युवाओं को संस्कारवान बना धर्म से जोड़ने वाली होती है मां-कंचन कंवरजी मसा…. मां की महिमा अपरम्पार, मां के बिना संभव नहीं संसार-सुलाचनाजी मसा

युवाओं को संस्कारवान बना धर्म से जोड़ने वाली होती है मां-कंचन कंवरजी मसा…. मां की महिमा अपरम्पार, मां के बिना संभव नहीं संसार-सुलाचनाजी मसा

भीलवाड़ा(अमर छत्तीसगढ) 2 सितम्बर। वर्तमान युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन देना जरूरी है। ऐसा नहीं कर पाए तो आने वाला समय कैसा होगा इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। युवा पीढ़ी को धर्म से जोड़ने ओर सही मार्गदर्शन देने में मां की भूमिका अहम है। मां ही होती है जो बच्चों को संस्कारवान बनाने के साथ सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।

ये विचार श्रमण संघ के प्रथम युवाचार्य पूज्य श्री मिश्रीमलजी म.सा.‘मधुकर’ के प्रधान सुशिष्य उप प्रवर्तक पूज्य विनयमुनिजी म.सा.‘भीम’ की आज्ञानुवर्तिनी शासन प्रभाविका पूज्य महासाध्वी कंचनकुंवरजी म.सा. ने महावीर भवन बापूनगर श्रीसंघ के तत्वावधान में आठ दिवसीय पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के दूसरे दिन मां है मंदिर ममता का विषय पर प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि पर्वाधिराज पर्युषण युवाओं को धर्म से जोड़ने का सही अवसर है। हम जिनवाणी श्रवण करने के लिए उन्हें भी अपने साथ अवश्य लाए। वह धर्म से जुड़ गए तो जीवन भी सुधर जाएगा।

प्रखर वक्ता साध्वी डॉ.सुलोचनाश्री म.सा. ने कहा कि मां शब्द सुनने में बहुत छोटा लगता लेकिन इस शब्द की महिमा अपरम्पार है। मां के बिना संसार की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मां की विराटता ओर विशालता को आंकना बहुत मुश्किल है। एक जननी ही जानती है कि संतान को जन्म देते समय कितनी वेदना सहन करनी होती है।

महापुरूषों को इस धरा पर लाने वाला मां ही होती है। ऐसी मां को जितना नमन करे कम होगा। उन्होंने कहा कि मां कभी अपने संतान को दुःखी नहीं दे सकती है। मां स्वयं गीले में रहकर संतान को सूखे में रखती है। मां ही अंगुली पकड़ बच्चे को चलना सिखाती है। जो जीवन में मां का नहीं हो सकता वह फिर किसी अन्य का भी नहीं हो सकता है।

उन्होंने इस हालात को अफसोसजनक बताया कि माता-पिता को आठ संतान संभालने में जोर नहीं आता ओर सबका बराबर पालन पोषण करते है पर आठ संतान मिलकर एक माता-पिता की संभाल नहीं कर पाती है। मधुर व्याख्यानी डॉ. सुलक्षणाश्री म.सा. ने कहा कि मां की महिमा का जितना गुणगान करे उतना कम है।

मां हमेशा अपनी संतान को योग्य व समर्थ बनाने के लिए सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार होती है। मां बच्चों को संस्कारवान ओर धर्मवान बनाती है ताकि उसके जीवन का कल्याण हो सके। प्रवचन के शुरू में सुबह 8.30 बजे से अंतगड़ दशांग सूत्र के मूल पाठ का वाचन साध्वी डॉ. सुलोचनाजी म.सा. के मुखारबिंद से हुआ। धर्मसभा में कई श्रावक-श्राविकाओं ने सामूहिक तेला तप करने की भावना रखते हुए दूसरे दिन बेला तप के प्रत्याख्यान लिए। उपवास, आयम्बिल, एकासन के भी प्रत्याख्यान लिए गए।

अंताक्षरी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार

पर्युषण पर्व के तहत प्रतिदिन दोपहर में श्री चंदनबाला महिला मण्डल के तत्वावधान में धार्मिक प्रतियोगिताएं हो रही है। इनका संचालन मण्डल की अध्यक्ष आशा चौधरी एवं मंत्री रेखा नाहर के निर्देशन में हो रहा है। अतांक्षरी प्रतियोगिता के विजेताओं को धर्मसभा में पुरस्कृत किया गया। प्रतियोगिता में प्रथम कोमल मारू, द्धितीय पूनम संचेती एवं तृतीय स्नेहलता चौधरी रहे। प्रतियोगिता के लाभार्थी इंदुलताजी आशाजी चौधरी रहे। धर्मसभा में फतहसिंह लोढ़ा व हंसा गोखरू ने भी विचार व्यक्त किए। संचालन करते हुए श्रीसंघ के मंत्री अनिल विश्लोत ने बताया कि तेला तपस्वियों का सामूहिक पारणा 4 सितम्बर को महावीर भवन में ही होगा।

पर्युषण अवधि में प्रवचन सुबह 8.30 बजे से शुरू होंगे। पर्युषण में तीसरे दिन 3 सितम्बर को आज के युग में बढ़ता हुआ व्यसन ओर फैशन विषय पर प्रवचन एवं दोपहर में धार्मिक तम्बोला प्रतियोगिता होगी।पर्युषण में अखण्ड नवकार महामंत्र जाप भी चल रहा है जिसमें कई श्रावक-श्राविकाएं तय समय पर पहुंच सहभागिता निभा रहे है। शाम को प्रतिक्रमण करने भी कई श्रावक-श्राविकाएं पहुंच रहे है।

प्रस्तुतिः निलेश कांठेड़
अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा
मो.9829537627

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