कुंए के मेंढक बन धारणाएं नहीं बदलने से हो जाते अच्छी बातो ओर अच्छे व्यक्तियों से वंचित….. सोच कमियां देखने वाले दुर्योधन जैसी मत बनाओं, मन से गलतफहमियां मिटाओ-समकितमुनिजी

कुंए के मेंढक बन धारणाएं नहीं बदलने से हो जाते अच्छी बातो ओर अच्छे व्यक्तियों से वंचित….. सोच कमियां देखने वाले दुर्योधन जैसी मत बनाओं, मन से गलतफहमियां मिटाओ-समकितमुनिजी

ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में चातुर्मासिक प्रवचन

हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 13 अगस्त। हमे किसी की कमी देखने की आदत लग जाती है तो सामने वाले में कितने भी गुण हो नजर नहीं आते है। ऐसी सोच वाले लोगों को ही दुर्योधन कहते जिनको कभी सद्गति प्राप्त नहीं हो सकती। दुर्योधन की सोच दूसरों में कमी देखने की थी। जिसको सामने वाले के अंदर अच्छाई या बुराई जो चाहिए वह उसे ढूंढ ही लेता है। परमात्मा महावीर में गौशालक को कमी ही नजर आती थी जबकि गौतमस्वामी को उनकी अच्छाईयां व गुण ही नजर आते थे। जहां हमारी दृष्टि सही नहीं रहती वहीं गड़बड़ी शुरू हो जाती है। हमारा गलत नजरिया आखिर में हमारे लिए ही गलत साबित होता है।

ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में मंगलवार को चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गलतफहमियों से ही गलतफहमियां निकलती है। कई बार गलतफहमी किसी के प्रति अहोभाव कम कर दूरियां बढ़ा देती है। हम किसी के व्यवहार से सहज महसूस नहीं कर रहे है तो मन से ही पूर्वानुमान लगा उसमें ही खोए रहते जबकि इस बारे में उससे संवाद करना चाहिए।

संवाद व बात होने पर हम भीतर से खाली होते जाएंगे। हमेशा मर्यादा में रहते हुए अपनी बात रख न कि निर्णय सुना दे कि यह तो ऐसा है। मुनिश्री ने कहा कि पूर्वाग्रह ओर गलतफहमियां पालने से सामने वाला हमारे लिए अच्छा भी करे तो विश्वास नहीं होता क्योंकि हम यह सोच चुके होते है कि वह तो ऐसा कर ही नहीं सकता।

जब गलतफहमियां दूर होती है तो फिर अफसोस ही रह जाता है। हम कुएं के मेंढक ही बने रहकर अपनी धारणाओं को बदलना ही नहीं चाहते इससे कई बार अच्छी बातो ओर अच्छे व्यक्तियों से भी वंचित रह जाते है। हम जिनसे कभी मिले नहीं, बात की नहीं या सुना नहीं उनके बारे में भी धारणा बना लेने से स्वयं वंचित रहने के साथ दूसरों को भी वंचित कर देते है। इससे आपस में मतभेद व मनभेद बढ़ते ही चले जाते है।

स्नान में जल उपयोग की मर्यादा रखने का दिलाया संकल्प

प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने प्रवचन में पानी बचाने की प्रेरणा देेते हुए कहा कि हम पानी उपयोग की मर्यादा तय करनी है। उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं को संकल्प कराया कि हम स्नान करने में पांच-सात लीटर पानी से अधिक का उपयोग नहीं करेंगे। अभी स्नान 15 लीटर की बाल्टी भरकर करते है तो हम पांच-सात लीटर की बाल्टी काम में लेनी है या फिर उस बाल्टी को करीब आधा भी भरकर स्नान करना है।

एक स्नान में पांच-सात लीटर पानी बचता है तो हम ऐसा करके कितना पानी बचा पाएंगे यह सोच सकते है। उन्होंने कहा कि स्नान में जल उपयोग की मर्यादा रख हम भविष्य में जल संकट से बचने में सहायक बनने के साथ असंख्य जीवों की विराधना भी कम कर पाएंगे। गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘गुरू चरणों में श्रद्धा से अगर सिर झुक गया होता’’ की प्रस्तुति दी।

प्रवचन में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा। प्रवचन में मुंबई, कोलकात्ता, भीलवाड़ा आदि स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाओं ने भी दर्शन-वंदन का लाभ प्राप्त किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।

तपस्याओं की लगी होड़,तपस्वी सम्मान के लिए तप की बोली

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में एतिहासिक चातुर्मास के दौरान तप साधना की होड सी लगी है। पर्युषण से पहले ही तपस्याओं की बहार छाई हुई है। तेला, अठाई या उससे बड़ी तपस्या भी खूब हो रही है। तपस्वियों का सम्मान भी तप की बोली के माध्यम से ही श्रीसंघ द्वारा किया जा रहा है। प्रवचन के दौरान मंगलवार को हर्ष-हर्ष, जय-जय जैसे अनुमोदना के जयकारो की गूंज के मध्य सुश्रावक अनिल सुराणा ने 13, महेन्द्र लुणावत ने 11 एवं सुश्राविका विभा कटारिया ने 8 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।

समकितमुनिजी ने सभी तपस्वियों के प्रति मंगलभावनाएं व्यक्त की। कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए। अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित 15 दिवसीय चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप भी गतिमान है। तप के 11वें दिन 5 द्रव्य मर्यादा रही। प्रतिदिन एक-एक द्रव्य मात्रा कम होते हुए अंतिम दिवस 17 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा।

पुण्यकलश तप आराधना का शिखर दिवस मनाया

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में 27 जुलाई से आयोजित 18 दिवसीय पुण्यकलश आराधना बुधवार को शिखर दिवस पर विधिविधान के साथ पूर्ण हुई। प्रवचन के बाद आराधना सम्पन्न होने पर विधि पूर्वक कलश समर्पित किए गए। इसके तहत आराधकों ने एक दिन उपवास एक दिन बियासना की साधना करते हुए अंतिम दिन उपवास की साधना की। पुण्यकलश आराधकों का सामूहिक पारणा एवं बहुमान 14 सितम्बर सुबह ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में होगा। हैदराबाद सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए करीब 180 आराधकां यह आराधना कर रहे है। इनमें पूना,नासिक,ओरगांबाद आदि स्थानों से आए कई आराधक भी शामिल थे।

श्रवण कुमार चारित्र का वाचन स्वाधीनता दिवस से

स्वाधीनता दिवस पर 15 अगस्त को सुबह 8.15 बजे पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में ध्वजारोहण किया जाएगा। इसके माध्यम से देश को आजादी दिलाने वाले शहीदों को नमन किया जाएगा। इसके बाद सुबह 8.30 से 9.15 बजे तक प्रवचन होंगे।

स्वाधीनता दिवस से ही प्रवचन में श्रवण कुमार चारित्र का वाचन शुरू होगा जो 18 अगस्त तक जारी रहेगा। समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा ने सभी श्रावक-श्राविकाओं से परिवार सहित इस प्रवचनमाला का लाभ लेने की प्रेरणा दी।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

Chhattisgarh