रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 15 अगस्त। स्थानीय पुजारी पार्क के मानस भवन में पिछले 25 दिनों से चल रहे नियमित प्रवचन का लाभ प्रतिदिन सैकड़ो महिला पुरुष बच्चे दिन में दो बार मांगलिक पाठ शीतल राज मुनि से प्राप्त कर रहे हैं । वहीं महाराज के आदेश, निर्देश, मार्गदर्शन, सानिध्य का व्यापक असर एक अनुशासन में आज दिखा । लगातार मासक्षमण करने वाली दुर्ग की श्रीमती किरण संचेती जिनके संवर स्वाध्याय के साथ सेवा भाव का एक अलग स्थान धर्मलंबियों के दिलों में बनाया है ।

चातुर्मास लाभार्थी संचेती परिवार के दीपेश संचेती की परिवार प्रमुख श्राविका श्रीमती मोहनी बागरेचा को विशेष सम्मान बहुमन किया गया । सम्मानित श्रीमती किरण संचेती ने अपनी सेवा भाव धर्म ज्ञान की प्रस्तुति दी। उपस्थित महिलाओं ने उनके सम्मान बहुमान में अनुमोदन गीत की प्रस्तुति दी। शीतलराज मसा ने उन्हें पचखान के साथ आशीर्वाद दिया । आज भी बड़ी संख्या में रात्रि संवर करने वालों का बहूमान सम्मान चातुर्मास लाभार्थी संचेती परिवार ने किया।

आज के प्रवचन अनुशासन का विहंगम दृश्य देखे सभी प्रसन्न थे । वही भोजनशाला से भी जूठन छोड़ने वाली संख्या क्षीण रही । बड़ी संख्या में उपस्थित जनों को प्रवचन लाभ देते हुए शीतल राज मुनि ने मोक्ष मार्ग कर्म बंधन, अहिंसा, पुण्य वानी, मन, वचन, काया, भटकता मन, महापुरुषों के मार्गदर्शन, दया करुणा का सोदाहरण उल्लेख करते हुए कहा संवर सामायिक क्रियाएं भावो को शुद्ध करने का एक सुंदर निमित्त है । हम सब आज से संकल्प करेगी हम बार-बार सामायिक करेंगे तथा वह भी भगवान महावीर द्वारा प्रशंसित पुणिॅया श्रावक जैसी सामायिक करेंगे।
इससे शारीरिक मानसिक कष्टो से मुक्ति मिले। कहा भगवान महावीर वाणी भव्य जीवो को मार्ग बताने के लिए संसार में भटकना छोड़ ज्ञान प्राप्त कर मोक्ष मार्ग पर निकले। संसार में कुछ भी प्राप्त करना है तो कुछ छोड़ना होगा । महापुरुषों ने खाली उपदेश नहीं दिया, पहले स्वयं ने त्याग तपस्या, मोक्ष मार्ग पर चलते हुए सभी इंद्रियों से संसारी जीवन के ज्ञान प्राप्ति के साधन को समझा ।

शब्द, रूप, गंघ, स्वाद, स्पर्श को जाना वैसे भी वह लोग बहुत पुण्यशाली एवं किस्मत वाले हैं जिन्हें पांच इंद्रियों प्राप्त है । इसमें भगवान की वाणी सुनो, भजन स्तवन सुनो, सद्गुण सुनो तो शुभ कर्म बंछते हैं । कर्म बंधन पर बोलते हुए शीतल राज मसा ने कहा सभी जीव मन, वचन, काया द्वारा कर्मबंधन करते रहते हैं। शुभ कर्म एवं अशुभ कर्म बंधते ही रहते हैं, शुभ कर्म से सुख मिलता है अशुभ कर्म से दुख देते है।
कर्म है तो हमें दिखना ही चाहिए। जैसे वृक्ष दिखता है पर बीज नहीं, बिना बीज के वृक्ष हो ही नहीं सकता। इसी प्रकार प्रसंग घटनाएं एवं संसार दिखता है उनके बीज कर्म में है, पर कर्म हमें नहीं दिखता। कर्मबंधन के कई कारण होते हैं कम आठ प्रकार के माने गए। इसमें अलग-अलग प्रकार का कर्मबंधन होता है, ज्ञान प्राप्ति में बाधक पांच बातों को ध्यान रखना चाहिए । भगवान महावीर के जीवो को मार्ग बताने ज्ञान प्राप्त करने मोक्ष के मार्ग पर निकले । संसार में किसी वस्तु को प्राप्त करना है तो कुछ छोड़ना पड़ेगा ।

आज पुजारी पार्क में पिछले एक माह से गुप्त मासखमण करने वाली श्रीमती किरण संचेती ने अपना पचखान पूरा किया । संवर वाले महिला पुरुषों की उपस्थिति भी रही। सभी का बहुमान संचेती परिवार प्रमुख दीपेश संचेती, प्रियंका संचेती कर रहे हैं। आगामी 18 अगस्त को दया दिवस में भाग लेने के लिए श्रावक श्राविक अपना नाम लिखा रहे हैं ।