धार्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज के जीवन चारित्र का वर्णन नैवेद्यम समूह द्वारा किया गया…. शुद्ध मन से जितना मिला है, उसी में खुश रहो- पंडित जयदीप शास्त्री

धार्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज के जीवन चारित्र का वर्णन नैवेद्यम समूह द्वारा किया गया…. शुद्ध मन से जितना मिला है, उसी में खुश रहो- पंडित जयदीप शास्त्री

बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) 12 सितंबर। सकल जैन समाज की ओर से जैन मंदिरों में दशलक्षण महापर्व के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म की पूजा की गई। इस दौरान पुष्पदंत भगवान का मोक्ष कल्याणक महोत्सव भी मनाया गया । शहर के सभी जैन मंदिरों में श्रद्धालुओं ने सिद्ध भगवान, देव शास्त्र गुरु, पंचपरमेष्ठी, नव देवता पूजन, चौबीसी पूजन, मूलनायक तीर्थंकर पूजन, पुष्पदंत भगवान पूजन (मोक्ष कल्याणक), निर्वाण काण्ड, सोलह कारण पूजन, पंचमेरू पूजन, दशलक्षण पूजन, स्वयंभू स्त्रोत का पाठ किया।

उत्तम शौच धर्म के दिन क्रांतिनगर मंदिर में प्रथम शांतिधारा करने का सौभाग्य श्रीमंत सेठ प्रवीण जैन, सुकुमार जैन, शैलेश जैन, नरेंद्र जैन, मुकेश जैन, आशीष जैन, ज्ञानचंद्र जैन एवं उनके परिवार जनों को प्राप्त हुआ। सरकण्डा मंदिर जी में यह सौभाग्य सोमेश जैन, रोमेश जैन, ए. के. जैन, अरविन्द जैन एवं उनके परिवारजनों को मिला। सन्मति विहार जिनालय में यह सौभाग्य सुरेंद्र चंद्र जैन, मनोज जैन एवं उनके परिवार को प्राप्त हुआ।

उत्तम शौच धर्म के बारे में बताते हुए पंडित जयदीप शास्त्री जी ने बताया कि उत्तम शौच धर्म हमें सिखाता है कि शुद्ध मन से जितना मिला है, उसी में खुश रहो। परमात्मा का हमेशा शुक्रिया मानो और अपनी आत्मा को शुद्ध बनाकर ही परम आनंद मोक्ष को प्राप्त करना मुमकिन है। यह धर्म बाह्य या भौतिक शरीर पर ध्यान न देकर अपनी अंतरात्मा पर केंद्रित है। आगे उन्होंने समझते हुए कहा कि जिस प्रकार हजारों मन साबुन लगाकर कोयले को धुलवाया जाए तो भी वह कोयला कभी भी अपने कालेपन को छोड़कर सफेदपन को प्राप्त नहीं कर सकता, उसी तरह यह शरीर भी दुनिया भर के साबुन, तेल, चंदन आदि से कभी भी सुगंधित नहीं हो सकता अर्थात् पवित्र नहीं हो सकता, इसीलिए ज्ञानी पुरुषों मुनियों ने शरीर को शुचि न मानकर उस अमंगलमय शरीर में स्थित मंगलमय शुद्ध आत्म तत्व को ही शुचि माना है।

इस अमंगलमय अर्थात् अशुचिमय शरीर की रक्षा इसलिए की जाती है कि जैसे किसान अपने खेत में धान की पैदावरी के लिए खेत में खूब हल चलाकर उसकी मरम्मत करता है और उस खेत में जानवरों की विष्टा और अन्य दुर्गन्धयुक्त वस्तुओं को डालकर उन अमंगल वस्तुओं से ही अपनी जिन्दगी को मंगलमय तथा सुखमय बनाने के लिए बहुत बढि़या अनाज की पैदावार करता है और अपने परिवार का पथ पालता है, उसी तरह आत्मज्ञानी एवं साधु इस शरीर के अमंगल होने पर भी उससे घृणा न करते हुए जब तक इसके भीतर छिपे हुए सम्यग्दर्शन, ज्ञान एवं चारित्र रूपी रत्नत्रयात्मक आत्मसुख की प्राप्ति नहीं कर लेते तब तक उसकी रक्षा करते हैं। परंतु इस भौतिक शरीर को कभी भी अच्छा मानकर इसके प्रति प्रेम नहीं करते और न ही इसकी खुशमद करते हैं।

धार्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में महापर्व के चौथे दिन उत्तम शौच धर्म के पावन दिन में विश्व वंदनीय संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज के जीवन चारित्र का वर्णन नैवेद्यम समूह द्वारा किया गया। एक ऐसे महान संत जो स्वयं परिग्रह से रहित रहते हुए सदजीवन का उपदेश दिया करते थे। इस नाटिका में आचार्य श्री की जन्मस्थली कर्नाटक के सदलगा ग्राम में उनके जन्म से लेकर का बाल्यावस्था तक का वर्णन बड़े ही मनोहारी तारीके से प्रस्तुत किया। बाल्यावस्था उपरांत उनकी मुनि दीक्षा का मार्मिक दृष्टांत दिखाया गया, जिसमें यह बताया गया कि कैसे उन्होंने अजमेर जाकर आचार्य ज्ञान सागर जी महाराज के सानिध्य में मुनि दीक्षा ली। इसके उपरान्त उनके द्वारा सकल जगत में फैलायी गई धर्म प्रभावना को बहुत ही सुन्दर तरीके से प्रस्तुत किया।

आचार्य श्री के प्रकल्पों जैसे पूर्णायु, हथकरघा, गौशाला, प्रतिभास्थली, कैदियों के परिवार की जीविका का साधन के बारे में उनकी सोच का वर्णन बहुत ही शानदार तरीके से किया। फरवरी में ज़ब आचार्य श्री ने अपनी देह त्याग की थी तब सारा संसार रोया था, ज़ब आज आचार्य श्री की समाधि वाला दृश्य नाटिका में प्रस्तुत किया गया तो सभागार में उपस्थित सभी की आँखें एक बार फिर नम हो गई।

आचार्य श्री के बाल्यावस्था का किरदार वेदार्थ ने और किशोरावस्था से समाधि तक की भूमिका आरू ने निभायी। अतीक्ष, सर्वार्थ, श्रेयस, जीविका, अर्जुन, ख़ुशी, इवान, अन्वी, आध्या एवम सिद्ध ने पूरी नाटिका में बहुत ही मार्मिक भूमिका निभायी। नाटिका का सफल निर्देशन पूनम दोशी ने किया एवं उनके सहायक के रूप में स्वाति, अतीका, बिंदु, अनी, रितिका, प्रियंका, प्रिया, गौरव, अंशुल एवं दीपक ने महती भूमिका निभाई।

Chhattisgarh