ड्रग इंस्पेक्टर चमत्कारिक चिकित्सा का दावा और भ्रामक विज्ञापनों के विरुद्ध कार्यवाही करें – इफ़्फ़त आरा

ड्रग इंस्पेक्टर चमत्कारिक चिकित्सा का दावा और भ्रामक विज्ञापनों के विरुद्ध कार्यवाही करें – इफ़्फ़त आरा

निमोरा(अमर छत्तीसगढ) 21 मार्च।

राज्य प्रशासनिक अकादमी, निमोरा में छतीसगढ़ के सभी जिलों के आयुर्वेदिक ड्रग इंस्पेक्टर के लिये दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन छतीसगढ़ के ड्रग्स टेस्टिंग लेबोरेट्री एवं अनुसंधान केन्द्र द्वारा किया गया। इस केन्द्र के कन्ट्रोलर प्रो. डॉ. हरीन्द्र मोहन शुक्ला ने एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी है।

कार्यशाला का विषय था “औषधि गुणवत्ता संवर्धन”
प्रथम दिवस कार्यक्रम का शुभारंभ आयुष के संयुक्त संचालक डॉ सुनील कुमार दास ने भगवान धन्वन्तरि पूजन एवं दीप प्रज्वलन कर किया। अपने उद्बोधन में संयुक्त संचालक डॉ सुनील कुमार दास ने त्रैमासिक लक्ष्य के अनुसार औषधि सैम्पल परीक्षण के लिये भेजने पर जोर दिया, जिससे पूरे वर्षभर औषधि परीक्षण का कार्य सुगमता से हो सके। वर्षान्त में एक साथ सैम्पल भेजने से बचने की सलाह भी डॉ दास ने दिया।
अधिवक्ता एवं सेवा निवृत्त विधि अधिकारी, खाद्य एवं औषधि प्रशासन ए. के.पाण्डेय ने ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की जानकारी देते हुए नकली दवा, मिलावटी दवा एवं दूसरे ब्रांड नाम का प्रयोग करने वाले कंपनियों के विरूध्द कार्यवाही कैसे करना चाहिए की जानकारी प्रदान किया।

डॉ मनोज दास ने फार्मेकोविजिलैंस और चिकित्सा सम्बन्धी विभिन्न भ्रामक विज्ञापनों की जानकारी देते हुए इसे ग़ैरक़ानूनी बताया । राज्य औषधि विश्लेषक डॉ. के. एस. करभाल, खाद्य एवं औषधि प्रशासन के राज्य अनुज्ञापन अधिकारी बसंत कौशिक ने औषधि संग्रहण के समय आवश्यक सावधानी के संबंध में जानकारी दी।

जिससे न्यायालय में विधिक कार्यवाही में त्रुटि से बचा जा सके। ड्रग इंस्पेक्टर डॉ परमानंद वर्मा, ड्रग्स टेस्टिंग लेबोरेटरी के डॉ नागेंद्र चौहान एवं अरुण परिहार ने भी अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
ड्रग्स टेस्टिंग लेबोरेटरी के कंट्रोलर डॉ. हरीन्द्र मोहन शुक्ला ने लेबोरेटरी का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि पहले केवल पंद्रह पैरामीटर में औषधियों का परीक्षण होता था वहीं अब पैतालीस से अधिक पैरामीटर में परीक्षण की सुविधा उपलब्ध है।

ड्रग्स टेस्टिंग लेबोरेट्री द्वारा किये जा रहे परीक्षणों एवं अन्य गतिविधियों सहित लैब में उपलब्ध सुविधाओं से भी अवगत कराया। लाइसेंसिंग अधिकारी एवं उप संचालक डॉ. ए. सी. किरण तिग्गा ने औषधि सैम्पल अमानक पाए जाने पर निर्माता कंपनी के विरुद्ध विधिक कार्यवाही में विलंब नहीं करने तथा विलंब से बचने के लिए विधि अधिकारी से संपर्क कर उचित मार्गदर्शन लेने की सलाह दिया।
कार्यशाला के अंतिम सत्र में संचालक आयुष इफ़्फ़त आरा, आई.ए. एस. ने बताया कि बाज़ार में डाईबिटिस, अस्थमा, अर्थराइटिस आदि बीमारियों की मिलावटी आयुर्वेदिक दवा बेचे जाने की जानकारी मिली है, इनके विरुद्ध योजनाबद्ध तरीके सैम्पल जप्त करने की कार्यवाही करें और शीघ्रता से सैम्पल जांच उपरांत अमानक पाये जाने पर नियमानुसार विधिक कार्यवाही करें। साथ ही संचालक आयुष ने चमत्कारिक चिकित्सा का दावा और भ्रामक विज्ञापनों के विरुद्ध कार्यवाही करने को कहा।


कार्यशाला में आयुर्वेदिक औषधियों में एलोपैथिक दवा के मिलावट की रोकथाम के लिए कार्ययोजना तैयार की गई, इस हेतु ड्रग इंस्पेक्टर्स को संदिग्ध औषधियों को जब्त करने एवं निर्धारित दस्तावेजी कार्यवाहियों से अवगत कराया गया।

कार्यशाला में लैबोरेटरी के चन्दन साहू , हरेकृष्ण सिन्हा, मिलिंद घोरे, सुषमा मिंज, आराधना तिवारी, सुभाष केरकेट्टा, प्रभावती गिरी, सहित पूरे प्रदेश के आयुर्वेदिक ड्रग्स इंस्पेक्टर सम्मिलित हुए।कार्यक्रम का संचालन डॉ कमलिनी त्रिपाठी ने किया।

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