18 पापो, भगवान के द्वारा बताएं चार अंगों को गुरुदेव ने उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को बोल कर करवाया याद…..  जीवन आश्रव से हटकर संवर की ओर बढ़ने प्रयास करना होगा – प पू श्री शीतल राज मसा

18 पापो, भगवान के द्वारा बताएं चार अंगों को गुरुदेव ने उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को बोल कर करवाया याद….. जीवन आश्रव से हटकर संवर की ओर बढ़ने प्रयास करना होगा – प पू श्री शीतल राज मसा

रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 29 अगस्त। पंच परमेष्ठी देव एवं शासनपति चरम तीर्थंकर भगवान महावीर के चरणों में नमन, तीर्थंकर भगवंत ने भव्य जीवो के कल्याणार्थ परासना की। जिस वाणी की प्रति रोम रोम वह रग रग में जितनी भक्ति हो वह साधक भावपूर्वक उनकी वाणी का आचरण करे तो क्लेश रहित हो जाएगा । केवल साधक में जो श्रद्धा भक्ति की कमी है उसे मना जीवन में प्राप्त कर ले तो पुण्यशाली हो जाएंगे। उक्त बातें आड़ा आसन त्यागी, अतापना धारी परम पूज्य श्री शीतल राज मसा ने पुजारी पार्क स्थित मानस भवन में बड़ी संख्या में उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को प्रवचन के माध्यम से समझाया।

गुरुदेव ने कहा भगवान के बताए चार अंग मानवता, वीतराग वाणी, वीतराग वाणी में श्रद्धा, सम्यक का पराक्रम इसको मानना होगा। यह चार अंग हमको मिला जिसका पालन करना होगा। ऐसे दुर्लभ महानता से मिला मानव जीवन को सफल बनाने का प्रयास करें। बिना त्याग धीरे-धीरे मन में समाप्त सम्यकत्व को प्राप्त करने की दृढ़ता होनी चाहिए। हम लोग जब तक आत्मा के प्रति जागरूक नहीं होंगे, तब तक आत्म कल्याण नहीं होगा।

मुनि श्री ने आगे कहा पाप से मुक्त होने के लिए प्रयास करना होगा। साधु बनने के बाद उनकी कितनी महिमा हो जाती है, उनको हम कितने बार वंदना करते हैं जबकि हम अपने माता-पिता को भी वंदना नहीं करते । रविवार से महापुरुषों का जीवन वाचन किया जाएगा । तीन खण्डो के राजा जितना व्यस्त थे उतना तो तुम एक पल नहीं। हम लोगों को गुण सीखना चाहिए हम पर्यूषण पर्व में 400 माताओ को वंदन करेंगे । हमको समय निकालना है ताकि हम महापुरुषों, माता का आशीर्वाद ले सकेंगे ।

शीतल राज मसा ने दूसरा आश्रव अप्रत्याखान के बारे में बताते हुए कहा कि “मैं” की आराधना करोगे तो आपको आगे बढ़ने नहीं देगा, पुण्य करके आए हो तो मालूम नहीं पड़ेगा और कहीं पुण्य चला जाएगा तो आपको पता चल जाएगा , यदि साधक के जीवन में नियम के प्रति, प्रत्याखान के प्रति श्रद्धा और भक्ति बढ़ जाए तो पुण्यशाली बन जाओगे ।आप जो वस्तु का इस्तेमाल नहीं कर रहे हो उसका त्याग कर दो। उन वस्तुओं के प्रति जो राग मोह है लेकिन आपके साथ वह आखरी समय में नहीं चलेगा। आपके कर्म ही अंतिम समय में साथ जाएगा।

नियम को तोड़ने से नहीं, पालने से मानव कहां कहां पहुंच जाता है। वो साधक अपना समय जीवन में नहीं लगा के थोड़ा पुण्य में लगता तो वह कहां से कहां चला जाता। केवल पुण्य करने से काम चलने वाला नहीं मोक्ष पाने के लिए पुण्य सहायक है, पुण्य के साथ धर्म की आराधना भी आवश्यक होती है।

मुनी श्री शीतल राज ने कहा मोक्ष प्राप्त करने का दृढ़ संकल्प है तो कोई नहीं रोक सकता पहले से नियम न लेवें, नियम से ना डरे, संसार चक्र से मुक्त होकर अगर अच्छी गति में जाना हो तो कुछ करना होगा। 24 लाख वनस्पति है मानव का सबसे पहले त्याग में रुचि होना चाहिए । मोक्ष रूपी सुख को पाना है तो त्याग का पालन करना होगा। हम जीव, जानवर को दुष्कारते हैं वहीं साधु आ जावे तो हम बदल जाते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए।

हम वृद्ध आश्रम चले जाते हैं लेकिन स्थानक नहीं जा सकते। महाराज गए फिर स्थानक के ताले लग जाते हैं। इस स्थानक में अगर बैठ जाओगे तो 18 पापों से मुक्ति मिल जाएगी। स्थानक में रहकर संवर का लाभ ले सकते हैं । हम ऐसा प्रयास करें कि मानव जीवन को सफल बनाना है। गुरुदेव ने आगे कहा पैसा पैसा करते मर जाओगे और अगले जन्म में सर्प बनकर आओगे तो क्या काम आया पैसों का, पुरुषार्थ धर्म के लिए करो तो पुण्य का लाभ मिल जाएगा।

परम पूज्य मुनि श्री शीतल राज ने कहा हम मंत्र-तंत्र के चक्कर में अपने आप को डालते हैं जबकि पुण्य नहीं होगा तो मंत्र तंत्र का कोई असर नहीं होगा , सद्गति पाना है तो यह रास्ते हैं हम लोग छह सात घंटे का त्याग करें, त्याग के प्रति श्रद्धा रुचि नहीं तो कोई लाभ नहीं होगा। हम लोग को जीवन आश्रव से हटकर संवर की ओर बढ़ने प्रयास करना होगा ।

सुश्रावक प्रेमचंद भंडारी ने अपनी नियमित प्रस्तुति में एकसना, व्यासना, आंयबिल, उपवास, तेला, तप, तपस्या की लड़ी में पचखान कराया। चातुर्मास लाभार्थी संचेती परिवार प्रमुख दीपेश संचेती ने नियमित संवर करने और भाग लेने वाले महिला पुरुषों का सम्मान बहुमान किया ।

गुरुदेव ने कहा दया दिवस पर होगा सम्मान

स्थानी पुजारी पार्क मानस भवन में आयोजित प्रवचन पश्चात शीतल राज गुरुदेव ने कहा 1 सितंबर को रविवार पर्यूषण पर्व के पहले दिन दया दिवस है । सभी भाग ले प्रतिक्रमण, संवर करें आने वाले का सम्मान बहुमान आकर्षक स्मृति चिन्ह के साथ किया जाएगा । श्रावक श्राविकाओं की प्रस्तुतिनुसार उसी दिन सम्मान का कार्यक्रम होगा । आत्म कल्याण की भावना हो हमारी दृष्टि बदले शुभ कार्य करने में भाग ले। पर्यूषण पर्व के पहले दिन से अंतिम दिन तक तपस्या का लाभ ले, बिना पुण्य के आप कितना भी परिश्रम करो धन, तन का सुख नहीं मिलेगा। उन्होंने सामायिक उपकरणो का सही करने कहा । 1 सितंबर रविवार को दया दिवस में सभी पंथ धर्म के लोग भाग लेकर लाभ ले सकते हैं।

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