जनपद पंचायत के सीईओ की मनमानी : बैठक बुलाने पर आदिवासी सरपंच को भेजा नोटिस, पंच- सरपंच और लोग नाराज

जनपद पंचायत के सीईओ की मनमानी : बैठक बुलाने पर आदिवासी सरपंच को भेजा नोटिस, पंच- सरपंच और लोग नाराज

नगरी(अमर छत्तीसगढ़) 18 अप्रैल। धमतरी जिले के विकास खंड नगरी के 102 ग्राम पंचायतों के सरपंच आक्रोशित हैं। ग्राम पंचायत घुटकेल की सरपंच कुसुमलता के ग्राम हित में बैठक बुलाने पर जनपद पंचायत नगरी की मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) ने पंचायती राज अधिनियम की धाराओं का हवाला देते हुए नोटिस थमा दिया। इस एकपक्षीय कार्रवाई को सरपंच संघ ने न केवल अन्यायपूर्ण बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के विरुद्ध बताया और जनपद कार्यालय पहुंचकर कड़ी नाराजगी जताई है।

ग्राम पंचायत घुटकेल की सरपंच कुसुमलता ने गांव की मूलभूत समस्याओं जैसे पेयजल संकट, सफाई व्यवस्था और शासकीय योजनाओं की सुस्त प्रगति पर चर्चा के लिए गांव में एक बैठक आहूत की थी। उन्होंने इस बैठक की सूचना पंचायत के लेटरपैड पर कोटवार के माध्यम से ग्रामीणों तक पहुंचाई। इसी सूचना को जनपद सीईओ ने शासकीय दस्तावेजों के दुरुपयोग और छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम की धारा 87, 89 व 40 का उल्लंघन मानते हुए नोटिस जारी कर दिया। नोटिस में 7 दिवस के भीतर स्पष्टीकरण नहीं देने की स्थिति में निष्कासन की अनुशंसा तक की बात कही गई है।

ग्राम पंचायत के सचिव हड़ताल पर बैठे हैं। गांव में पेयजल संकट व अन्य समस्याओं को लेकर ग्रामीण मुझसे लगातार सवाल कर रहे थे। एक-एक व्यक्ति को जवाब देते-देते मैं मानसिक रूप से परेशान हो चुकी थी। इसलिए सभी को सामूहिक रूप से समझाने के लिए बैठक बुलाई थी। जिसमें सूचना देने के लिए पंचायत लेटरपैड का उपयोग किया। मेरा उद्देश्य केवल जनहित था, किसी प्रकार का दुरुपयोग नहीं। सीईओ द्वारा मुझे नोटिस थमाया गया, उस दिन मेरे परिवार में शादी थी और इस तनाव से पूरा माहौल बिगड़ गया। मैंने अपना लेटरपैड सीईओ को सौंप दिया है और कहा है कि, जब तक लिखित आदेश नहीं मिलेगा, उसका उपयोग नहीं करूंगी।

इस नोटिस के विरोध में सरपंच संघ अध्यक्ष उमेश देव के नेतृत्व में जनपद कार्यालय का घेराव किया गया। संघ ने सीईओ की कार्रवाई को अधिनियम की मनमानी व्याख्या और नव-निर्वाचित जनप्रतिनिधियों का अपमान बताया।
“एक प्रशासक को अपने अधिकार की सीमाएं समझनी चाहिए। सीईओ को ना तो धारा लगाने का अधिकार है, ना ही निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को धमकाने का। विधि संगत कार्यवाही काअधिकार केवल अनुविभागीय अधिकारी (रा.) या जिला कलेक्टर को है। अगर नोटिस वापस नहीं लिया गया और सम्बंधित सरपंच को संतुष्ट नहीं किया गया तो हम लोकतांत्रिक तरीके से कार्यवाही के लिए बाध्य होंगे। यह पंचायतों की स्वायत्तता पर हमला है।”

इस विषय पर भाजपा जिलाध्यक्ष प्रकाश बैस से प्रतिक्रिया मांगी, तो उन्होंने कहा— मैंने इस घटना की जानकारी ली है। जो भी उचित होगा, उस दिशा में आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। भाजपा सरकार की नीति स्पष्ट है कि जब कोई भी जनप्रतिनिधि आमजन के हित में कार्य करता है, तो उसे शासन-प्रशासन की ओर से नियमों के तहत पूर्ण सहयोग मिलना चाहिए। जनप्रतिनिधियों को डराने या दबाव में लेने की प्रवृत्ति बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

सीईओ करुणा सागर से जब संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि यह मामला चर्चा में है, और एक-दो दिनों में समाधान निकल जाएगा।

सरपंचों ने बताया कि वर्तमान में पंचायत सचिवों की हड़ताल के कारण पंचायत के सभी कार्य ठप हैं। ऐसी स्थिति में यदि गांव की समस्याओं पर चर्चा करने के लिए सरपंच बैठक बुलाते हैं तो इसे शासकीय दस्तावेजों का दुरुपयोग बताना न केवल हास्यास्पद है बल्कि गैरजिम्मेदाराना भी। लेटरपैड का उपयोग केवल सूचना देने के लिए हुआ, आदेश जारी करने के लिए नहीं।

ज्ञात हो कि जनपद पंचायत नगरी की मुख्य कार्यपालन अधिकारी को कुछ दिन पूर्व ही जिलाधीश धमतरी द्वारा कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था। यह नोटिस उनके पूर्व के कार्य व्यवहार और प्रशासनिक निर्णयों को लेकर जारी हुआ था।

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