सातवें दिन अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु परमेष्ठी प्रत्येक के सौ-सौ अर्ध के साथ कुल 512 अर्ध चढ़ाये गए…. मुझ पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का आशीर्वाद रहा – अमर अग्रवाल…. धैर्य रखने की कला अगर सीखनी है तो जैन समाज से सीखो- कुलपति आलोक चक्रवाल

सातवें दिन अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय एवं साधु परमेष्ठी प्रत्येक के सौ-सौ अर्ध के साथ कुल 512 अर्ध चढ़ाये गए…. मुझ पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का आशीर्वाद रहा – अमर अग्रवाल…. धैर्य रखने की कला अगर सीखनी है तो जैन समाज से सीखो- कुलपति आलोक चक्रवाल

बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) 14 नवंबर। विश्व शांति और सर्वकल्याण की मंगल भावना से श्री 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, क्रांतिनगर बिलासपुर में आयोजित हो रहे श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान के सातवें दिन अरिहंत परमेष्ठी, सिद्ध परमेष्ठी, आचार्य परमेष्ठी, उपाध्याय परमेष्ठी एवं साधु परमेष्ठी प्रत्येक के सौ-सौ अर्ध के साथ कुल 512 अर्ध चढ़ाये गए। ललितपुर से पधारे विधानाचार्य बाल ब्रह्मचारी मनोज भैया के सानिध्य, पंडित मधुर जैन के सहयोग एवं भोपाल के संगीतकार भूपेंद्र जैन एवं उनकी मण्डली के कारण समस्त बिलासपुर इस धार्मिक अनुष्ठान का आनंद लेते हुए धर्मलाभ ले रहे हैं। इस अनुष्ठान में न केवल जैन समाज बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ एवं भारत के कई प्रदेशों से अन्य समाज के लोग भी इस अनुष्ठान में अपनी उपस्थिति देकर पुण्य लाभ ले रहे हैं। इस महायज्ञ के सातवें दिन बिल्हा विधायक धरम लाल जी कौशिक, बिलासपुर विधायक अमर अग्रवाल एवं गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार चक्रवाल ने भी अपनी उपस्थिति दी।

अमर अग्रवाल ने कहा कि मुझ पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का आशीर्वाद भी रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 में क्रांतिनगर जैन मंदिर जी के पंच कल्याणक में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ससंघ का बिलासपुर आगमन हुआ था और मैं उसी समय विधायक बना था, विधायक बनने के बाद उनसे आशीर्वाद लेने के उपरान्त से मैं अनवरत उच्च पद पर आता गया, ये उनके आशीर्वाद का ही नतीजा है।

यही कारण है कि मेरा मानना है कि मुझे जैन समाज से बहुत प्यार, सम्मान और आशीर्वाद मिला है। साथ ही उन्होंने कहा कि आज विश्व में अगर सबसे अच्छी चिकित्सा कोई मानी जाती है तो यह है कि सूर्यास्त से पूर्व भोजन कर लेना और यह नियम तो जैन समाज का हर घर शुरू से मानता है।

धरम लाल कौशिक जी ने कहा कि पूरे प्रदेश को आचार्य श्री विद्यासागर जी का आशीर्वाद रहा है। उन्होंने कहा कि जैन समाज सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः को मानने वाला समाज है और इस अनुष्ठान का आयोजन करके उन्होंने इस वाक्य को चरितार्थ किया है। जैसा कि इस अनुष्ठान का नाम ही है विश्व शान्ति महायज्ञ, अतः अनुष्ठान से इसमें सम्मिलित होने वाले धर्मानुयायियों का जीवन तो सुखमय होगा ही लेकिन इससे पूरे प्रदेश, देश व विश्व में शान्ति आएगी क्योंकि जैन धर्म की संस्कृति है कि पूरे विश्व की मंगल कामना।

कुलपति प्रो. चक्रवाल ने कहा कि गुजरात के एक जैन परिवार ने मेरी धर्मपत्नी को अपनी दत्तक पुत्री मान था, इस नाते मैं जैन समाज का दामाद हूँ और मुझ पर भगवन महावीर स्वामी का बहुत आशीर्वाद है और मैं मानता हूँ कि गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में जो भी समाज सेवा और परमार्थ के कार्य हो रहे हैं वो भगवान महावीर के आशीर्वाद से सम्पन्न हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर जीवन में तप, त्याग, लोक कल्याण की भावना, समर्पण की भावना और शक्ति होते हुए भी धैर्य रखने की कला अगर सीखनी है तो जैन समाज से सीखो। जैन तीर्थंकर और जैन संतों का जीवन इसकी मिसाल है।

सांध्य कालीन आरती एवं प्रवचन उपरांत आयोजित रात्रि धार्मिक अखिल भारतीय कवि सम्मेलन की शुरुआत का आयोजन किया गया । जिसकी शुरुआत श्रीमंत सेठ विनोद-रंजना जैन, शकुन जैन एवं विशाल जैन द्वारा दीप प्रज्जवलन से की गई, तत्पश्चात सन्मति विहार पाठशाला के बच्चों द्वारा मंगलाचरण की प्रस्तुति दी गई। कवि सम्मेलन की शुरुआत संदीप जैन द्वारा बाहर से आए हुए कवियों के परिचय के साथ हुई।

सर्वप्रथम पिंकी जैन ने आचार्य विद्यासागर जी महाराज के चरणों में अपनी कविता समर्पित की, तदोपरान्त अंगूरी जैन, देविष्ठा, सोना जैन, मंगला जैन एवं नम्रता ने अपनी कविताओं से श्रोताओ को मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ. अरिहंत जैन ने अपनी कविताओं से सबकी वाहवाही लूटी तो जय कुमार जैन ने हास्य कविताओं से सबको खूब हँसाया। प्रदीप जैन ने वीर रस और हास्य रस से श्रोताओं का मनोरंजन किया। जूनियर अहसान कुरैशी के नाम से प्रसिद्ध बिलासपुर के नीरज जैन ने अपनी कविताओं से पूरे कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। पूरे कवि सम्मेलन का सफल संचालन संदीप जैन ने किया।

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