रायपुर (अमर छत्तीसगढ) 1 दिसम्बर। जैन धर्म में विशेष स्थान प्राप्त जिसके प्रत्येक पद्म का अपना विशेष महत्व है साथी ही महामंगल कारी, विघ्न-विनाशक, कष्टहारी, जीवन की अनेक जटिल समस्याओं के निवारण की है क्षमता जिसमें ऐसे भक्तामर स्तोत्र आधारित “रिद्धिमंत्र दिव्य महा अनुष्ठान” का आयोजन आज दिनांक 30/12/2024 को सुबह 9 से 10 बजे तक रायपुर स्थित तेरापंथ अमोलक भवन में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, रायपुर द्वारा आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या समणी निर्देशिका विपुल प्रज्ञा जी व समणी आदर्श प्रज्ञा जी के सान्निध्य में एक-एक पद्म को सचित्रण प्रोजेक्टर के माध्यम से दिव्य मंत्रों के साथ समुच्चारित कराते हुए किया गया।
अनुष्ठान में समणी विपुल प्रज्ञा जी ने उपस्थित अनुष्ठान आराधकों को बताया कि भक्तामर स्तोत्र की रचना जिनशासन कि प्रभावना करने के लिए आचार्य मानतुंग सुरी जी ने कि। समणी जी ने आगे बताया कि भक्तामर का चमत्कार व महिमा अपरंपार है। भक्तामर स्तोत्र में 52 पद्म है परंतु 4 पद्म अति प्रभावकारी है जिसका दुरुपयोग न हो इस कारण वर्तमान समय में इसके 48 पद्यों उल्लेख मिलता है या उसका का संगान किया जाता है।
आज भी यदि कोई भी साधक पूर्ण मनोभाव से यदि इसकी स्तुति करता है तो उसे इसके प्रभाव का भान हो जाता है। अनुष्ठान में विशेष रूप से गौतम गोलछा, नवरतन डागा, नेहा जैन, वीरेंद्र डागा, मधुर बच्छावत, श्याम जिंदल, अभय गोलछा उपस्थित रहे।