धर्म से विहिन व्यक्ति पशु के समान है- पंडित अर्पित

धर्म से विहिन व्यक्ति पशु के समान है- पंडित अर्पित


राजनादगांव(अमर छत्तीसगढ) 3 मार्च। धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की कथा विस्तार से बताते हुये यज्ञ की महत्ता बताई। सती चरित्र की कथा का वर्णन करते हुये आचार्य श्री ने कहा की यज्ञ भगवान नरायण का ही स्वरूप है इसिलिये यज्ञ पूरा होने पर हम यज्ञ नारायण भगवान की जय कहा करते है।

जब व्यक्ति अपने प्रत्येक क्रिया को प्रभु चरणों में निवेदित कर देता है तब वह क्रिया यज्ञ बन जाती है। सफाई कर्मी सफाई करते समय धन के लिये नही वरन आम लोगों के स्वास्थ्य के प्रति ध्यान रखते हुये यह भाव रखता है कि मैं राष्ट्र कार्य कर रहा हूॅ तब उसका यह कार्य यज्ञ बन जाता है। मजबूरी में कभी कोई काम ना करें मजबुरी में किया काम मजदूरी बन जाता है।

आनंद के साथ किया गया कार्य परमेश्वर की प्राप्ति का कारण बन जाता है। सर्व कल्याण के लिये किया गया कार्य यज्ञ है। जो परमेश्वर को प्राप्त होता है। उक्त उदगार आज श्री अग्रसेन भवन में आयोजित श्रीमदभागवत महापुराण सप्ताह के चतुर्थ दिवस व्यासपीठ पर विराजित अंचल के सुप्रसिद्ध भगवताचार्य पंडित अर्पित भाई शर्मा ने व्यक्त किये।


पंडित अर्पित भाई शर्मा ने आगे कहा कि दुनिया का नाम संसार है। संसार का तात्पर्य है जो पल- पल सरक रहा है। हमारे पूर्वजों के कारण आज सनातन संस्कृति जीवित है। संस्कार का तात्पर्य है जो हमें श्रेष्ठ बनाये। मनुष्य खाता, सोता है उसी तरह पशु भी खाते है, सोते हैं। किन्तु एक मात्र धर्म है जो मनुष्य को पशु से अलग करता है।

जो व्यक्ति धर्म से विहिन है वह पशु के समान है।धर्म केवल पूजा नही है वरन दया करना, निर्धन की सेवा करना धर्म है। धर्म से अर्थ की ओर बढ़ते है तब अधर्म सामने आता है। झुठ, दंभ, हिंसा, माया, गाली ये अधर्म के लक्षण है।

धर्म से कमाया धन सेवा कार्य में लगाकर अग्रवाल समाज पूरे देश में अनेक सेवा कार्य कर रहा है। लोक कल्याण की सेवा चल रही है। यह अभिनंदनीय है यह अर्थ का सदुयोग है।
पूज्य शर्मा ने कहा कि बच्चों को धर्म से जोडें धर्म से अर्थ होना चाहिये। धुव्र चरित्र की कथा का वर्णन करते हुये कहा कि उत्तानपाद की दो पत्नियां सुनिती एवं सुरूचि थी। सुनिती का अर्थ है धर्म के अनुसार चलना वहीं सुरूचि का तात्पर्य है अपने मन में आये वह करना।

हमें धर्म का पालन करने सुनिती के मार्ग पर चलना चाहिये। जिसके पास जितनी मोअी चैन होती है। वह उतना बेचैन रहता है। सासांरिक धन एक ना एक दिन नष्ट होता ही है। किन्तु धर्म से कमाया धन कभी नष्ट नही होता। जब हम धर्म का कार्य करते है तब अनेक बाधायें आती है। किन्तु हम अगर उन बाधाओं को पार कर लेते है। तो परमेश्वर की प्राप्ति का मार्ग प्रस्सत हो जायेगा।

जड़भरत की कथा को विस्तार से बताते हुये उनहोनें कहा कि वे केवल प्रभु भक्ति में लीन रहते थे। जब उन्हें मॉ काली के समक्ष बलि देने के लिये लाया गया तब उनकी भक्ति को देखकर मॉ कालि स्वयं प्रकट हो गई और उन्हें आशीर्वाद दिया।


श्री शर्मा ने सूर्य गति, नवग्रह गति का वर्णन करते हुये प्रभु के विराट स्वरूप का दर्शन का वर्णन करते हुये 28 नरकों का वर्णन सुनाया। राजा परिक्षित नरकों का वर्णन सुनकर भयभीत हो गये। तब सुकदेव जी ने कहा की इससे उबरने का सबसे सरल उपाय है भगवन नाम संकीर्तन।

यह समस्त पापों से मुक्ति दिलाने वाला है। जिस प्रकार रूई के ढेर को एक छोटी सी चिंगारी जलाकर राख कर देती है उसी प्रकार अनेक पापों के ढेर को भगवन नाम संकीर्तन जलाकर नष्ट कर देता है।


कथा प्रसंग को आगे बढाते हुये आचार्य श्री ने भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन अवतार से जुड़ी कथा की विवेचना की। भगवान विष्णु ने बौने ब्राम्हण का रूप धारण करे जन्म लिया । असुरों के राजा बलि ने अपने तपों बल से तीन लोक में अधिकार कर लिया था। वामन देव ने बलि से दान में तीन पग मांगे एक पग में पृथ्वि, दुसरे पग में स्वर्ग नाप लिया।

तीसरे पग के लिये कोई जगह नही बची थी तब वामन देव ने बलि के सिर पर अपना तीसरा पग रखा इस दौरान वामन अवतार की सजीव झांकि प्रस्तुत की गई। नरसिंह अवतार की कथा का वर्णन करते हुये श्री शर्मा ने कहा की प्रहलाद के वाणी की रक्षा करने के लिये नरसिंह स्वरूप में खंबें से प्रकट हुये एवं हिरणकश्यप का वध किया।

श्री राम जन्म की कथा बताते हुये कहा की जब -जब धरती पर अनाचार एवं अन्याय बढता है तब पृथ्वि पर सर्वजन लोक हितार्थ विविध रूपों में नारायण जन्म लेते है। श्री शर्मा ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को श्रीराम के आदर्शो को जीवन में उतारना चाहिये। विषय को आगे बढाते हुये श्री कृष्ण जन्म का सविस्तार वर्णन किया।

आज श्री कृष्ण जन्मोत्सव होने के कारण अग्रवाल महिला मंडल द्वारा कथा स्थल को भव्य स्वरूप में गुब्बारों से सजाया गया था। कृष्ण जन्म के प्रसंग के समय सभा गृह में उपस्थित सभी मातृशक्ति भावविभोर होकर नृत्य करने लगी। महिला मंडल ने इस दौरान उपस्थित सभी भक्तों को बधाईयां बांटी।

अग्रवाल सभा, अग्रवाल महिला मंडल, अग्रवाल नवयुवक मंडल द्वारा आयोजित श्रीमदभागवत महापुराण कथा के चतुर्थ दिवस कथा श्रवण हेतु जिला कलेक्टर संजय अग्रवाल की माताजी तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमती निकीता अग्रवाल उपस्थित हुई। इसी तरह छत्तीसगढ प्रांतीय अग्रवाल संगठन के संरक्षक श्री नेतराम अग्रवाल, आई डी मित्तल ,महिला संगठन की प्रांतीय उपाध्यक्ष हेमलता मित्तल ,गायत्री देवी अग्रवाल सहित अनेक भक्त भिलाई से कथा श्रवण हेतु पधारें।

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