पढ़ना, चिंतन, मनन, याद करना यह सब स्वाध्याय के ही रूप – मुनिश्री ज्ञानेंद्र

पढ़ना, चिंतन, मनन, याद करना यह सब स्वाध्याय के ही रूप – मुनिश्री ज्ञानेंद्र

सिलीगुड़ी (अमर छत्तीसगढ) 3 सितंबर। पर्युषण पर्व के दूसरे दिन के अंतर्गत आज दिनाक 2 सितम्बर 2024 को सुबह 9 बजे से मुनिश्री ज्ञानेंद्र कुमारजी मुनिश्री पदमकुमारजी के पॉवन सान्निध्य में स्वाध्याय दिवस मनाया गया। मुनिश्री के नवकार महामंत्र संगान के साथ आज कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। मुनिश्री पदमकुमारजी ने नवकार महामंत्र का जप करवाया और एक भगवान महावीर स्वामी की गीतिका का संगान किया और आज के दिन स्वाध्याय दिवस पर उन्होंने बताया कि ज्ञान दो प्रकार के होते है प्रदार्थ ज्ञान और आत्मीय ज्ञान, ज्ञान का कभी भी तिस्कार नही करना चाहिए यदि हम उनका तिस्कार करते है तो हमे पाप लगता है।

मुनिश्री डॉ ज्ञानेंद्रकुमारजी ने आज के दिवस स्वध्याय दिवस पर अपने विचार रखे, उन्होंने बताया कि निर्जरा के 12 भेदों में भगवान ने सबसे बड़ा भेद स्वाध्याय को बताया है। पढ़ना, चिंतन, मनन, याद करना यह सब स्वाध्याय के ही रूप है। स्वाध्याय पांच प्रकार के बताए गए है। वाचना पूछना अनुप्रेषण परिवृतना आदि है, ज्ञान को हमेशा रिवीजन करते रहना चाहिए। बार बार स्वाध्याय करने से ज्ञान बढ़ता है । इसलिए जब भी समय हो स्वाध्याय करना चाहिए।

पर्युषण पर्व के अंतर्गत मुनिश्री ने भगवान के 27 भवो का भी प्रवचन दिया भगवान के आज सात भाव तक के बारे में बताया। मंगल पाठ के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुवा। सायंकालीन कार्यक्रम भी किया गया । उसमें हम आओ जाने तीर्थंकरों को के बारे में श्रावको एवम मुनिश्री से जाना।

समाचार प्रदाता:मदन संचेती

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