचेती