खैरागढ़(अमर छत्तीसगढ) । जिला पंचायत चुनाव को लेकर इन दिनों रस्साकसी जारी है। खैरागढ़ विधानसभा की राजनीति की चर्चा पूरे प्रदेश में रहती है। अविभाजित मध्यप्रदेश हो छत्तीसगढ़ के बनने के उपरान्त भी राजनीति का दबदबा रहा है। लंबे अरसे तक यहां की राजनीतिक कमान राज परिवार के हांथो रहा है।
जिसमे एक वक्त ऐसा भी आया जब राजा वीरेन्द्र बहादुर विधायक और रानी पद्मावती सांसद रहीं। खैरागढ़ राजपरिवार की दूसरी पीढ़ी से राजा वीरेन्द्र बहादुर सिंह के पुत्र शिवेन्द्र बहादुर सिंह राजनांदगांव से तीन बार सांसद रहे।
1998 में कांग्रेस ने उनको टिकट नहीं दी। जनता दल की टिकट से उन्होंने चुनाव लड़ा पर इस चुनाव में कांग्रेस के मोतीलाल वोरा की जीत हुई। खैरागढ़ राजपरिवार के दूसरे बेटे रविन्द्र बहादुर सिंह की पत्नी रानी रश्मिदेवी सिंह खैरागढ़ से 1995 से लेकर 1993 में हुए चुनाव में जीतकर चार बार विधायक रहीं।
उनके निधन के बाद हुए उपचुनाव में उनके पुत्र देवव्रत सिंह विधायक बने। देवव्रत सिंह छत्तीसगढ़ प्रदेश के प्रथम युवक कांग्रेस अध्यक्ष ,सांसद ,राष्ट्रीय प्रवक्ता जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रहे है। 4 नवम्बर 2021 खैरागढ़ के लिये काला इतिहास बन गया और राजा देवव्रत सिंह के निधन से राजपरिवार एक दिप सहित राजनीतिक सितारा का अंत हो गया।
इसके बाद राजपरिवार में राजनीतिक विराम लग गया। इसी बीच अब विराम को खत्म करने देवव्रत की बेटी राजकुमारी शताक्षी सिंह अब जिला पंचायत चुनाव में कदम बढाकर पिता की राजनैतिक विरासत को सम्भालने का मन बना ली है। क्षेत्र क्रमांक 9 जालबांधा से नामांकन दाखिल करेंगी।
शताक्षी सिंह की अगर बात करे तो पिता के साथ लगातार दौरे में रही है यही नही पिता स्व देवव्रत सिंह ने खुद उन्हें जनमानस के बीच लेकर जाते और परिचय कराते थे। शताक्षी के व्यवहार में भी पिता तो कोई दादी रश्मि देवी सिंह के अख़्स को याद कर रहा है। ऐसे में उतनी ही सहज है।कुशल व्यवहार के साथ ही मिलनसार भी है।
वर्तमान में एलएलबी की स्टूडेंट हैं बता दे की क्षेत्र में लगातार जन सम्पर्क कर रही है। शताक्षी की राजनीतिक एंट्री से समर्थकों में खासा उत्साह दिख रहा है। जो उनके साथ कदम से कदम मिलाकर चल रहे हैं