श्रद्धा भक्ति के साथ मनाई गई लोकमान्य संत पूज्य रूपचंदजी म.सा. की छठी पुण्यतिथि
अम्बाजी(अमर छत्तीसगढ),13 अगस्त। मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा. की 134वीं जयंति एवं एवं लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की 97वीं जयंति के उपलक्ष्य में सप्त दिवसीय गुरू द्वय पावन जन्मोत्सव कार्यक्रम का आगाज मंगलवार को सजोड़ा नवकार महामंत्र जाप के साथ हुआ। इ
स अवसर पर पूज्य गुरूदेव लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंदजी म.सा. की छठी पुण्यतिथि पूज्य दादा गुरूदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी म.सा., लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान, वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्रीरूपचंदजी म.सा. के शिष्य, मरूधरा भूषण, शासन गौरव, प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव श्री सुकन मुनिजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती युवा तपस्वी श्री मुकेश मुनिजी म.सा आदि ठाणा के सानिध्य में श्री अरिहन्त जैन श्रावक संघ अम्बाजी के तत्वावधान में अंबिका जैन भवन में श्रद्धा व भक्तिभाव के साथ मनाई गई।
पुण्यतिथि पर गुणानुवाद करते हुए मुकेशमुनिजी म.सा. ने कहा कि लोकमान्य संत शेरे राजस्थान वरिष्ठ प्रवर्तक पूज्य गुरूदेव रूपचंदजी म.सा. का जीवन मानव सेवा व जीवदया के लिए समर्पित रहा।
करूणा व स्नेह की प्रतिमूर्ति गुरूदेव के गुणों को चंद शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। चेहरे पर सोम्यता व जीवन में सरलता रखने वाले शेरे राजस्थान रूपमुनिजी म.सा. मरूधरा की शान थे जिन पर आज पूरा भारतवर्ष नाज करता है। नाड़ोल की धरती पर जन्म लेने वाले मरूधरा के महान सपूत रूपचंदजी म.सा. का पूरा जीवन मानवता के लिए समर्पित रहा।
उन्हें लोग अलग-अलग नामों से भले पुकारे हर नाम से असीम श्रद्धा, भक्ति व आस्था जुड़ी हुई है। जिनशासन के महान आराधक पूज्य गुरूदेव ने भगवान महावीर के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने के साथ उन्हें जन-जन तक पहुंचाया। उन्होंने नवकार महामंत्र की महिमा बताते हुए कहा कि इसका जाप आत्मा को पापों से मुक्त कराता है ओर सभी पाप कर्मबंध नष्ट हो जाते है।
सभा में सेवारत्न हरीशमुनिजी म.सा. ने कहा कि जीव मात्र के प्रति करूणा व मैत्री भाव रखने वाले पूज्य गुरूदेव रूपचंदजी म.सा. की कथनी व करनी में कभी अंतर नहीं रहा। उन्होंने जो कहा वह करके दिखाया ओर हमेशा समाज के लिए पथ प्रदर्शक बने। उन्होंने कहा कि गुरूदेव की प्रेरणा से आज 160 से अधिक गौशालाएं संचालित हो रही है तो कई स्थानों पर उनकी प्रेरणा से पशुबलि बंद होने से मूक पशुओं की जिंदगियों की रक्षा हुई।
उन्होंने मानव जाति व जीव दया के लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने गौशालाओं के माध्यम से जीव दया के क्षेत्र में जो कार्य किया उससे लाखों पशुओं की सेवा हुई। साधना के ऐसे शिखर पुरूष को उनकी पुण्यतिथि पर हम सभी नमन-वंदन करते है। उन्होंने कहा कि रूपचंदजी म.सा. के पास निराश होकर आने वाला व्यक्ति हमेशा मुस्कराते हुए अपनी समस्या का समाधान लेकर लौटा।
धर्मसभा में मधुर व्याख्यानी श्री हितेश मुनिजी म.सा. ने कहा कि पूज्य गुरूदेव रूपचंदजी म.सा. के जितने गुणगाण करे कम है। उन्होंने जीव दया का भाव रखने, पशु बलि रोकने, मानव सेवा करने, मूक पशुओं की सेवा करने व जैन आगम व धर्म को निरन्तर आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया। हम भी गुरूदेव से प्रेरणा लेकर इन कार्यो को आगे बढ़ाते हुए जिनशासन की प्रभावना कर सकते है। उनके जीवन का कण-कण हमारे लिए प्रेरणादायी व पथ प्रदर्शक है।
हम उनके जीवन का अनुसरण करते हुए सद्कर्म व पुण्यकार्य करें तो विपरीत परिस्थितियां भी अनुकूल बन जाएगी। हम सभी को उनके जीवन का गुणानुवाद करने के साथ उनके गुणों को अपने जीवन में भी अपनाना है। धर्मसभा में प्रार्थनार्थी सचिन मुनिजी म.सा. ने कहा कि ज्ञान, दर्शन, चारित्र की आराधना में जीवन समर्पित करने वाले पूज्य गुरूदेव रूपचंदजी म.सा. जैसे महापुरूष जीवन के हर क्षेत्र में कीर्तिमान कायम करते है। उपकार की भावना से हर पल जिनशासन की सेवा में समर्पित रहे।
उन्होंने कहा कि पूज्य गुरूदेव को जब हम स्मरण करते है तो उनकी तप आराधना स्वतः हमारे सम्मुख आ जाती है। हम उनके गुणों का स्मरण करने तक ही सीमित नहीं रहे बल्कि उन गुणों में से किसी एक को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करें तो हमारा स्मृति दिवस मनाना सार्थक होगा। धर्मसभा में युवा रत्न श्री नानेश मुनिजी म.सा. का भी सानिध्य रहा।
श्रावक-श्राविकाओं ने किया सजोड़ा नवकार महामंत्र जाप
लोकमान्य संत पूज्य प्रवर्तक पूज्य रूपचंदजी म.सा. की छठी पुण्यतिथि के अवसर पर सजोड़ा नवकार महामंत्र जाप का आयोजन किया गया। जाप पूज्य हितेशमुनिजी म.सा. ने कराया। नवकार महामंत्र जाप में बड़ी संख्या में अम्बाजी व आसपास के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं शामिल हुए। कई श्रावक सामायिक वेश में तो श्राविकाएं चुंदड़ पहनकर जाप में शामिल हुई। द्वय गुरूदेव जयंति के उपलक्ष्य में तेला तप की आराधना के तहत कई श्रावक-श्राविकाओं ने तेला तप के प्रत्याख्यान लिए।
धर्मसभा में कई श्रावक-श्राविकाओं ने आयम्बिल, एकासन, उपवास तप के प्रत्याख्यान भी लिए। धर्मसभा में अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ के द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन गौतमकुमार बाफना ने किया। चातुर्मासिक नियमित प्रवचन सुबह 9 से 10 बजे तक हो रहे है। चातुर्मास अवधि में प्रतिदिन दोपहर 2 से 4 बजे तक का समय धर्मचर्चा के लिए तय है।
द्वय गुरूदेव जयंति समारोह के तहत कल शांति जाप एवं भक्ति संध्या
द्वय गुरूदेव जयंति महोत्सव के सप्त दिवसीय आयोजन के तहत दूसरे दिन बुधवार 14 अगस्त को सुबह 9 बजे शांति जाप एवं रात 8 बजे से भक्ति संध्या का आयोजन होगा। मुख्य समारोह का आयोजन 15 अगस्त को अंबाजी में दांता रोड स्थित भगवती वाटिका में होगा।
इस समारोह में देश के विभिन्न क्षेत्रों से गुरू भक्त भी शामिल होंगे। इस आयोजन को सफल बनाने के लिए श्रीसंघ की ओर से व्यापक तैयारियां की जा रही है। सप्त दिवसीय आयोजन के तहत 16 अगस्त को पैसठिया मंत्र का जाप, 17 को णमोत्थुण जाप, 18 को गुरूी मिश्री जाप एवं 19 अगस्त को पूज्य बुधमलजी म.सा. की जयंति पर नवकार मंत्र का जाप होगा।
प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन, भीलवाड़ा, मो.9829537627