ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में चार दिवसीय श्रवण कुमार चारित्र वाचन का दूसरा दिन
हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 16 अगस्त। आज की भागदौड़ भरी दुनिया के अजीब हालत है, हर खुशी है लोगों के दामन में पर हंसने के लिए वक्त नहीं है, दिन रात भागती दुनिया में खुद के लिए वक्त नहीं है। मां की लोरी का अहसास तो है पर मां को मां कहने का वक्त नहीं है, सारे रिश्तों को मार चुके अब दफनाने के लिए वक्त नहीं है। आंखों में नींद भरी पर सोने के लिए वक्त नहीं है,दिल जख्मों से भरा पर रोने के लिए वक्त नहीं है। तू ही बता जिदंगी ऐसी जिंदगी का क्या होगा हर पल मरने वालो को भी मरने के लिए वक्त नहीं है। यहीं हालात आज की दुनिया की हकीकत बन चुके है।
ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में शुक्रवार को चार दिवसीय श्रवण कुमार चारित्र वाचन के दूसरे दिन व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि माता-पिता के बिना भव्य जीव को मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती। परमात्मा होने के लिए मां की कोख से जन्म लेना जरूरी है। माता-पिता बड़े अरमानों से बच्चों को बड़ा करते है ओर उन्हें योग्य बनाते है पर देखा जाता है ऐसी कई संताने अच्छे जॉब के लिए माता-पिता को छोड़ने को तैयार हो जाती है। ऐसे माता-पिता के पास सब कुछ होने के बाद भी आखिरी समय में पड़ौसी ही काम आते है।
ज्यादा पढ़े लिखे कई बच्चों को अपने पिता का व्यवसाय भी पसंद नहीं आता ओर वह उस जमे हुए धंधे को छोड़ नौकरी के पीछे जाते है। समकितमुनिजी ने कहा कि आज भी ऐसी संताने है जो पूरे समर्पित भाव से अपने माता-पिता की सेवा कर उन्हें साता पहुंचा रहे है। जिन घरों में बड़ो का सम्मान नहीं होता ओर उनकी बात काटी जाती वह अपना पुण्य क्षय करते है। इस जिंदगी में उस वक्त बहुत पछतावा होता है जब समय अपने से अपनों को छीन लेता है।
जो भगवान यानि अपने माता-पिता के नहीं हो सके वह दुनिया में किसी के नहीं हो सकते। मुनिश्री ने कहा कि घर में माता-पिता मौजूद है तो उनकी सेवा अवश्य करे। उनके जाने के बाद अहसास होता है कि वह हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण थे। उन्होंने धर्मसभा में मौजूद श्रावक-श्राविकाओं को आंखे बंद कर अपने माता-पिता की छवि सामने लाकर जाने-अनजाने में हुई सभी गलतियों के क्षमा मांगने ओर ये महसूस करने की प्रेरणा दी कि आप हमारी हिम्मत थे, है ओर रहेेगे ओर हम आपसे सदा बहुत प्रेम करते रहेंगे।
गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन की प्रस्तुति दी। प्रवचन में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा। धर्मसभा में सूरत, मैसूर, बेंगलौर, गुड़गांव आदि स्थानों से आए श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद थे। अतिथियों का स्वागत ग्रेटर हैदराबाद संघ द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के मंत्री पवन कटारिया ने किया।
सुश्रावक सुराणा ने लिए 16 उपवास के प्रत्याख्यान
पूज्य समकितमुनिजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में एतिहासिक चातुर्मास के दौरान तप साधना की होड सी लगी है। प्रवचन के दौरान शुक्रवार को अनुमोदना के जयकारो की गूंज के मध्य सुश्रावक अनिल सुराणा ने 16 उपवास एवं विपिन बम्बोली ने 12 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।
श्री सुराणा के तपस्या की पचक्खावनी होने पर श्रीसंघ की ओर से सम्मान किया गया। कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।
चन्द्रकला तप करने वाले बच्चों का सम्मान रविवार को
अखिल भारतीय स्तर पर 13 वर्ष तक की उम्र के बच्चों के लिए आयोजित 15 दिवसीय चन्द्रकला द्रव्य मर्यादा तप अंतिम चरण में पहुंच गया है। तप के 14वें दिन शुक्रवार को 2 द्रव्य मर्यादा रही। तप के अंतिम दिवस 17 अगस्त को मात्र एक द्रव्य का ही उपयोग करना होगा यानि बच्चा पूरे दिन भोजन में एक द्रव्य से अधिक का उपयोग नहीं कर पाएगा। चन्द्रकला तप करने वाले जो बच्चें हैदराबाद क्षेत्र से है उनका रविवार 18 अगस्त को ग्रेटर हैदराबाद संघ की ओर से सम्मान किया जाएगा। गौरतलब है कि इस तप के लिए हैदराबाद सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों से 464 बच्चों ने ऑनलाइन पंजीयन कराया है।
सहयोग- निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
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