राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ) 18 अगस्त । भारतीय सनातन संस्कृति के सर्व सामाजिक पर्व परंपरा के पावन पर्व रक्षाबंधन के अतिशय महत्वा परिप्रेक्ष्य में नगर के संस्कृति विचार प्रज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी ने समसामयिक आह्वान, चिंतन में बताया कि मूलत: रक्षाबंधन सनातन संस्कृति-संरक्षण-संवर्धन का अनुपम महापर्व है।
सहज-सरल रूप में श्रावण मास पूर्णिमा तिथि पर बहनों द्वारा भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र-बंधन कर विषम परिस्थितियों में उनकी संरक्षा एवं उज्जवल -खुशहाल भविष्य की कामना की जाती है। उल्लेखनीय रूप से यह पर्व सदा-सर्वदा काल से संपूर्ण देश-धरती में परस्पर प्रेम, सदभाव, विश्वास, रक्षा, संबंधों की पवित्रता, त्याग, बलिदान,वीरता और अद्म्य साहस के उत्कृष्ट उदाहरण और जीवंत गाथाओं से जुड़ा हुआ है।
वस्तुत: श्रावण पूर्णिमा का रक्षाबंधन पर्व की महिमा-महत्ता असीम है। सर्व जन-गण में आपसी प्रेम-शांति-सद्भाव को बढ़ावा एवं परस्पर रक्षा-संरक्षा के लिए संकल्पित करने वाला यह महापर्व सभी को हमारी अखिल विश्व में अद्वितीय भारतीय सनातन संस्कृति की गौरवशाली परंपराओं को और अधिक सुदृढता से जीवंत बनाये रखने की अद्भुत अभिप्रेरणा भी देता है।
आइये पवित्र-प्रेम-विश्वास-संरक्षा की श्रेयस्कर चेतना जागृत करने वाले रक्षाबंधन पर्व के संदेश को समग्र रूप से महिला सम्मान रक्षा एवं संस्कृति संरक्षण-संवर्धन के लिए मन-प्राण आत्मसात करने हेतु संकल्पित हों। यही इस महापर्व का वर्तमान पीढ़ी के लिए श्रेष्ठ सार्थक संदेश है।
डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी