बिलासपुर(अमर छत्तीसगढ) । श्री 1008 आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर क्रांति नगर बिलासपुर में विश्व शांति की मंगल कामना से एवं श्रीमंत सेठ विनोद रंजना जैन एवं समस्त कोयला परिवार बिलासपुर द्वारा आयोजित हो रहे श्री 1008 सिद्ध चक्र महामंडल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ का आठवां दिन सानंद संपन्न हुआ।
अनुष्ठान के प्रथम दिन आठ अर्ध के साथ प्रारंभ एवं प्रतिदिन द्विगुणित होते हुए आठवें दिन 1024 श्लोकों के साथ अर्ध समर्पित किए गए। इस प्रकार अब तक आठ दिन में कुल 2040 अर्ध चढ़ाये गए और जैन समाज का सबसे बड़ा विधान सम्पन्न हुआ। अब कल नौवे दिन हवन किया जाएगा।
ललितपुर से पधारे विधानाचार्य बाल ब्रह्मचारी मनोज भैया एवं पंडित मधुर जी जैन ने बड़े ही सरल तरीके से विधान की व्याख्या करते हुए इस अनुष्ठान को सफलतापूर्वक संपन्न कराया।
इस अनुष्ठान में डॉ. विशाल रेशू जैन को श्रीपाल मैनासुन्दरी, विकास अंकिता जैन को सौधर्म इन्द्र शचि इन्द्राणी, डॉ. अभिषेक वर्षा जैन कुबेर धनश्री, श्रीमंत सेठ प्रवीण शकुन जैन को महायज्ञनायक, श्रीमंत सेठ विनोद रंजना जैन यज्ञनायक, श्रीमंत सेठ प्रमोद सविता जैन यज्ञनायक, शिरीष मंजू जैन इंदौर, सोमेश सपना जैन, राजेन्द्र रश्मि जैन जबलपुर, सतीश सीमा जैन यज्ञनायक, बाहुबली जैन को ईशान इन्द्र, शैलेश शालिनी सिंघई को सनत कुमार इन्द्र, सुकुमार सरिता जैन को माहेन्द्र इन्द्र, भूपेन्द्र संगीता चंदेरिया को व्रद इन्द्र, प्रियंक शिवांगी जैन को लान्तव इन्द्र, डॉ. अरिहंत स्वाति जैन को शुक्र इन्द्र, डॉ. पी. सी. वासल रजनी वासल को सतारेन्द्र, रजनीश जैन को आणत इन्द्र, राजेश संध्या जैन को कपीष्ट इन्द्र, प्रभाष जैन को महाशुक्र इन्द्र, राजेन्द्र चौधरी को सहस्त्र इन्द्र, देवेन्द्र सुमनलता जैन को श्रावक श्रेष्ठी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
मनोज भैया ने आज अनुष्ठान के दौरान कहा कि कोई भी इंसान बड़ा बड़े काम करने से नहीं बनता, बल्कि वह बड़ा बनता है छोटे-छोटे कामों एवं छोटी-छोटी बातों को ध्यान रखते हुए उसे सफलतापूर्वक संपादित करके।
उन्होंने अपने इस वाक्यांश के उदाहरण में इस विधान के पुण्यार्जक श्रीमंत सेठ विनोद रंजना जैन का नाम लेते हुए कहा कि इतना बड़ा अनुष्ठान आयोजित करने के बाद भी विनोद में कुछ भी अभिमान नहीं है, वह इस अनुष्ठान में बिलासपुर के बाहर से सम्मिलित होने वाले हर श्रद्धालु का अभिवादन कर रहे हैं और उनका सम्मान कर रहे हैं। यह छोटी-छोटी बातें ही उनके बड़प्पन को दर्शाती हैं। कोई भी इंसान केवल पैसों से बड़ा नहीं होता बल्कि इन्हीं सब बातों से बड़ा बनता है।
सायंकालीन आरती के पश्चात् आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज सरकंडा जैन मंदिर की तरफ से प्रस्तुति दी गई। सर्वप्रथम प्राशी व खुशी द्वारा शानदार मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया। तदोपरांत सरकंडा पाठशाला की प्यारी सी छोटी सी बच्ची विद्यांशी एवं उसकी माँ क्षिप्रा द्वारा सिद्ध की आराधना पर एक मनोहरी मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया।
इस मंगलाचरण के पश्चात सरकंडा जैन पाठशाला के बच्चों द्वारा जैन धर्म की बारह भावनाओं के बारे में बताया गया, इस बारह भावनाओं की प्रस्तुति में चारु, वीर, निवी, हर्ष, अविशी, आन्या, अन्वी, सौम्या, इशिता, अनंत, सिमर, एवं पार्शश्वी ने अपने अभिनय से सबका मन मोह लिया।