हाल ही में कोलकाता में एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुई बर्बरता ने पूरे देश को झकझोर दिया है। इस घटना के बाद कानून को सख्त बनाने और त्वरित न्याय की मांग हो रही है। लेकिन इसके साथ ही यह खबर भी आई है कि इस मामले में सेक्स रैकेट और संगठित अपराधों का लिंक हो सकता है, और गिरफ्तार किया गया व्यक्ति बस एक मोहरा था। हालांकि आरोपों की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन यह घटना हमें एक महत्वपूर्ण सबक देती है।
जब हम जल्दी न्याय की मांग करते हैं, जैसे हैदराबाद एनकाउंटर में हुआ, हम अक्सर असली समस्या को नजरअंदाज कर देते हैं। यह सोचने की जरूरत है कि क्या हम बस अपने गुस्से को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं, या सचमुच बदलाव चाहते हैं। द्रौपदी को भी अपने प्रतिशोध के लिए 13 साल इंतजार करना पड़ा था। यह उदाहरण बताता है कि हम त्वरित प्रतिशोध की बजाय, मानसिकता और समाज में गहराई से बदलाव की दिशा में काम करें।
हमारे देश में हर घंटे दो बलात्कार होते हैं। जब कोई घटना इतनी क्रूर हो जाती है कि वह हमारा पूरा ध्यान आकर्षित करती है, हमें उस पल का उपयोग मानसिकता बदलने के लिए करना चाहिए, न कि सिर्फ गुस्से को शांत करने के लिए।
शिक्षा प्रणाली का सुधार ही वास्तविक सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है। अगर हम आज से प्रयास शुरू करें, तो हमें एक दशक या अधिक में सकारात्मक बदलाव दिखाई देंगे। न्यायिक और पुलिस व्यवस्था में सुधार जरूरी है, लेकिन शिक्षा प्रणाली को तत्काल सुधार की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
हमें यह नहीं उम्मीद करनी चाहिए कि महिलाएं केवल हमले के समय भवानी बन जाएं और बाकी समय शांत और शर्मीली बनी रहें। यह दोहरे मानदंड हैं। हमें उनकी व्यक्तित्व को इतना साहसी और निर्भीक बनाना चाहिए कि कोई भी पुरुष उनकी ओर बुरी नज़र डालने से पहले दो बार सोचे, यह जानते हुए कि वह न केवल अपनी रक्षा कर सकती है बल्कि पलटवार करके उसे पराजित भी कर सकती है।
सच्चा न्याय त्वरित हिंसक प्रतिक्रियाओं से नहीं आता—यह महिलाओं को सशक्त बनाने और समाज को सुधारने से आता है। हमें लड़कियों को आत्म-विश्वास और शक्ति से लैस करना होगा, ताकि वे अपनी रक्षा कर सकें और समाज में अपनी उपस्थिति से पुरुषों को सोचने पर मजबूर कर सकें।
——‐—रश्मि जैन————————————————-
रश्मि जैन
छात्रा, बी. ए. एल एल. बी (इंदौर)
निवासी, ग्रीन गार्डन कॉलोनी, बिलासपुर