दुर्ग(अमर छत्तीसगढ़) 5 सितंबर। आध्यात्मिक वर्षा वास जय आनंद मधुकर रतन भवन दुर्ग में गतिमान है आज पर्यूषण पर्व का पांचवा दिवस था आज महिलाएं केसरिया रंग की साड़ी पहन कर धर्म सभा में सोभायमान थी और पुरुष वर्ग सामाजिक वेशभूषा के साथ धर्म सभा की शोभा बढ़ा रहे थे
धर्म सभा को को साध्वी सुवृद्धि श्री जी अंत कृत दशाक सूत्र का वर्णन करते हुए भगवान महावीर के जीवन चरित्र का गुणगान करते हुए बहुत ही सुंदर वर्णन धर्म सभा में समझाया धर्म सभा को साध्वी रजत प्रभा ने भी संबोधित किया
मां की ममता और पिता की क्षमता के विषय पर साध्वी सुमंगल प्रभा ने कहा
माँ की ममता-पिता की क्षमনা-
माँ से मीठा, माँ से मदिरा, माँ से माखन माँ से मलाई। माँ से मक्का, मों से मंदिर आज हम एक खास बिंदु पर अपने आपको केन्द्रित करने जा रहे हैं। जिसे अग जबान से बोलो तो जबान मीठी हो जाती है कानों से सुनों तो कानों में संगीत की स्वर लहरी या उमड़ आती है। आँरक से देखो तो आँखें गंगा जमना बहाने लगती है। और दिल में अगर धारण करलो तो दिल देवालय आज का पवित्र विषय है। है। हो तो माँ और पिता सोचो। सोचकर सोचो अगर माँना होती । माँ की ममता कहाँ मिलती।
माता-पिता का ऋण
जिन्दगी विविध उपकारों की सुनहरी सौगात है। प्रथम श्वास से लेकर आखिरी श्वास तक की अनेकविध सौगातों में सर्वाधिक बेमिसाल उपहार माता-पिता के उपकारों का है। उनके अहसान को चुकाना अत्यंत कठिन है। पृथ्वी के समस्त रजकण एवं समुद्र के तमाम जलकण से भी अनंत गुणा उपकार जन्मदाता का है।
माता पिता महज जन्मदाता ही नहीं- संस्कारदाता और जीवन निर्माता भी है। उनकी बेहिसाब ममता और सक्रिय सहिष्णुता की बदौलत संतान के जीवन का संरक्षण व संपौषण होता है। माता-पिता अनगिनत कष्टों को भी सहर्ष झेलते हैं।
यूँ माता-पिता का बेहद उपकार है इस लिए उनके ऋण से निवृत नहीं हुआ जा सकता । प्रभो महावीर ने भी जन्मदाता के ऋण से उऋण होना दुष्कर बनाया है।
अगर एक व्यक्ति प्रतिदिन प्रातःकाल अपने माता-पिता को
आज जीवन में उत्तम संस्कार, उच्च शिक्षा और बौद्धिक विकास के मनोगम पुष्प खिले हैं तो उसे अंकुरित, विकसित और संकर्धत करने वाली एक मात्र मातृ-पितृ शक्ति ही है।
भगवान महावीर जन्म कल्याणक का वाचन
पर्यूषण पर्व के दौरान पांचवें दिवस जय आनंद मधुकर रतन भवन बांधा तालाब दुर्ग में भगवान महावीर का जन्म वाचन का अद्भुत आयोजन श्रमण संघ महिला मंडल के सहयोग से आयोजित किया गया जिसमें मंडल की सदस्यों ने भगवान महावीर के जीवन दर्शन पर मंत्र मुक्त कर देने वाली प्रस्तुति दी जिसमें कल्पना ओस्तवाल के संयोजन में नाटिका तैयार की गई थी जिसमें रुचिता बाघमार भावना पारख युक्ति बोहरा का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ