जीवन में स्व नियंत्रण श्रेष्ठ, घर,समाज में शकुनि का प्रवेश तो बर्बादी होना निश्चित…. सेवा तो बिना पद व कुर्सी के भी हो सकती, संघ-समाज में कुर्सी के चक्कर में बढ़ रहा राग द्धेष- समकितमुनिजी

जीवन में स्व नियंत्रण श्रेष्ठ, घर,समाज में शकुनि का प्रवेश तो बर्बादी होना निश्चित…. सेवा तो बिना पद व कुर्सी के भी हो सकती, संघ-समाज में कुर्सी के चक्कर में बढ़ रहा राग द्धेष- समकितमुनिजी

ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के तत्वावधान में चातुर्मासिक प्रवचन

हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 21 अगस्त। जो लायक नहीं वह नायक बन गया तो समय आने पर दुनिया की नजर में खलनायक बन जाता है। संघ समाज में कुर्सी के चक्कर में राग द्धेष, वैर भाव बढ़ रहा है ओर अपनो को ही दुश्मन बना रहे है। ऐसी कुर्सी मिल भी गई तो क्या कर पाएंगे। मन में भावना हो तो सेवा तो बिना पद व कुर्सी के भी हो सकती है। बात दुनिया की हो या हमारे संघ समाज की देख लो कुर्सी के लिए कितना छींटाकशी हो रही है। कुर्सी के चक्कर में जो नहीं करने योग्य है वह कार्य भी किए जा रहे है।

अभिमान की इस लड़ाई में नुकसान संघ समाज को झेलना पड़ रहा है। ये विचार बुधवार को श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए।

उन्होंने जैन समाज की कुछ प्रमुख संस्थाओं के हालात पर कटाक्ष करते हुए कहा कि किसको फिक्र कबीले का क्या होगा सब इस बात के लिए लड़ रहे सरदार कौन होगा। जिनका दायित्व संघ समाज में एकता का है वहीं आपस में लड़ रहे है जबकि जानते है समाधान झगड़े से नहीं संवाद से ही होगा। योग्य बनो कुर्सी अपने आप मिल जाएगी। बड़े बने है तो कार्य भी श्रेष्ठ करना सीखे। अच्छा कार्य करने पर छोटा होने पर भी श्रेष्ठ होंगे।

मुनिश्री ने कहा कि घर-समाज का हर सदस्य सेल्फ कन्ट्रोल(स्व नियंत्रण) में हो जाए तो दूसरों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। घर-समाज में शकुनि जैसो का प्रवेश होगा तो महाभारत होगी। ऐसी नौबत ही नहीं आए कि शकुनि को बुलाना पडे। ऐसे लोग परिवार हो या समाज उसकी सुख शांति छीन लेते है। हमेशा याद रहे शकुनि को बुलाना हमारे हाथ में है पर विदा करने में हमारे हाथ में नहीं है।

शुगर शरीर का ओर कषाय आत्मा का जख्म नहीं भरने देते

समकितमुनिजी ने कहा कि जरा सी बातों पर हमारा खून उबलने लगता है। जितना हम उबलते है अंदर से खाली होते जाते है। शुगर शरीर को ओर कषाय आत्मा को खोखला बना देती है। ये दोनों ही जख्म को भरने नहीं देते है। कषाय झगड़ो को जिंदा रखते है। स्व नियंत्रण नहीं होने पर कषाय फलते फूलते है तो खाने पर नियंत्रण नहीं होने से शुगर होता है। जो डैमेज शुगर से शरीर को होता है वहीं डैमेज कषाय से आत्मा का होता है। आत्मा को सुरक्षित रखना है तो कषाय अपने भीतर नहीं आने दे। धर्मसभा में गायनकुशल जयवन्त मुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘तेरा शुक्रिया है’’ की प्रस्तुति दी। प्रवचन में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. का सानिध्य भी रहा।

सावन-भादो को मौजमस्ती का माह बना क्यों गिरा रहे जिनशासन की गरिमा

प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि धर्म को जीवन का अभिन्न अंग बनाएंगे तब धर्म करने का आनंद आएगा। अभी हमने इसे फुरसत का खेल बना रखा है जब फुरसत मिल जाती है धर्म कर लेते है बाकी इस पर ध्यान ही नहीं देते। हमारी थोड़ी सी व्यस्तता बढ़ती है तो सबसे पहले धर्म करने को कैंसल करते है। धर्म के प्रति श्रद्धा की भावना जागृत होगी तो जिनवाणी सुनने, तपस्या करने व सत्संग का आनंद आएगा।

उन्होंने कहा कि जिनवाणी सुनना छूट जाए तो मन में अफसोस की भावना आनी चाहिए। यदि हम जिनवाणी के प्रति भी श्रद्धा नहीं रख सकते तो अपने नाम के पीछे जैन लगा क्यों जिनशासन की गरिमा गिराते है। सावन-भादो धर्म ध्यान व तप साधना के माह है लेकिन आज इनको भी मौजमस्ती व पिकनिक का समय मान लिया है। जैन धर्म किधर जा रहा चिंतन करना चाहिए।

तपस्या करने से बीमारी नहीं उनका समाधान होता है

प्रवचन के दौरान सुश्रावक राजेश कटारिया ने अठाई तप के प्रत्याख्यान लिए तो अनुमोदना के जयकारे गूंज उठे ओर समकितमुनिजी ने उनके प्रति मंगलभावना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि तपस्वी को देख मन में त्याग तपस्या करने की भावना जागृत होनी चाहिए। तपस्या करने से कोई बीमारी नहीं होती बल्कि कई बीमारियों का समाधान हो सकता। कई श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए। तपस्या की प्रेरणा के लिए डायमंड, गोल्डन व सिल्वर कूपन का वितरण भी किया जाएगा।

इसमें डायमण्ड कूपन में उपवास का अठाई तप, गोल्डन में एकासन की अठाई व सिल्वर कूपन में संवत्सरी का पोषध करना होगा। धर्मसभा में चित्तौड़गढ़ से अजीतजी नाहर, अशोकजी छाजेड़, चैन्नई से महावीरजी नाहर सहित विभिन्न स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं भी मौजूद थे।

अतिथियों का स्वागत ग्रेटर हैदराबाद संघ द्वारा किया गया। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के मंत्री पवन कटारिया ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है।

बियासना तप के साथ पांच दिवसीय प्रवचनमाला जुग जुग जियो कल से

पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में 22 से 26 अगस्त तक आशीर्वाद के महत्व पर पांच दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘जुग जुग जियो’ का आयोजन बियासना तप की आराधना के साथ होगा। प्रतिदिन प्रवचन के अंत में पांच मिनट की विशेष आराधना भी सम्पन्न कराई जाएगी। मुनिश्री ने कहा कि बियासना तप करके हम अपने मन के साथ काया को भी प्रसन्न कर सकते है। चातुर्मास में 28 से 31 अगस्त तक परिवार मे बेटी के महत्व को प्रदर्शित करने वाली प्रवचनमाला पापा की परी का आयोजन होगा।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

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