रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 1 सितंबर । स्थानीय पुजारी पार्क के मानस भवन में गत डेढ़ माह से शीतलराज मुनि श्री के प्रवचन में आज पर्युषण पर्व एवं अंतगडदसांग सूत्र का पाठ 8 दिन तक लगातार चलने वाले कार्यक्रमों में भाग लेने रायपुर छत्तीसगढ़ ही नहीं राजस्थान, मध्यप्रदेश से भी बड़ीं संख्या में श्रावक-श्राविकाएं पहुंचे है। आज मानस भवन में तप तपस्या सामायिक प्रतिक्रमण, दया एवं रात्रि संवर करने वालों से हाल खचाखच भरा रहा। लगभग पौने दो सौ श्रावक-श्राविकाएं बच्चों ने दया दिवस में भाग लिया। उपस्थितजनों का आज भी नियमित सम्मान, बहुमान किया जा रहा है।
जैन मुनि श्री शीतलराज ने कहा पर्युषण पर्व का पहला दिन महापुरुषों, तीर्थंकरों ने जो ज्ञान दया की उसके प्रेरणा लेकर आगे बढ़े। उन्होंने ज्ञान, अज्ञानता, आत्मा, पाप पुण्य पर बोला कहा आज पहला दिन ज्ञान दिवस के रुप में आया है। हमारे जीवन में 9 तत्वों का ज्ञान हो, जीव, अजीव, दया, पुण्य, पाप, संवर, आत्मा, निर्जरा को जाने इने तत्वों का ज्ञान होने सजीव दया का पालन करो। आपको भगवान महावीर स्वामी द्वारा बताए चारों अंग प्राप्त है। संसार में जितने पदार्थ है उसके सार भूत स्वरुप को या पदार्थ के मूल भाव को तत्व कहते है जिसमें जीव अजीव, पुण्य, पाप, आश्रव, संवर, निर्जरा, बंध, मोक्ष प्रमुख है। भगवान महावीर ने कहा है साधक जिन वचनों के साथ है उनका पालना करे तो उस भव में जावेगा।
मुनि श्री ने कहा हम लोगों को महान पुण्य से मनुष्य भव को प्राप्त किया है। हम समय समय पर वीतराग वाणी को सुनने का अवसर लेते है। वाणी संवर कर हमारे जीवन में श्रद्धा भाव पूर्वक आराधना करें उपर से उपर जाएंगे नहीं तो नीचे से नीचे आएंगे। आराधना के बदले विराधना की तो नीचे जाएंगे। ज्ञान प्राप्त हो गया तो ज्ञान होने के बाद अपने जीवन को बदल डालो।
अंतगडदसांग सूत्र पहला वर्ग पर बोलते हुए राजा महाराजाओं का उदाहरण देते हुए कहा चम्पा नगरी के कोणिक नाम के राजा पर कहा वे महाहिमवान पर्वत के समान वर्णनीय थे। उस काल उस समय में जब भगवान महावीर हो चुके थे। श्रमण महावीर भगवान यावत् जो मोक्ष पधार गए है उन प्रभु ने अंतगडदसांग नामक आठवें अंग शास्त्र के आठ वर्ग कहे है। उन्होंने पथ प्रदर्शक आदर्श महापुरुषोंका वर्णन जो वर्ग में है उपस्थितजनों को बताया। अंतगडदसांग सूत्र का वाचन पर्युषण पर्व के साथ आठ दिन तक चलेगा।
अंतगडदसांग सूत्र में 90 भव्य आत्माओं का लेखा एवं चरित्रों का महत्व अर्थ शिक्षा सार इत्यादि का समावेश किया है। प्रथम वर्ग में कोणिक राजा का चित्रण किया गया है। आगे चलकर 7 दिन में अलग-अलग वर्गों की जानकारी देंगे। पाटानुपाट परंपरा अनुसार गणधरों से आचार्य के हाथ में होता हुआ लिपि बद्ध होता हुआ ऐसा ही अंतगडदसांग सूत्र की जानकारियों का लाभ उपस्थित श्रावक-श्राविकाओं साधकों को मिलेगा। वैसे भी अंतगडदसांग सूत्र में 8 वर्ग एवं 90 अध्ययन है।
उल्लेखीय है कि अंतगडदसांग सूत्र कि गुढ़ विशेषताओं में एक से आठ तक अलग अलग वर्ग में क्रमश: अध्ययन, दीक्षा पर्याय, ब्रम्हचर्य तपस्या निर्वाण स्थल राज्य सुख लिंग, शासन एवं लेखा प्रमुख है जिसकी व्याख्या अलग-अलग वर्गों की कल से आगामी 7 दिन करेंगे। शीतल मुनि ने आज दया दिवस में भाग नहीं लेने वालों को भी भाग लेने कहा तथा नियमित दया प्रतिक्रमण संवर में भी भाग लें। उन्होंने कहा अनुपे्रक्षा स्वाध्याय में रुचि ले स्वाध्याय का लाभ अनुप्रेक्षा से मिलेगा। पराध्याय करने वाला स्वाध्याय नहीं कर सकता। बिना अनुप्रेक्षा के स्वाध्याय नहीं होगा।
उन्होंने कहा रायपुर से बाहर राजस्थान, मध्यप्रदेश से भी बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं दया प्रतिक्रमण संवर में भाग ले रहे है तथा भाग लेने वालों का सम्मान-बहुमान दुर्ग के अचल दास पारख परिवार द्वारा रजत सिक्का से सम्मान-बहुमान किया जा रहा है। उन्होंने कहा तप तपस्या में भा लें, कर्म बांधना सरल है लेकिन भोगने पर पता चलता है। भगवान की वाणी सुने जीवन को बदलने का प्रयास करें। संवर प्रतिक्रमण नवकार मंत्र पाठ में भाग लें। प्रारंभ में इंदौर से आए दो श्रावक बंधुओं ने सैकड़ों की उपस्थिति में भाग लेने वाले भाई-बहन, बच्चों को अंतगडदसांग की जानकारी दी। कहा 8 वर्गों में से प्रथम वर्ग से 8 वर्ग तक पथ प्रदर्शक आदर्श महापुरुषों का वर्णन किया गया है। श्रवणकर चिंतन मनन के साथ अपनी आत्मा के साथ आत्मसात करें।
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुरेश जैन ने रात्रि संवर व अन्य आज व कल के आयोजित कार्यक्रमों की जानकारी दी। नवकार पाठ में भाग लेने कहा सुश्रावक प्रेमचंद भंडारी ने तप तपस्या, उपवास, एकासना, व्यासना, पोरसी करने वालों के पचखान सुविधा उपलब्ध कराया। श्री भंडारी ने कहा चौरडिय़ा परिवार की श्राविका ने 24 का पचखान किया। दया दिवस में भाग लेने वाले दया पालने वालों का सम्मान आकर्षक स्मृति चिन्ह रजत सिक्के से बहुमान किया जा रहा है। आज भी दोपहर 3 बजे मुनि राज के मंगल पाठ मांगलिक वाणी को सुनने सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित थे।