बीजापुर(अमर छत्तीसगढ) 29 अप्रैल। बीजापुर- तेलंगाना की सीमा पर देश का सबसे बड़ा एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इस बीच शांतिवार्ता की कवायद भी तेज हो गई है। वहीं एक बार फिर नक्सलियों ने केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने युद्ध विराम घोषित कर शांतिवार्ता की पेशकश की है।
जारी पत्र में लिखा- पिछले जनवरी 2024 से केंद्र और राज्य के पुलिस, अर्धसैनिक, कमांडो बलों ने ऑपरेशन कगार के नाम से सैकड़ों माओवादियों एवं निर्दोष आदिवासियों की हत्याएं की है। यह अभी भी जारी है, इन हत्याओं का भर्त्सना करते हुए, देश-दुनिया में कई जनवादी, क्रांतिकारी जन संगठनों, पार्टियों, सामाजिक संस्थाओं एवं कार्यकर्ताओं, प्रगतिशील, जनवादी एवं क्रांतिकारी बुद्धिजीवियों ने सैकड़ों की तादाद में आंदोलनरत हैं। उनकी मांग है ऑपरेशन कगार पर फौरन रोक लगाया जाए।
पत्र में लिखा- युद्ध विराम की घोषणा की जाए, सरकार और माओवादी मिलकर वार्ता के जरिए समस्या का हल निकाला जाए। शांति वार्ता को लेकर मैं ने केंद्रीय कमेटी के ओर से 28 मार्च को एक बयान जारी किये थे। इसमें मैंमै ने बताया कि, सरकार के साथ शांति वार्ता करने के लिए हम तैयार है शांति वार्ता के लिए अभी तक मेरे तरफ से जारी की गयी। प्रेस विज्ञप्ति, दंडकारण्य के उत्तर-पश्चिम सबजोनल ब्यूरो की तरफ से कामरेड रूपेष द्वारा जारी की गयी दो प्रेस विज्ञप्तियों को मिलाकर, कुल तीन प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी।
हमारे पीएलजीए बलों की सशस्त्र कार्रवाइयों को रोकने हमारे कामरेडो ने आदेश जारी किए। ऐसी पृष्ठिभूमि में केंद्र व राज्य सरकारें मिलकर झारखंड राज्य में बोकारो हत्याकांड में हमारे केंद्रीय कमेटी के सदस्य कामरेड विवेक आदि कामरेडो की हत्या को अंजाम दीं और चेतावनी दे रही हैं कि, बाकी माओवादी आत्मसमर्पण करें, नहीं तो उनका भी हश्र यही होगा। भारत देश के संविधान में लोगों को जीने का अधिकार जो दिया गया है जिसे स्वयं उनके द्वारा ही कुचला जा रहा है।
वे कहती हैं कि हम संवैधानिक तरीके से चुनी गयी सरकारें हैं पर उसी संविधान का नजरअंदाज कर रही हैं। सरकार कहती हैं कि बंदूक का समाधान बंदूक से ही होगा। छत्तीसगढ़ -तेलंगाना की सीमा इलाके में करेंगुट्टा इलाके का नाकेबंदी कर तेलंगाना, छत्तीगढ़ व महाराष्ट्र से 10 हजार पुलिस, अर्धसैनिक व कमांडो बलों की तैनाती कर 3 दिनों से एक बड़े ऑपरेशन चल रहा। जिसमें न सिर्फ हमारे 3 कामरेडों की हत्या की, बल्कि पार्टी के नेतृत्व की भी हत्या करने की कोशिश कर रही हैं।
एक तरफ सरकार और हमारी पार्टी से बिना शर्त वार्ता करने की कोशिशें की जा रही हैं। ऐसे परिप्रेक्ष्य में इस तरह क्रांतिकारियों और आदिवासियों की हत्याकांडों को ऐसा ही जारी रहने से शांति वार्ता के लिए की जा रही यह प्रक्रिया का कोई मतलब नहीं रहेगा। हमारी पार्टी की केंद्रीय कमेटी केंद्र और राज्य सरकारों से फिर एक बार अपील करती है कि, शांति वार्ता के लिए इन हत्याकांडों पर रोक लगाया जाए। छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश राज्यों में एक समयसीमा के साथ युद्ध विराम की घोषणा की जाए।