भक्त ही करता भगवान की पहचान,सच्ची भक्ति से परमात्मा की प्राप्ति-इन्दुप्रभाजी मसा…. जीवन में अब भी धर्म नहीं किया तो फिर कब करेंगे- चेतनाश्रीजी मसा

भक्त ही करता भगवान की पहचान,सच्ची भक्ति से परमात्मा की प्राप्ति-इन्दुप्रभाजी मसा…. जीवन में अब भी धर्म नहीं किया तो फिर कब करेंगे- चेतनाश्रीजी मसा

सूरत गुजरात (अमर छत्तीसगढ) ,20 सितम्बर। भक्त ही भगवान की पहचान कराता है। हमारी भक्ति सच्ची होती है तो परमात्मा की प्राप्ति अवश्य हो जाती है। भक्ति में भक्त की भावना सबसे महत्वपूर्ण होती है। हमारी शुद्ध भाव से की गई व्यक्ति अवश्य सार्थक होकर परमात्मा की प्राप्ति का मार्ग दिखाती है। स्वार्थ भाव से किए जाने वाले कार्य कभी भक्ति नहीं हो सकते है। भक्ति हमेशा निस्वार्थ भाव से होती है।

ये विचार मरूधरा मणि महासाध्वी जैनमतिजी म.सा. की सुशिष्या सरलमना जिनशासन प्रभाविका वात्सल्यमूर्ति इन्दुप्रभाजी म.सा. ने शुक्रवार को श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ गोड़ादरा के तत्वावधान में महावीर भवन में आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि रामजी के परम भक्त हनुमानजी थे। रामजी ओर हनुमानजी दोनों चर्म शरीरी थे फिर भी मोक्ष में गए। स्वयं की निंदा करने से परहेज नहीं करे ऐसा करने वाला व्यक्ति महान होता है।

दूसरों की खामियां देखने की बजाय अपनी कमियों पर ध्यान देना चाहिए। धर्मसभा में आगम मर्मज्ञा डॉ. चेतनाश्रीजी म.सा. ने कहा कि हमारा जीवन बीतता जा रहा है पर अब भी धर्म नहीं किया तो फिर कब करेंगे। धर्म की शरण में जाने पर ही जीवन का कल्याण हो सकता है। जब तक शरीर में आत्मा है उसकी उपयोगिता है एक बार आत्मा शरीर का त्याग कर दे तो फिर उसका कोई महत्व नहीं रह जाएगा।

उन्होंने कहा कि जीवन में मर्यादा का बहुत महत्व है। उन्होंने कहा कि नारी जब तक मर्यादा में रहती है तब तक ही वह नारी होती है। मर्यादा त्याग करने का परिणाम हमेशा अनर्थकारी होता है। जीवन में सुख शांति बनी रहे इसके लिए हमेशा धर्म की प्रभावना करते रहना चाहिए।

सेवाभावी दीप्तिप्रभाजी म.सा. ने भजन ‘मैं तो जपू सदा तेरा नाम दयालु दया करो’ की प्रस्तुति दी। धर्मसभा में रोचक व्याख्यानी प्रबुद्ध चिन्तिका डॉ. दर्शनप्रभाजी म.सा.,तत्वचिंतिका आगमरसिका डॉ. समीक्षाप्रभाजी म.सा. एवं विद्याभिलाषी हिरलप्रभाजी म.सा. का भी सानिध्य प्राप्त हुआ। महासाध्वी मण्डल के सानिध्य में तपस्याओं का दौर भी निरन्तर गतिमान है। एक तपस्वी द्वारा 21 उपवास की गुप्त तपस्या भी रही। उपवास, आयम्बिल,एकासन आदि के प्रत्याख्यान भी लिए गए।

प्रवचन में छह लक्की ड्रॉ भी निकाले गए। सूरत के विभिन्न क्षेत्रों के साथ ब्यावर,भीलवाड़ा,बड्डू आदि स्थानों से पधारे श्रावक-श्राविकाएं भी धर्मसभा में मौजूद रहे। बाहर से पधारे सभी अतिथियों का स्वागत श्रीसंघ एवं स्वागताध्यक्ष शांतिलालजी नाहर परिवार द्वारा किया गया। संचालन श्रीसंघ के अरविन्दजी नानेचा ने किया।

श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, लिम्बायत, गोड़ादरा, सूरत
सम्पर्क एवं आवास व्यवस्था संयोजक-
अरविन्द नानेचा 7016291955
शांतिलाल शिशोदिया 9427821813

प्रस्तुतिः अरिहन्त मीडिया एंड कम्युनिकेशन,भीलवाड़ा
मो.9829537627

Chhattisgarh