सामायिक स्वाध्याय का नया अध्याय गढ़ रहे है साधक, शीतलराज मसा के सानिध्य में

सामायिक स्वाध्याय का नया अध्याय गढ़ रहे है साधक, शीतलराज मसा के सानिध्य में

रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 20 अगस्त। जिन वचन पर श्रद्धा पर श्रद्धा रखने वाले जीव को पाप कर्म करना पड़े तो उसके दिल में ये बात खटकती है कि मैं संसार में हूं इसलिए पाप स्थानक का सेवन करना पड़ता है। मैं कब इस पाप से मुक्त होउंगा? पहले राजा महराजाओं के ह्दय में जिन वचन सुनने के बाद यह भाव उठता था कि इस राज वैभव के पिंजरे से मुक्ति मिले। यह राज वैभव एवं सुख कोई धर्म प्रवृत्ति नहीं, पाप प्रवृत्ति है। इस तरह के विलासी सुख की उपलब्धियों में भी इस तरह की जागृति वैराग्य भावना तथा चारित्र लेने की भावना की जागृति यह कोई सामान्य बात नहीं है।


गत तीन दिनों से स्थानीय पुजारी पार्क के मानस भवन में अपने प्रवचन में उल्लेखित पापों के अंशों के आधार पर शीतलराज मसा 18 तरह के होने वाले पापों में 11 पापों पर उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं बच्चों से कहा आप 11 पापों को क्रमवार बताओ तथा कल इसकी तैयारी कराएं। इस पर प्रवचन होगा।

18 पाप से कई प्रकार के अशुभ फल भोगने पड़ते है वैसे 18 में क्रमश:, जीव मारना, जीव हत्या, झुठ बोलना, चोरी, अब्रम्ह, परिग्रह (सामाग्री का संचय), क्रोध, मान, माया, लोभ, राग, द्रेष, कलह, कलंक, आरोप लगाना, चुगली, निंदा, सुख-दुख में आत्म नियंत्रण खोना, दंभ और झुठी श्रद्धा इत्यादि प्रमुख है। मोक्ष व तत्व है जिससे कभी कर्मों का नाश होता है तब आत्मा परमात्मा बनता है यही मोक्ष है। वैसे पुण्य के भी कई मार्ग है बड़ों के प्रति विनय का रखना प्रमुख।


उन्होंने आज सामायिक साधना स्वाध्याय पर बोलते हुए कहा सामायिक द्वारा पापों के आश्रव को रोककर संवर की आराधना कर सकते है तथा सामायिक काल में स्वाध्याय करने से पापों की निर्जरा भी होती है। समभाव की साधना सामायिक है। हम धीरे-धीरे जिंदगी को स्वाभाविक रुप से स्वीकार करने लगते है तथा प्रतिक्रिया करने से बचते है नये कर्मों का बंधन रुकने लगेगा।

मन वचन काया में मन को अशुभ से शुभ की ओर लाने का प्रयास करें मन को मोह माया से हटाने पुरुषार्थ करना पड़ता है। मन अशुभ में गया तो उसे तुरंत खींचकर बाहर लायें, दिन भर संवर की आराधना करें। गलत आश्रव रोकने का मार्ग है उन्होंने ग्यारह पापों के बाद शेष सात पापों में से चार पापों पर विशेष जानकारी दी। कहा निंदा अपनी करो, दुसरों की करना पाप है अपनी निंदा करो पश्चयाताप भी होगा। हम मिथ्या में रमे है।

जो आनंद दुसरों के गुणों को देखने में आता है साधक अपना सबसे बड़ा नुकसान करते है। अच्छा देखेंगे अच्छा होगा, बुरा देखोगे तो बुरा होगा। पर्यूषण पर्व भी आ रहा है। उन्होंने व्यक्ति अवगुणों में गुण भी निकाले। पर्यूषण पर्व आठ दिन का यह पर्व तीर्थंकरों के द्वारा दिखाए मार्ग पर चलने का याद दिलाता है। कहा भी गया है कि रोज व्रत करें, हिंसा व चोरी नहीं करें, झूठ नहीं बोले, साधर्मिक भक्ति करें, स्वयं के पापों का प्रायश्चित करना चाहिए।


आज बड़ी संख्या में तप तपस्वियोंं ने उपवास व अन्य आयंबिल, निवि, एकासना इत्यादि का पचखान लिया। वहीं 31 दिन का मासक्षमण करने वाले तपस्वी विजय संचेती ने आज अपना पारणा किया तथा पोरसी भी की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाज के लोग परिजन, मित्रगण, स्नेहीजन शीतल चातुर्मास समिति के पदाधिकारी, सदस्यों ने भाग लिया। चातुर्मास लाभार्थी संचेती परिवार के दीपेश संचेती, प्रियंका संचेती व परिजन भी उपस्थित रहकर तपस्यों का कल व आज बहुमान, सम्मान किया। आज भी सैकड़ों लोगों ने शीतलराज मसा का मंगलपाठ व मांगलिक ग्रहण करने उपस्थित रहे।

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