बैतूल (अमर छत्तीसगढ) 19 जनवरी। 19 जनवरी 1948 को जोधाणा (सूर्य नगरी) निवासी श्री सुकनराजजी सिंघवी परिवार में श्री मदनराजजी- मीमकवर देवी के यहाँ अदभुत विलक्षण प्रतिभा संपन्न बालक का जन्म हुवा जो इस जिन शासन के गौरव रत्न के रूप मे शीतलराजजी म.सा. के नाम से देश-विदेश मे अपनी साधना शैली के लिए विख्यात है.
पूज्य गुरुदेव श्री शीतलराजजी म.सा. की जिनेश्वर देव के प्रति अटूट दृढ़ आस्था व विश्वास है. जिन अर्थात जिन्होंने राग द्वेष पर विजय प्राप्त कर ली.जिनेश्वर देव की भक्ति करना, उनके समान बनने की कामना करने के समान है.
युवा अवस्था मे अपने सपनो को पूरा करने के लिए जिन मार्ग पर चलने का संकल्प लिया. संयम लेना सरल है पर उसका पालन करना कन्टकाकिर्ण मार्ग जैसा दुष्कर्य कार्य है. पूज्य गुरुवर्य आचार्य श्री हस्तिमलजी म.सा. के प्रति निष्ठा श्रद्धा अतुलनीय है.
गुरु आज्ञा के लिए सदैव तत्पर व सजग रहते हुए,अपनी साधना को उच्चता की ओर ले जाने के लिए आत्म बल के साथ आगे बढ़ते रहे हैं. महाव्रतो का पालन करते हुए साधना की ओर दृढ़ संकल्पित है. आत्म हित की साधना- आराधना ही जिनेश्वर देव की भक्ति है. सूर्य आतापना, आड़ा आसान न करना, मौन व्रत,आजीवन पौरसी तप, आपके दृढ़ चारित्रिक संयमी जीवन का अंग है.
सामायिक आराधना के साथ संस्कारमय जीवन जीने की कला का सिखाते हुए, जन जन तक पहुंचाने का प्रबल पुरुषार्थ आपश्री कर रहे है.
विश्व पटल के साथ ही चिकित्सा विज्ञान आपकी कठोर संयमी जीवन शैली को चुनौती के रूप मे देखता है. मत,पंथ, सम्प्रदाय वाद, से परे णमो लोए सव्वसाहुनम पर आप प्रेरणा देते हैं. आचार्य भगवन्त एवं अनेक चारित्र आत्माओं ने समय-समय पर आपको अनेक पदों से विभुषित किया है ।।
पूज्य गुरुदेव का सामायिक-स्वाध्याय की प्रेरणा देने का विशेष प्रयास रहता है. आपके श्रीमुख से निकली वाणी अकाट्य होती है. इसीलिए वाणी लब्धिधारी के नाम से भी आपको जाना जाता है. पंच महाव्रत धारी की सम्पन्नताओं से परिपूर्ण आपका जीवन सरल व सादगी पूर्ण है. 78 वें वर्ष में प्रवेश की शुभ बेला में मंगल कामना है कि आप दीर्घायु हो, शतायु हो, आपका मंगलमय आशीर्वाद हम सभी को इसी तरह मिलता रहे.
प्रकाशचंद बाघरेचा बालाघाट
महामंत्री
श्री अखिल भारतीय सामायिक स्वाध्याय संघ