स्वयं को बदनसीब समझने ओर छोटी सी बात दिल पर लगाने वाले डिप्रेशन में जाते…. संघर्षो से नहीं घबराने वाले ही जीवन में सफल, हर परिस्थिति में खुद पर भरोसा रखे-समकितमुनिजी

स्वयं को बदनसीब समझने ओर छोटी सी बात दिल पर लगाने वाले डिप्रेशन में जाते…. संघर्षो से नहीं घबराने वाले ही जीवन में सफल, हर परिस्थिति में खुद पर भरोसा रखे-समकितमुनिजी

हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 2 सितम्बर। जिंदगी में कुछ चीजे परिवर्तनशील ओर कुछ स्थाई होती है। इनसे मिलकर ही जीवन बनाता है। जीवन में कैसी भी परिस्थिति आए ओर समाज व परिवार वाले भी आप पर भरोसा करना बंद कर दे पर खुद पर भरोसा हमेशा बनाए रखना। ऐसा कर लिया तो एक वक्त ऐसा भी आएगा कि दुनिया फिर आप पर भरोसा करना शुरू कर देंगी। मन में लक्ष्य पाने का जज्बा हर हाल में होना चाहिए।

ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में अष्ट दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के दूसरे दिन सोमवार को धर्मसभा में अंतगड़ दशांग सूत्र के अध्यायों का विवेचन करते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने कहा कि दुनिया में हर रास्ते पर मोड है, कौनसा मोड किस दिशा में ले जाएगा कोई नहीं जानता। कई बार ऐसे मोड आ जाते है जिन्हें हम नहीं चाहते पर उन मोड पर भी चलना सीखना होगा। जीवन में सफल वहीं होते है जो संघर्षो से नहीं घबराते है। कभी भी दुविधा में नहीं रहे ओर जल्द निर्णय लेकर आगे बढ़े। मुनिश्री ने कहा कि वर्तमान में हमारे संघ-समाज में एकराय नहीं बन पाने का मुख्य कारण निर्देशन देने वाले ज्यादा हो जाना है।

जब तक सिंगल माइंड यानि एक आवाज नहीं होगी तब तक एकता कायम नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि लोगों में डिप्रेशन की समस्या बढ़ रही है पर इसका शिकार वहीं होते है जो स्वयं को बदनसीब समझ किस्मत को कोसते रहते है, नाकामी को स्वीकार नहीं कर पाते है या छोटी-छोटी बाते दिल पर लगा लेते है। जब तक इन चीजों से बचेंगे नहीं चिंता बढ़ती रहेगी।

कठिन पलों में जितना हम रोते है मुश्किले उतनी ही बढ़ती जाती है ओर रोने से सौभाग्य भी घटता जाता है। मुनिश्री ने कहा कि समकित समयकत्व आत्मधर्म है जो लिया दिया नहीं जाता है। कर्म काटे बिना समकित प्राप्त नहीं होता है। आत्मधर्म तक पहुंचे बिना व्यवहार धर्म दीये जलाने के समान है। अनादिकाल से आत्मधर्म को स्पर्श नहीं कर पाए इसीलिए रात खत्म नहीं होती है। पर्युषण के रूप में आत्मकल्याण की शुभ घड़ी आई है।

धर्मसभा के शुरू में पूर्व गायनकुशल जयवंतमुनिजी म.सा. द्वारा अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन किया गया। उन्होंने भजन ‘‘पर्युषण आया है,ये खुशियां लाया है’’ की प्रेरणादायी प्रस्तुति दी। दोपहर में सिद्ध आराधना प्रेरणा कुशल भवान्त मुनिजी म.सा. ने कराई।

पर्वाधिराज पर्युषण पर्व में तप त्याग का दौर शुरू हो गया। सुश्राविका शकुन्तला बोहरा ने पांच उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने तेला, बेला, उपवास, आयम्बिल व एकासन के प्रत्याख्यान भी लिए गए। मुनिश्री ने तपस्वियों के लिए मंगलभावनाएं व्यक्त की। धर्मसभा का संचालन ग्रेटर हैदराबाद संघ के महामंत्री सज्जनराज गांधी ने किया।

पांच दिवसीय सह जोड़ा सेफ्टी बेल्ट विधान 13 सितम्बर से

चातुर्मासिक आयोजनों के तहत 13 से 17 सितम्बर तक पूज्य समकितमुनिजी म.सा. के सानिध्य में सेफ्टी बेल्ट विधान होगा। इसमें श्रावक-श्राविका सह जोड़ा शामिल होंगे। यह जोड़ा पति-पत्नी, भाई-बहन, पिता-पुत्री, मां-बेटे किसी भी रूप में हो सकता है। इसमें पांच दिन सुबह 9 बजे से सुरक्षा बेल्ट तैयार करने का विधान कराया जाएगा। चातुर्मास में 2 अक्टूबर को सवा लाख लोगस्स की महाआराधना होगी। पूज्य गुरूदेव भीष्म पितामह राजर्षि सुुमतिप्रकाशजी म.सा. की जयंति 9 अक्टूबर को आयम्बिल दिवस के रूप में मनाई जाएगी। इस अवसर पर अखिल भारतीय स्तर पर 11 हजार 111 आयम्बिल तप करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे।

निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627

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