राजनांदगांव। (अमर छत्तीसगढ़) नगरीय निकाय चुनाव में नगर निगम क्षेत्र के वार्ड क्रमांक 17 तुलसीपुर में चंद्रकला देवांगन 191 वोट से पार्षद चुनी गई। जीत मार्जिन मेें काफी कमी को देखते हुए कुछ जिम्मेदार नेताओं पर उंगलिया उठ रही है। शिकायतें भी नामजद राजधानी में कांग्रेस संगठन व सत्ता से जुड़े लोगों के पास पहुंच गई है। वहीं दूसरी ओर भाजपा की पार्षद प्रत्याशी सरिता सिन्हा के चुनाव हारने को लेकर वार्ड के पूर्व पार्षद पारस वर्मा की भूमिका जिला भाजपा अध्यक्ष मधुसूदन यादव की कमजोर प्रस्तुति को लेकर भी चर्चाओं का दौर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के निवास तक पहुंचने की चर्चा हो रही है।
सत्ता पक्ष कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंकी। लेकिन कथित तौर पर जिम्मेदार पदों पर बैठी कुछ वरिष्ठ नेताओं की संदिग्ध भूमिका को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो रहा है। एक वरिष्ठ नेता यहां तक कहा कि राजनांदगांव विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी श्रीमती करूणा शुक्ला को चुनाव में हराने के लिए जिन्होंने ताकत लगाई थी, इनमें से कुछ नेता आंतरिक व परोक्ष तौर पर चंद्रकला को भी निपटाने के लिए अपनी ताकत लगाते रहे हैं। कुछ कांग्रेसजनों ने चर्चा में कहा कि चंद्रकला देवांगन के रिश्तेदार व नजदीकी जीजा संजीव देवांगन मतदान पूर्व तीन, चार दिन वार्ड 17 में अपनी उपस्थिति नहीं देते, नजर नहीं रखते तो, चर्चाओं के अनुसार कांग्रेस को नुकसान हो सकता था। दमदार प्रत्याशी व्यवहारिक व मिलनसरिता की धनी चंद्रकला देवांगन ने पिछले एक वर्ष से लगातार अपना संपर्क अभियान वार्ड 16 के साथ 17 में भी बनाये रखा था। कोरोनाकाल में भी कई लोगों को जीवन, मृत्यु से संघर्ष कर रहे थे। अपने रिश्तेदारों सत्ता पक्ष के महत्वपूर्ण पदों पर बैठे गिरीश देवांनग के सहयोग से कुछ लोगों की स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराकर बड़ी मदद की। वार्डवासियों के अनुसार चंद्रकला का संपर्क संबंध एक-एक मतदाताओं से सीधी बातचीत, मत देने के लिए अनुरोध ने ही उसे इस जीत तक पहुंचाया।
वहीं दूसरी ओर शहर कांग्रेस अध्यक्ष पार्षद कुलबीर छाबड़ा की टीम ने चंद्रकला को जीताने लगातार सक्रिय व मतदाताओं से संपर्क में रहे। श्री छाबड़ा प्रारंभ से ही चुनाव में सक्रिय रहे। वहीं दूसरी ओर चंद्रकला देवांगन ने चुनाव जीतने क ेबाद अपने सर्वाधिक सहयोगी तन, मन, धन के साथ करने के लिए संगीता साहू का गले लगकर भाव-विभोर होकर उनका आभार व्यक्त किया।
नगर निगम के वार्ड क्रमांक 17 का चुनाव परिणाम आते ही मतदाताओं ने उनका आत्मीय स्वागत गले मिलकर भाव-विभोर होकर किया। ऐसे कई दृश्य लोगों के सामने आये, जिसमें चंद्रकला की मतदाताओं की नजदीकी दूसरे वार्ड के मतदाताओं को भी भा गई। कांग्रेस की गुटबाजी राजनांदगांव में दिखी। कुछ महत्वपूर्ण पदों में बैठे जिम्मेदार लोगों ने चंद्रकला के पक्ष में खुलकर प्रचार करने के मामले में अपनी स्थिति को संदिग्ध बताये दिख रहे थे। सारे घटनाक्रम को वार्ड 17 के लिए जिन्हें आंतरिक जिम्मेदारी सौंपी गई थी। जानकारी के अनुसार लगभग उनको को भी कांग्रेस के जिम्मेदार नेताओं की कमजोर प्रस्तुति का लेकर कम जीत मार्जिन की चर्चा, संदिग्ध नेताओं पर उंगलिया उठाते दिख रही है। आगामी कांग्रेस ने चार दशक पुराने भाजपा के कब्जे वाले इस तुलसीपुर वार्ड को अपने कब्जे में किया है। मुख्यमंत्री व गिरीश देवांगन ने पार्षद प्रत्याशी के रूप में जिस ढंग से चंद्रकला को मैदान में उतारा कांग्रेस की गुटबाजी को देखते हुए प्रदेश संगठन को भी जिले के छग विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशी चयन के मामले में अभी से सर्तकता बरतनी होगी। इसकी चर्चा कांग्रेसजनों में ही हो रही है।
वहीं दूसरी ओर जिले के खैरागढ़ नगर पालिका परिषद चुनाव में जिसढंग से परिणाम सामने आये हैं। पदम कोठारी की प्रतिष्ठा दांव पर थी। उनका कद जहां घटा है। वहीं भाजपा के विक्रांत सिंह का कद वहां के चुनाव परिणाम में बढ़ गया है। संभव है वे तीन माह बाद होने वाले खैरागढ़ विधानसभा उप चुनाव के लिए प्रमुख दावेदारे के रूप में सामने आ सकते हैं। वहीं पिछले दो दशक से पदम कोठारी जो जिला कांग्रेस अध्यक्ष हैं। खैरागढ़ विधानसभा के लिए टिकट मांगते रहे हैं। अब स्वाभाविक रूप से यह उनकी दावेदारी अपने आप कमजोर दिखने लगी है। खैरागढ़ पालिका चुनाव के परिणाम राज फैमली में भाजपा के कैलाश, कांग्रेस के सुमित टांडिया के बीच बराबर का मत मिलने से पुर्नमतगणना के साथ कांग्रेस वहां जीती लेकिन अध्यक्ष बनाने के लिए दोनों के पास बहुमत नहीं है लेकिन तोडफ़ोड़ में कौन अपना पालिका अध्यक्ष बनायेगा। यह जरूर अभी से चर्चाओं में सामने आ रहे हंै। पालिका चुनाव में भाजपा के बड़े नेता रामाधार रजक, प्रफुल्ल ताम्रकार निपट गये वहीं लगातार तीन बार पार्षद चुने जाने वाले मनराखन देवांगन भी हार गये। कांग्रेस कई वार्डों मेें नाममात्र के 3, 4, 6, 8, 10 मतों से ही जीत पाई है। वहीं दूसरी ओर जोगी कांग्रेस के विधायक रहे स्व. देवव्रत सिंह की दूसरी पत्नी व जोगी कांग्रेस के नेताओं ने अपने अधिकृत प्रत्याशी के लिए प्रचार प्रसार तो किया लेकिन कोई जीत नहीं पाये। कुछ अपनी जमानत भी गंवा दिये। बहरहाल पालिका चुनाव तीन माह बाद होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर पिछड़ा वर्ग बाहुल्य होने की वजह से कांग्रेस एवं भाजपा दोनों को नये प्रत्याशियों को मैदान में उतारकर दांव लगाना पड़ सकता है।