रायपुर (अमर छत्तीसगढ़) 27 अक्टूबर। आड़ा आसान त्यागी सामायिक स्वाध्याय के प्रणेता शीतल राज मसा ने पुजारी पार्क मानस भवन में आयोजित प्रवचन में आज विभिन्न उत्तराध्यान सूत्र की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा समय का उपयोग कर केवल ज्ञान प्राप्त करें, स्वाध्याय करें । ज्ञानी महापुरुषों ने आचार्य मिलकर स्वाध्याय को भी प्रायश्चित का रूप बताया ।
ज्ञानी महापुरुषों ने कहा स्थिर दिमाग से ही स्वाध्याय होगा। समय का उपयोग करें, दुरूपयोग नहीं। समता भाव रखें, अहंकार भी ना हो यह भी परिषक है। ज्ञान बिना विनय नहीं आता।
मुनि श्री ने बताया भगवान महावीर स्वामी ने भी कहा है आने वाला समय को दुख में जानकर 36 अध्ययन के रूप में भव्य जीवो के लिए द्वादसेगी की वाणी में से आत्म कल्याण के लिए देशना को एकत्रित कर भव्य जीवों के सामने आज भी 36 अध्ययन इस वीर निर्माण दिवस पर उच्चारण कर स्वाध्याय करते हैं। आज मूल पाठ के 23 अध्ययन पूर्ण हुए।
मुनि श्री ने अध्ययनों पर बोलते हुए कहा आज सुहागन महिलाओं के हाथों से चूड़ियां ही गायब है, फैशन हो गया है। पहले इसको उतरने वाली को विधवा कहा जाता था। उन्होंने इस पर कुछ ऐतिहासिक दृष्टांत की जानकारी दी। उत्तराध्यान सूत्रों पर बोलते हुए कहा त्याग के बिना साधु की कीमत नहीं है । उन्होंने कहा गुरु जो होते हैं वह अपने ज्ञान में व्यवहार में शिष्य की योग्यता देखकर श्रवण ज्ञान तपस्या के मार्ग में जाते हैं जो आज्ञा दे करें । अपने मन से नहीं करें।
मुनिश्री ने कहा जैन सिद्धांत से अन्य सिद्धांत मेल नहीं खाते साधक बना सरल पर समय का सदुपयोग करें। भगवान महावीर स्वामी ने गौतम स्वामी को संबोधन कर 36 बार बोले । आजकल की युवा पीढ़ी सुनती नहीं है आज किसी को ज्ञान देने का धर्म नहीं। महावीर स्वामी ने अपने शिष्य गौतम स्वामी को संबोधन कर ज्ञान प्रदान किया। उन्होंने 12 अध्ययन पर कहा जैन सिद्धांत में जाति-पत्र रंग रूप का भेद नहीं है । केवल उनकी आत्मा की पहचान की जाती है।
आगामी 30, 31 अक्टूबर एवं 1 नवंबर को तेला कर 108 विरस्तुति का जाप करें। तेला करने वालों का बहुमान सम्मान किया जावेगा ।