(धनराज जैन)
डोंगरगढ़(अमर छत्तीसगढ) 4 दिसम्बर। :-छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन जिला इकाई राजनांदगांव ने जिले के शिक्षकों को अत्याधिक गैर शिक्षकीय में ब्यस्त शामील करने के कारण बच्चों की अध्यापन कार्य प्रभावित होने को लेकर चिंता व्यक्त किया है ।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के जिला पदाधिकारी जिला अध्यक्ष गोपी वर्मा, जिला सचिव जीवन वर्मा, जिला उपाध्यक्ष बृजेश वर्मा, जिला उपाध्यक्ष चंद्रिका यादव, शरद शुक्ला, जिला कोषाध्यक्ष हंस कुमार वर्मा, जिला प्रवक्ता मनोज वर्मा, जिला मीडिया प्रभारी देवेंद्र साहू, रतिराम कन्नौज, राजेश साहू, महेश उईके, संदीप साहू, भारती साहू, पंचशील सहारे, राजकुमारी जैन, नीरज बाला डोंगरे, ब्लॉक अध्यक्ष गिरीश हिरवानी, डोंगरगांव दिनेश कुरैटी, छुरिया मनीष पसीने, डोंगरगढ़ अनिल शर्मा राजनंदगांव ने कहा कि राजनांदगांव जिले में स्कूल शिक्षा विभाग में आये दिन नए-नए कार्यक्रमों व आदेशो के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है जिसको लेकर जिले के शिक्षक संवर्गों में चिंता ब्यक्त किया ।
स्कूलों में छात्रवृत्ति की एंट्री व,दस्तावेज अपलोड कार्य करना पड़ रहा है। वर्तमान सत्र में अपार आई डी की एंट्री कर जनरेट करने का कार्य में शिक्षकों को लगा दिया है शिक्षक अध्यापन कार्य को छोड़कर इसी कार्य में दिनभर लगे हुए हैं। परख परीक्षा की माक टेस्ट लेकर जांचना व नम्बर ऑनलाइन एंट्री ने शिक्षकों के लिए बला बना हुआ है।
जिसके कारण पखवाड़े भर अध्यापन कार्यक्रम ठप है। तो दूसरी ओर शिक्षक को दो दिवस ऑनलाइन प्रशिक्षण तीन दिवस खैरागढ़ में आफ लाईन प्रशिक्षण प्रांरभ किया गया है जिसके कारण विषयो की पढ़ाई बंद है। तो वही कार्यालय राजनांदगांव के द्वारा जिले में साइंस विषय को विशेष महत्व दिया जा रहा है,जिसके लिए विषय विशेषज्ञो के माध्यम से बच्चों को ब्लाक मुख्यालयों में कोचिग कराने कई तैयारी चल रहा है।
इस विषय की शिक्षको को कार्यशाला बुलाई जा रही है।शिक्षको नही होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।यह सब गैर शिक्षकीय कार्य बच्चो के अध्यापन के लिए व्यवधान का मुख्य कारण बन गया है। इन सब के लिए शिक्षक को सतत् मोंबाइल में चिपक कर रहना पड़ता है। ताकी कोई जानकारी छूट न जाए।
यदि जानकारी कहीं छूट गया तो स्पष्टीकरण व बचाव के लिए कार्यालय का चक्कर लगाते रहो। ऐसे भी ज्यादातर शासकीय विद्यालय शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है, जिसका अध्यापन व्यवस्था पर प्रतिकुल असर पड़ रहा है।
विभागीय उच्चाधिकारियों के लिए यह विचारणीय विषय है। ऐसे में स्कूलो में बच्चो को अनुशासित रखने व बच्चो को इन समस्याओ का सार्थक समाधान आवश्यकता हो गया है।