अंतगडदसांग सूत्र वाचक ने कहा अर्जुन माली ने यक्षोन्माद में कई जीवों की हत्या की…. शीतलराज मसा ने कहा जीवन का विकास हो ऐसा स्वाध्याय साधना करें

अंतगडदसांग सूत्र वाचक ने कहा अर्जुन माली ने यक्षोन्माद में कई जीवों की हत्या की…. शीतलराज मसा ने कहा जीवन का विकास हो ऐसा स्वाध्याय साधना करें

रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 5 सितंबर। पर्युषण पर्व के पांचवे दिन दान दिवस पर पुजारी पार्क के मानस भवन में अपने नियमित प्रवचन में आज शीतलराज मुनि श्री ने कहा भगवान महावीर ने जिस वाणी के द्वारा पहले स्वयं तीरे फिर अपने वाणी के भव्य जीवों के समक्ष तीरने का मार्ग बताया। केवल उपदेश ही नहीं दिया अपने जीवन में उतारकर ज्ञान चारित्र तप चारधाती कर्मों का क्षय कर भव्य जीवों को द्वादशी ज्ञान प्राप्त किया।

उन्होंने कहा भगवान महावीर की वाणी का स्मरण करें। जीवन का विकास हो ऐसा स्वाध्याय कर साधना आराधना करें। उन्होंने कहा जिन भगवान के बताए मार्ग का अनुशरण करें और राग द्वेष को जीतने का का प्रयत्न करें। 4 कर्मों का नाश कर राग द्वेष को जीत लिया तथा जो हमें धर्म का ज्ञान कराते है एवं सर्वज्ञ सर्वदर्शी है वे जिन तीर्थंकर या अरिहंत कहलाते है। उनके द्वारा बताया गया धर्म जिन धर्म अर्थात जैन धर्म कहलाता है।

मुनि श्री ने कहा श्वेताम्बर समाज के 3 टुकड़ेे हो गए सामायिक एवं स्वाध्याय एवं पंथ नहीं चारों पंथ में कोई इसका विरोध नहीं करता। क्योंकि भगवान महावीर के अनुसार चाहे दिगम्बर, श्वेताम्बर,स्थानकवासी, तेरापंथी, मूर्ति पुजक चाहे जो भी हो सामायिक का कोई विरोध नहीं करता। बिना सामायिक के बिना स्वाध्याय किए कराए एक भी पंथ नहीं है। साधु साध्वी बनने के बाद सुबह-शाम सभी पंथो ंको प्रतिक्रमण करना पड़ेगा। 22 वर्ष की अवस्था में शास्त्रों का पूरा ज्ञान इसका कोई विरोध नहीं करता। कोई माने या न माने सामायिक स्वाध्याय तप करना पड़ेगा। सामायिक तो करो अभय दान भी मिलेगा।


पर्युषण पर्व के पांचवे दिन आज दान दिवस पर बोलते हुए मुनि श्री ने कहा एक सामायिक करने से समस्त जीवों का अभय दान होता है। महापुरुषों ने कहा है दान अवश्य दें दान देकर पाप कर्म मत बांधो। उन्होंने दान एवं चंदा पर बोलते हुए कहा लोग गणेश चतुर्थी होली-दिवाली का चंदा दबाव डर से देते है। पाप को बांधने के लिए यदि आपके दुकान पर आया तो क्या नहीं देंगे।

घर में घुसेगा तो भी दोगे। उन्होंने कहा पुण्य करने में जोर आएगी लेकिन सामायिक से खर्च भी नहीं लेकिन अनंत जीवों का अभय दान होगा। भगवान महावीर ने कहा है कितना ही पुण्य कर लो धर्म के सामने दान कुछ भी नहीं है। 10 लाख गायों का दान भी सामायिक के सामने कुछ नहीं है।

मुनि श्री ने कहा राजा श्रेणिक ने भगवान महावीर से सामायिक का मूल्य पूछा तो उन्होंने उत्तर दिया। हे राजन तुम्हारे पास जो चांदी-सोना व जवाहरात है उनकी थैलियों का ढेर सूर्य और चांद को छू जावे फिर भी सामायिक का मूल्य तो क्या उसकी दलाली भी पर्याप्त नहीं होगी। दान दिवस पर बोलते हुए मुनि श्री ने कहा पहले तो पुण्य एवं धर्म में अंतर है व्यवहार में पुण्य को धर्म मानते है लेकिन जैन धर्म में पुण्य एवं धर्म में जमीन आसमान का अंतर है। मुनि श्री ने कहा पर्युषण पर्व चल रहा है।

8 दिन भी नहीं आए आप लोग संस्कार दें। बच्चों का मां ने संस्कार सिखाए तुमने क्या किया। आपके बच्चे कितने दिन आए सामायिक संवर पहले पापों का त्याग फिर धर्म की आराधना नियम में पैसा नहीं लाता।
अंतगडदसांग सूत्र का वाचन करते हुए वाचक द्वय विमलचंद तातेड़, शिखर चंद छाजेड़ ने कहा अर्जुन माली बचपन से ही मुदगरपाणी नाम यक्ष को भगवान मानते उसके भक्त थे छठा वर्ग वीर शासन के अध्ययन 1 से 16 तक के तहत बोलते हुए कहा श्रमण भगवान महावीर छठे वर्ग के 16 अध्ययन में कहा है उसका अर्थ बताते हुए तीसरे अध्ययन अर्जुन माली को लेकर कहा वह राजा श्रेणिक के राजगृह नगर में अर्जुन माली का काम करता था।

उसकी सुंदर पत्नी का नाम बंधुमति था अर्जुन माली का पुण्याराम फूलों का बगीचा था। सभी वहीं मुदगरपाणी नामक यक्ष का यक्षा यतन था। जिसके पास 56 किलो वजन का मुदगर था। घटनाक्रम में छह गौष्ठिक पुरुषों ने पत्नी बंधुमति मालिन के साथ विपुल काम क्रीड़ा करने लगे।

क्रोधित अर्जुन माली को यक्षोन्माद 5 माह 13 दिन रहा। 1 दिन में छह पुरुषों एक महिला कुल 1141 जीवों की हत्या की। इनमें 978 पुरुष एवं 163 स्त्रियां थी बाद में अर्जुन माली भगवान महावीर स्वामी की कथा सुनकर दीक्षा अंगीकार करने की दिशा में पहल की। तपस्या से आत्मा को भक्ति कर्ता विचरुंगा अर्जुन के अर्हमारा की संगलेखणा करके सभी कर्मों को छह कर सिद्ध हुए। आज वाचक ने उपस्थिजनों से अर्जुन माली को लेकर प्रश्न-उत्तर भी किया तथा उन्होंने अंतगडदसांग सूत्र से जुड़े वर्ग अध्ययन को लेकर विभिन्न जानकारियां भी दी।


सुश्रावक प्रेमचंद भंडारी ने आज बड़ी संख्या में तप तपस्या एकासना व्यासना अठाई दया इत्यादि करने वालों का पचखान कराया। रात्रि संवर वालों का सम्मान किया गया। बड़ीं संख्या राजस्थान व मध्यप्रदेश से आए महिला-पुरुष बच्चे सुबह से देर रात तक विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेते हुए तप तपस्या कर रहे रात्रि में संवर में भाग लेने वाले शीतल मुनि का सानिध्य प्राप्त कर धर्म के प्रति नियमित मार्ग दर्शन प्राप्त कर रहे है।

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