हैदराबाद(अमर छत्तीसगढ), 20 सितम्बर। जिंदगी में गलत कार्य करने के दौरान कभी धर्म ओर धर्मात्मा को बीच में मत लाना। धर्म के वेश में ओर धर्मात्मा के साथ छोटा सा भी पाप करते है तो वह बड़ा खतरनाक होता है। पाप कार्य में सफल होने की कामना से कभी सामायिक ओर नवकार मंत्र का जाप मत करना। कभी देव,गुरू व धर्म का नाम लेकर पाप नहीं करेंगे तो ऐसा करने के बाद भी कल्याण के रास्ते खुले रहेंगे।
ये विचार श्रमण संघीय सलाहकार राजर्षि भीष्म पितामह पूज्य सुमतिप्रकाशजी म.सा. के ़सुशिष्य आगमज्ञाता, प्रज्ञामहर्षि पूज्य डॉ. समकितमुनिजी म.सा. ने ग्रेटर हैदराबाद संघ (काचीगुड़ा) के तत्वावधान में श्री पूनमचंद गांधी जैन स्थानक में शुक्रवार को चार दिवसीय विशेष प्रवचनमाला श्रीकृष्ण-सुदामा चारित्र के दूसरे दिन व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि यह जिनशासन की महिमा है जहां आने वाले का दिल खोलकर स्वागत होता है। यदि किसी को देखकर हम मुंह फेर लेते है तो जिनशासन के अनुयायी नहीं हो सकते है। हम अनादिकाल से संसार में अटके है तो कारण इतना ही है कि हम ईमानदारी से आज तक जिनशासन को स्वीकार नहीं कर पाए है। श्रावक बने पर ईमानदारी वाले नहीं बने इसलिए इतना कुछ होेने के बाद भी संसार छूट नहीं रहा है।
मुनिश्री ने सुदामा के कृष्ण के महल के बाहर द्वारपालो द्वारा ही रोक देने के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि राजाओ के द्वारपाल सुधर जाए तो पूरा संघ,समाज व देश सुधर जाए। राजाओ के इर्द-गिर्द जो चाटुकार रहते है वहीं अधिक गड़बड़िया करते है। द्वारपाल सोचते ऐसा निर्धन व्यक्ति कृष्ण का मित्र नहीं हो सकता पर जब कृष्ण संदेश सुनाते सुदामा द्वार पर है तो वह नंगे पैर दौड़े चले जाते है। उन्होंने कहा कि देने के अंदर जो आनंद है वह उपयोग में नहीं मिल सकता।
जीतने के लिए जरूरी नहीं है कि जीता ही जाए बहुत सी बार हारना भी बड़ी जीत हो जाती है। बड़ा बनने के लिए सिंहासन पर बैठना जरूरी नहीं है नीचे बैठकर भी महान बना जा सकता है। प्रवचन के शुरू में गायनकुशल जयवन्तमुनिजी म.सा. ने भजन ‘‘तेरे बिन इस जग में चहुं और अंधेरा है’’ की प्रस्तुति दी। प्रेरणाकुशल भवान्तमुनिजी म.सा.का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। धर्मसभा में भीलवाड़ा, बिजयनगर, पूना, रसिन्द आदि क्षेत्रों से पधारे श्रावक-श्राविका भी मौजूद थे।
समकितमुनिजी से बिजयनगर चातुर्मास करने की विनती
धर्मसभा में बिजयनगर निवासी मीठालाल नाहर व अन्य श्रावक-श्राविकाओं द्वारा समकितमुनिजी से बिजयनगर में चातुर्मास की विनती प्रस्तुत की गई। उन्होंने कहा कि जब भी गुरूदेव की अनुकूलता हो वह चातुर्मास कराने के लिए तत्पर है। धर्मसभा में वर्ष 2022 में समकितमुनिजी के भीलवाड़ा शांतिभवन चातुर्मास के दौरान श्रीसंघ के तत्कालीन मंत्री श्री राजेन्द्रजी सुराना, सुश्रावक महावीरजी कच्छारा, पुखराजजी धम्मानी, बिजयनगर निवासी मीठालालजी नाहर,कोथरूड पूना के ईश्वरलाल भटेवरा, प्रदीप मंडलेचा, नौरतमल बाफना आदि का ग्रेटर हैदराबाद संघ की ओर से स्वागत-सम्मान किया गया। पूज्य समकितमुनिजी ने सबके प्रति मंगलभावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि भीलवाड़ा चातुर्मास के संयोजन में मंत्री के रूप में श्री सुराणाजी की सेवाएं सराहनीय रही ओर उनकी पहल पर ही प्रतिदिन एक-एक घंटे चौमुखी नवकार मंत्र जाप रखा गया जिसने भक्ति का नया इतिहास रच दिया। उन्होंने श्री कच्छाराजी की सेवाओं की भी सराहना करते हुए कहा कि ऐसे श्रावक जिस संघ में हो वहां हर कार्य सफल होता है।
सवा लाख लोगस्स की महाआराधना 2 अक्टूबर को
चातुर्मास में भगवान पार्श्वनाथ की स्तुति में 22 सितम्बर को सुबह 11 बजे से छह घंटे तक मंगलकारी उवसग्गर स्रोत की आराधना की जाएगी। आराधना में हर घंटे कम से कम 27 श्रावक-श्राविका अवश्य मौजूद रहेंगे। इसी तरह 29 सितम्बर को व्रति श्रावक दीक्षा समारोह होगा। इसमें श्रावक-श्राविकाएं 12 व्रत में से न्यूनतम एक व्रत की दीक्षा ग्रहण करेंगे। चातुर्मास में 2 अक्टूबर को सवा लाख लोगस्स की महाआराधना होगी। आयम्बिल तप के महान आराधक पूज्य गुरूदेव भीष्म पितामह राजर्षि सुुमतिप्रकाशजी म.सा. की जयंति 9 अक्टूबर को आयम्बिल दिवस के रूप में मनाई जाएगी।
निलेश कांठेड़
मीडिया समन्वयक, समकित की यात्रा-2024
मो.9829537627