भौतिक सुख पूणवानी से प्राप्त होता है…. सामायिक द्वारा पापों के आश्रवो को रोककर संवर की आराधना कर सकते – शीतल राज मसा

भौतिक सुख पूणवानी से प्राप्त होता है…. सामायिक द्वारा पापों के आश्रवो को रोककर संवर की आराधना कर सकते – शीतल राज मसा

रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 26 अगस्त। शीतल राज मुनि श्री ने आज अपने नियमित प्रवचन में कहा 9 तत्वों, अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव और बंधन को छोड़ें । पुण्य करो पर आसक्त न बनो क्योंकि यह भी बंधन होने की वजह से छोड़ने योग्य है। संवर निर्जरा मोक्ष को अपनाओ । उन्होंने उपस्थित साधकों से 18 पापों नौ तत्वों की जानकारी लेते हुए कहा इसे याद रखें। 18 तरह पापों से जीव को 82 प्रकार के अशुभ फल भोगने पड़ते हैं। उपस्थित जनों ने 18 पापों नौ तत्वों को गिनाया। तथा म सा ने सोदाहरण जुड़े बिंदुओं पर जानकारी दी ।

समता भाव भी निर्जरा का कारण है, समता भाव रखने कर्म करें, कर्म भी नहीं होंगे तो स्वाध्याय करते हुए ध्यान, ज्ञान को जीवन में उतारने का प्रयास करें । कहां सामायिक द्वारा पापों के आश्रवो को रोककर संवर की आराधना कर सकते हैं । तथा सामायिक काल में स्वाध्याय करने से पापों की निर्जरा होती है। वैसे भी राग द्वेष में सम रहना सीखने की प्रक्रिया सामायिक है।

शीतल राज मुनि श्री ने कहा वीतराग भगवंत की वाणी के प्रति श्रद्धा हो, श्रद्धा के साथ उसे वाणी का पालन हो, यदि पालन किया जावेगा तो अनेक जीव पहले भी तीर आगे भी तिरेंगे, जिन वचनों के प्रति रग रग में रोम रोम में श्रद्धा है। सद्वचनों के अनुसार भावपूर्ण आचरण करने वाले अनेक भाव जीव मोक्ष में चले जाते हैं, भविष्य में भी जायेंगे। उन्होंने कहा केवल भाव पूर्वक आचरण करने की आवश्यकता है, यदि साधक अपने मनुष्य जीवन का महत्व समझ गया तो वह ऐसी साधना कर सकता है । परंतु अपने शरीर को सब कुछ मान लिया तो आत्मा के लिए करने की जरूरत नहीं ।

भौतिक सुख पूणवानी से प्राप्त होता है, परंतु विश्वास खोना मुश्किल है। परंतु भगवान की वाणी में श्रद्धा हो तो तर्क वितर्क नहीं करेंगे। पैसा मेहनत से नहीं पुण्य से आएगा हर भौतिक सुख जो आत्मा से अलग है प्रयास से नहीं पुण्य से प्राप्त होता है । हम प्रयास कर रहे हैं लेकिन पूर्णवानी प्रबल नहीं है । धर्म से पुण्य होगा बिना धर्म अहिंसा आराधना के बिना नहीं मिलेगी ।

गुरुदेव ने कर्म मार्ग को जानोगे तो उससे बचोगे। इसी प्रकार आत्मा रूपी सरोवर में आने वाले कर्म के पानी को व्रत पंचखान द्वारा रोकना चाहिए। जीव अजीव पुण्य पाप आश्रव पर चर्चा में साधकों ने भी भाग लिया। संवर सत्र में आने का लक्ष्य रखें कितने ही पापों से बच जाओगे । परंतु हमारा लक्ष्य न हो आश्व त्यागने की भावना है। आश्रव से मुक्ति का प्रयास है, मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ेंगे । यदि साधक दृढ निश्चय कर ले तो अवश्य उसके जीवन आ सकता है । मुझे आश्रव से मुक्ति मिले प्रयास करें।

सुश्रावक प्रेमचंद भंडारी ने अपनी नियमित प्रस्तुति में एकसना, व्यासना, आंयबिल, उपवास, तेला, तप, तपस्या की लड़ी में पचखान कराया। 18 का गुप्त पचखान भी हुआ। चातुर्मास लाभार्थी संचेती परिवार प्रमुख दीपेश संचेती ने नियमित संवर करने और भाग लेने वाले महिला पुरुषों का सम्मान बहुमान किया ।

गुरुदेव ने कहा दया दिवस पर होगा सम्मान

स्थानी पुजारी पार्क मानस भवन में आयोजित प्रवचन पश्चात शीतल राज गुरुदेव ने कहा 1 सितंबर को रविवार पर्यूषण पर्व के पहले दिन दया दिवस है । सभी भाग ले प्रतिक्रमण, संवर करें आने वाले का सम्मान बहुमान आकर्षक स्मृति चिन्ह के साथ किया जाएगा । श्रावक श्राविकाओं की प्रस्तुतिनुसार उसी दिन सम्मान का कार्यक्रम होगा ।

आत्म कल्याण की भावना हो हमारी दृष्टि बदले शुभ कार्य करने में भाग ले। पर्यूषण पर्व के पहले दिन से अंतिम दिन तक तपस्या का लाभ ले, बिना पुण्य के आप कितना भी परिश्रम करो धन, तन का सुख नहीं मिलेगा। उन्होंने सामायिक उपकरणो का सही करने कहा । 1 सितंबर रविवार को दया दिवस में सभी पंथ धर्म के लोग भाग लेकर लाभ ले सकते हैं।

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