आचार्य सुंदरसागरजी महाराज को राजस्थान सरकार ने प्रदान किया राज्य अतिथि का दर्जा…. जिनवाणी सुनकर भी मन के पाप नहीं मिटे तो दुर्गति होना तय- आचार्य सुंदरसागर महाराज

आचार्य सुंदरसागरजी महाराज को राजस्थान सरकार ने प्रदान किया राज्य अतिथि का दर्जा…. जिनवाणी सुनकर भी मन के पाप नहीं मिटे तो दुर्गति होना तय- आचार्य सुंदरसागर महाराज

भीलवाड़ा राजस्थान(अमर छत्तीसगढ) , 20 सितम्बर। शहर के शास्त्रीनगर हाउसिंग बोर्ड स्थित सुपार्श्वनाथ पार्क में श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के तत्वावधान में चातुर्मास कर रहे राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागरजी महाराज को राजस्थान सरकार ने राज्य अतिथि का दर्जा प्रदान किया है। भीलवाड़ा विधायक अशोक कोठारी ने इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र भेंजकर मांग की थी। इसके बाद राज्य के सामान्य प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किए है। आदेश की प्रति भीलवाड़ा जिला कलक्टर एवं पुलिस अधीक्षक को भेज निर्देश दिए गए है कि आचार्य सुंदरसागरजी महाराज के लिए राज्य अतिथि के प्रोटोकॉल के अनुरूप व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाए । जिला कलक्टर एवं पुलिस अधीक्षक ने अधीनस्थ अधिकारियों को इस बारे में निर्देश जारी कर दिए है।

समिति के मीडिया प्रभारी भागचंद पाटनी ने बताया कि आचार्य सुंदरसागरजी महाराज को राज्य अतिथि का दर्जा प्रदान करने के लिए जैन समाज एवं श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति ने विधायक अशोक कोठारी के प्रयासों की सराहना करते हुए उनका एवं मुख्यमंत्री भजनलालजी शर्मा का आभार व्यक्त किया है।

इधर,चातुर्मासिक(वर्षायोग) वर्षायोग प्रवचन के तहत शुक्रवार को राष्ट्रीय संत दिगम्बर जैन आचार्य पूज्य सुंदरसागर महाराज ने कहा कि जिनवाणी सुनकर भी यदि मन का पाप नहीं मिटता है तो दुर्गति होना तय है। जिनवाणी सुनते-सुनते यदि नींद आ रही है तो दुर्गति में जाने की राह खुलती है। जिनवाणी के रूप में भगवान महावीर की पावन देशना जन-जन के लिए कल्याणकारी है।

राग द्धेष से रहित प्रत्येक वाक्य जन-जन के लिए हितकारी है। जिनकी आत्मा से प्रीति हो जाती है वहीं जिनवाणी सुनने के पात्र हो जाते है। उन्होंने कहा कि यदि कर्म हमे सताते है तो समझ लेना चाहिए हमे जिनवाणी नहीं सुहाती है। मोह, राग,द्धेष जब हावी हो जाते है तो जिनवाणी अच्छी नहीं लगती है। आचार्यश्री ने कहा कि मोहनी कर्म का उदय होने पर अपने भावों को नहीं बदल सकते। मन विषयों में डोल रहा है तो समझ लेना दुर्गति का बंध हो गया।

जिनवाणी सुनने का सौभाग्य विरलों को ही प्राप्त होता है। आत्मा के रोग दूर करने के लिए जिनेन्द्रदेव के वचन परम औषधि है जो श्रद्धाभाव होने पर सुनने को मिलते है। अमृत तुल्य इस औषधि का सेवन करने वाला अमर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति कर्मो का क्षय करके मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। भाव अच्छे होने पर सुगति का बंध होता है। आत्मा की सफाई करने वाला मुनि बन जाता है।

श्री महावीर दिगम्बर जैन सेवा समिति के अध्यक्ष राकेश पाटनी ने बताया कि सुभाषनगर जैन समाज ने आचार्यश्री को श्रीफल भेंट कर सुभाषनगर पधारने की विनती की। सभा के शुरू में श्रावकों द्वारा मंगलाचरण,दीप प्रज्वलन,पूज्य आचार्य गुरूवर का पाद प्रक्षालन कर उन्हें शास्त्र भेंट व अर्ध समपर्ण किया गया। संचालन पदमचंद काला ने किया। महावीर सेवा समिति द्वारा बाहर से पधारे अतिथियों का स्वागत किया गया।

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