जब मन में ईर्ष्या के भाव जन्मते है तो दूसरों को बढ़ता नहीं देख पाते है….. मत रोको किसी के रास्ते, दुआएं चाहिए तो दूसरों की सफलताओं पर जलना छोड़ दो-समकितमुनिजी

जब मन में ईर्ष्या के भाव जन्मते है तो दूसरों को बढ़ता नहीं देख पाते है….. मत रोको किसी के रास्ते, दुआएं चाहिए तो दूसरों की सफलताओं पर जलना छोड़ दो-समकितमुनिजी

आशीर्वाद के महत्व पर पांच दिवसीय विशेष प्रवचनमाला जुग जुग जियो का आगाज

हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 22 अगस्त। मरने के बाद तो जलना ही है लेकिन शरीर जलने से पहले जलना छोड़ दो। जलते रहेंगे तो दुआएं पाने के रास्ते भी बंद कर रहे होंगे। किसी की कामयाबी पर जलकर हम खुद के लिए परेशानियों की दावत देते है। अशुभ सोचकर अपने भावों की विशुद्धि को मत जलाओ, जैसे-जैसे ये खाक होती गलत कार्य के लिए हम आगे बढ़ते है। बहुत बार इंसान ये जानते हुए भी कि वह जो कर रहा वह सही नहीं है फिर भी गलती कर जाता है। जब मन में ईर्ष्या के भाव जन्मते है तो दूसरों को बढ़ता नहीं देख पाते है। मन में गलत ख्यालात आने के बाद उनको मिटाना मुश्किल हो जाता है।

ये विचार गुरूवार को श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में आशीर्वाद के महत्व पर पांच दिवसीय विशेष प्रवचनमाला ‘जुग जुग जियो’ के पहले दिन व्यक्त किए। इस प्रवचनमाला के साथ कई श्रावक-श्राविकाएं बियासना तप की आराधना भी कर रहे है।

पूज्य मुनिश्री ने कहा कि एकन्द्रिय से पंचेन्द्रिय तक पांच दुकाने है जिनके सहारे अपना जीवन चलता है। इन दुकानों में निवेश निरन्तर चलता रहता है। पहला निवेश अभिहया के रूप में होता है यानि हमे किसी का रास्ता नहीं रोकना है। जब-जब हम किसी का रास्ता रोकने का प्रयास कर रहे है इन पांचों दुकानों में नेगेटिव एनर्जी निवेश कर रहे है। जैसा निवेश करेंगे रिर्टन तो वैसा ही मिलेगा। अभिहया सभी इन्द्रियों की होती है इसलिए इसकी विराधना से बचना चाहिए।

प्रज्ञामहर्षि डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि हमे दुआएं लेनी हो तो रास्ते रोक किसी की अभिहया मत करो सभी को आगे बढ़ने दो। अभिहया की विराधना कर दुआएं मिलने का मार्ग बंद करते है। इनके उपकार के बिना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा सकते। उपकार की भावना जन्मने पर आशीर्वाद मिलता जुग जुग जियो। उन्होंने कहा कि आजकल अधिकतर संघ-समाजों में भी अभिहया हो रही है यानि कोई कामयाब हो रहा हो तो उसे रोकने के लिए पूरा जोर विरोधी लगा देते है। ऐसा करके वह अपने लिए जो दुआएं मिल सकती थी उन्हें भी रोक देते है।

हम अपने स्वार्थ या मनोरंजन के लिए किसी को बंधक बनाते है तो भी हिंसा होती है। हमे किसी को भी बंधक नहीं बनाना है ओर सभी को आगे बढ़ने मार्ग देना है। शुरू में प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘जिनवाणी सुनकर अन्तरमन को खोलना’’ की प्रस्तुति दी। गायनकुशल जयवन्तमुनिजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ।

पर्युषण से पहले मुनिवृन्द ने कराए केश लोच

अष्ट दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व की आराधना एक सितम्बर से शुरू होगी। उससे पहले पूज्य समकितमुनिजी म.सा., भवान्तमुनिजी म.सा. व जयवंत मुनिजी म.सा. के गुरूवार को केश लोच सम्पन्न हुआ। लोच क्रिया मुंबई से आए सुश्रावक अतुल भाई ने सम्पन्न की।

समकितमुनिजी म.सा. ने कहा कि अतुल भाई एक माह अपने घर से दूर रहे संतों की लोच का कार्य कर बड़ी सेवा कर रहे है। वह ऐसी साताकारी लोच करते है कि सब संतों की इच्छा रहती है कि उनकी केशलोच इनके हाथों से हो। अतुल भाई अब तक करीब 7500 केश लोच कर चुके है। प्रवचन में श्रावक-श्राविकाओं ने उपवास, आयम्बिल, एकासन आदि तप के प्रत्याख्यान भी लिए। अतिथियों का स्वागत ग्रेटर हैदराबाद संघ द्वारा किया गया।

धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद श्रीसंघ के मंत्री पवन कटारिया ने किया। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन प्रवचन सुबह 8.40 से 9.40 बजे तक हो रहा है। चातुर्मास के तहत प्रतिदिन रात 8 से 9 बजे तक चौमुखी जाप का आयोजन भी किया जा रहा है। चातुर्मास में 28 से 31 अगस्त तक परिवार मे बेटी के महत्व को प्रदर्शित करने वाली प्रवचनमाला पापा की परी का आयोजन होगा।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

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