आचार्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में 16 जैनेश्वरी दीक्षार्थियों की गोद भराई सम्पन्न…. दीक्षार्थियों की वंदना कर लेना ये ही भावी सिद्ध होने वाले है- आचार्य सुंदरसागर महाराज

आचार्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में 16 जैनेश्वरी दीक्षार्थियों की गोद भराई सम्पन्न…. दीक्षार्थियों की वंदना कर लेना ये ही भावी सिद्ध होने वाले है- आचार्य सुंदरसागर महाराज

भीलवाड़ा(अमर छत्तीसगढ) , 22 अगस्त। शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में गुरूवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ससंघ के सानिध्य में 16 जैनेश्वरी दीक्षार्थियों की गोद भराई की रस्म सम्पन्न हुई। इनमें दिल्ली में दीक्षा लेने जा रहे पूज्य संत श्रमणाचार्य विर्मशसागर महाराज की संघस्थ विमर्शनुरागिनी बा.ब्र. विशु दीदी सहित 13 दीक्षार्थी एवं किशनगढ़ में आचार्य सुनीलसागर महाराज के मंगल सानिध्य में दीक्षा लेने जा रहे 3 दीक्षार्थी शामिल थे।

सभी 16 जिनेश्वरी दीक्षार्थियों की गोद भराई समाजजनों द्वारा की गई। दीक्षार्थियों ने पूज्य आचार्य सुंदरसागर महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्यश्री ने सभी के लिए मंगलभावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि वह अपने गुरू के निर्देशन में संघ-समाज की सेवा करे ओर प्रभु भक्ति व जिनवाणी का प्रसार करते हुए आत्मकल्याण कर मोक्ष मार्ग पर आगे बढ़े। मंगलाचरण राजेन्द्र जैन ने किया।

श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि गोदभराई श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति, सुपार्श्वनाथ जागृति मंच, सुपार्श्वनाथ सोशिल समिति, त्रिशला महिला मण्डल, ज्ञानवान महिला मण्डल, आदिनाथ महिला मण्डल, हाउसिंग बोर्ड बहु ग्रुप, वरिष्ठ नागरिक मंच, तिलकनगर समाज मुनि सेवा समिति सहित कई श्रावक-श्राविकाओं ने की।दीक्षार्थियों की गोद भराई के लिए भीलवाड़ा शहर के विभिन्न क्षेत्रों से बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविका सुपार्श्वनाथ पार्क पहुचे थे।

मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि सभी दीक्षार्थियों का समिति की ओर से मुकुट व श्रीफल भेंट कर बाहुमान किया गया। धर्मसभा स्थल तक सभी दीक्षार्थियों को बैण्डबाजे के साथ लाया गया। श्रद्धालु दीक्षा लेने जा रहे संयमी आत्माओं के जयकारे लगा रहे थे। धर्मसभा में पूज्य आचार्य सुंदरसागर महाराज ने कहा कि जिनशासन ही मोक्ष मार्ग बताने वाला है। इसमें कषायों का शमन करके आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त किया जाता है।

आवागमन एवं जन्ममरण से छुटकारा पाकर राग द्धेष, क्रोध, मान, माया, लोभ, मिथ्यात्व का विनाश करते हुए गुणों का प्रेक्टिकल अंगीकार का मार्ग बताया जाता है। इसके लिए गुरू के माध्यम से जैनेश्वरी दीक्षा वांछनीय है। दीक्षार्थियों को आत्मकल्याण के लिए गुरू का मार्गदर्शन आवश्यक है। आचार्यश्री ने कहा कि सम्यक दर्शन होने के साथ ही मोक्ष मार्ग शुरू हो जाएगा। मोक्ष मार्ग में साथ देने वाले को मुमुक्षु कहते है। हमारा गुणस्थान बढ़ाने वाला कोई नहीं है। हमे खुद पुरूषार्थ करना पड़ेगा।

दीक्षा देकर आचार्यश्री भी चले जाएंगे ओर देखने वाले भी चले जाएंगे। अकेले ही रहेंगे ओर अकेले ही पुरूषार्थ करना है। उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं से कहा कि इन दीक्षार्थियों की वंदना कर लेना ये ही भावी सिद्ध होने वाले है आगे वंदना नहीं कर पाओंगे। इन्हें देखकर यहीं भावना करते है कि हमारा भी मोक्ष मार्ग प्रशस्त हो। सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया।

संचालन पदमचंद काला ने किया। महावीर सेवा समिति द्वारा बाहर से पधारे अतिथियों का स्वागत किया गया। वर्षायोग के नियमित कार्यक्रम श्रृंखला के तहत प्रतिदिन सुबह 6.30 बजे भगवान का अभिषेक शांतिधारा, सुबह 8.15 बजे दैनिक प्रवचन, सुबह 10 बजे आहार चर्या, दोपहर 3 बजे शास्त्र स्वाध्याय चर्चा, शाम 6.30 बजे शंका समाधान सत्र के बाद गुरू भक्ति एवं आरती का आयोजन हो रहा है।

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