भाटापारा अर्जुनी(अमर छत्तीसगढ) 28 अगस्त।
कहते है तप करने के लिए मन को साधना पड़ता है और जो मन को साध लेता है वह जीत जाता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है छत्तीसगढ़ के भाटापारा अर्जुनी में एक 12 साल के बच्चे ने. जिसने जैन धर्म की सबसे कठिन तपस्याओं में एक मासखमण तपस्या कर अपना तप बढ़ाया है. खास बात ये है जिस मासखमण को बड़े-बड़े लोग करने से पहले चार बार सोचते हैं उस मासखमण को इस 12 बरस के बच्चे ने अपने खेलने कूदने की उम्र में कर डाला.
जैन कुल में जन्मे अर्जुनी के पुल्कित टाटिया की इस तपस्या के बारे में जो भी सुना वो हैरान रह गया.
छोटे से अर्जुनी ग्राम में पहली बार 1008 श्री रामलाल जी महाराज के मार्ग में चलने वाली माहा पूजनीय प्रियंका श्री जी महाराज आदि ठाणा चार का अर्जुनी संघ को चौमासे में तप त्याग कर बड़े ही उत्साह के साथ चौमासे का पावन पर्व चल रहा है।जिसमें उस छोटे से बालक के साथ-साथ और भी हमारे श्रावक श्राविकाओ ने तपस्या को ग्रहण कर अपने जीवन को महकाया है।
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