भारतमाला परियोजना में घोटाला : आरोपी एसडीएम-तहसीलदार, आरआई, पटवारी समेत आठ 18 दिन से फरार

भारतमाला परियोजना में घोटाला : आरोपी एसडीएम-तहसीलदार, आरआई, पटवारी समेत आठ 18 दिन से फरार

रायपुर(अमर छत्तीसगढ) 11 मई। रायपुर जिले के भारतमाला परियोजना में हुए घोटाले में निलंबित किए गए अभनपुर तहसील क्षेत्र के तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, राजस्व निरीक्षक रोशनलाल वर्मा, पटवारी दिनेश पटेल के अलावा गोबरानवापारा के तत्कालीन नायब तहसीलदार लखेश्वर प्रसाद किरण, पटवारी नायकबांधा जीतेंद्र साहू, पटवारी बसंती घृतलहरे, लेखराम पटेल ग्राम टोकरो के विरुद्ध ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज किया है।

इन सभी के खिलाफ केस दर्ज किए 18 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक इनमें से से एक की भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है जिसके कारण इस घोटाला की जांच भी आगे बढ़ नहीं पा रही है। इधर ईओडब्ल्यू ने इस घोटाले में चार लोगों की गिरफ्तार भी किया है। इन सभी को रिमांड पर लेकर पूछताछ भी की जा चुकी है, लेकिन ईओडब्ल्यू अब तक घोटाला की जड़ तक पहुंच नहीं पाया है। घोटाला की शुरुआत कैसे और कहां से हुई, यह सबसे बड़ा सवाल है, जिसका खुलासा तभी हो पाएगा, जब सभी फरार निलंबित अधिकारी-कर्मचारी ईओडब्ल्यू की गिरफ्त में आएंगे।

इस प्रोजेक्ट का नक्शा एनएचएआई द्वारा तैयार किया गया था। इस नक्शा के आधार पर प्रभावित किसानों की जमीनों का अधिग्रहण कर उन्हें मुआवजा बांटा गया है। इस तरह अधिसूचना जारी होने से पहले अगर प्रोजेक्ट का नक्शा लीक हुआ है, तो यह संभावना जताना भी गलत नहीं होगा कि नक्शा एनएचएआई से लीक हुआ है। सवाल यह है कि नक्शा लीक हुआ है या फिर कराया गया। अगर कराया गया है, तो इस घोटाले में एनएचएआई के कुछ अफसरों के भी शामिल होने की भी संभावना है।

भारतमाला परियोजना घोटाला की जांच जिला प्रशासन के अधिकारियों द्वारा की गई थी। इस जांच रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारत माला परियोजना की अधिसूचना जारी होने के बाद बैंक डेट पर प्रभावित किसानों की जमीनों को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर उनके परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर चढ़ा दिया गया, ताकि जमीन अधिग्रहण के रूप में कई गुना ज्यादा मुआवजा राशि का वितरण किया जा सके। जांच में रिपोर्ट पर जरूर बैक डेट पर किसानों की जमीनों को टुकड़ों में बांटने का उल्लेख किया गया है, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि अधिसूचना जारी होने के पहले ही जमीनों का बटांकन कर दिया गया हो। अगर ऐसा हुआ है तो इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि अधिसूचना जारी होने से पहले ही प्रोजेक्ट का नक्शा लीक हुआ होगा, जिसका फायदा निलंबित हुए अधिकारी-कर्मचारियों के साथ भू-माफिया ने उठाया।

भारत माला प्रोजेक्ट घोटाला में अब तक यह बातें सामने आई हैं कि प्रभावित किसानों की जमीनों को टुकड़ों में बांटकर उन्हें कई गुना अधिक मुआवजा दिलाया गया है। मुआवजा की राशि किसानों के सीधे बैंक खातों में पहुंची भी है, लेकिन बाद में सभी के खातों से उपर के मिले लाखों-करोड़ों रुपए निकाल लिए गए हैं। ये रुपए किसने निकाले, कैसे निकाले, इसकी भी जांच की जा रही है। हालांकि इस घोटाले में उन सभी किसानों की मिलीभगत होने से भी इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि घोटाले की सारी राशि उनके खातों में ही आई है। ऐसे में अभी तक इस घोटाले में प्रभावित किसानों के विरुद्ध न ही केस दर्ज किया गया है और न ही पूछताछ की गई है।

भारतमाला परियोजना में भू-अर्जन करने के नाम पर 48 करोड़ रुपए घोटाला किए जाने के आरोप में ईओडब्लू, एसीबी की टीम ने जिन पांच लोगों को गिरफ्तार किया है, उनसे पूछताछ में घोटाला से जुड़े 14 और नए 14 और नए संदिग्धों के नाम मिले हैं। इनमें जमीन दलाल से लेकर राजस्व विभाग के कर्मचारी अफसर शामिल हैं। इसके अलावा जगदलपुर से लेकर गरियबंद तक इस प्रोजेक्ट में भू-अर्जन करने के नाम पर घोटाला होने की जानकारी ईओडब्लू, एसीबी के अफसरों को मिली है। सूत्रों के मुताबिक जगदलपुर से लेकर गरियाबंद के बीच भू-अर्जन के नाम पर किए गए घोटाले की जांच करने जगदलपुर ईओडब्लू तथा एसीबी की टीम को इनपुट जुटाकर जानकारी ईओडब्लू, एसीबी मुख्यालय भेजे जाने निर्देश दिए गए हैं।

घोटाले में जिन 14 संदिग्धों के नाम सामने आए हैं, ईओडब्लू, एसीबी के अफसर उन्हें नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए तलब कर सकते हैं। जिन नए संदिग्धों के घोटाला में शामिल होने के नाम आए हैं, उनमें से ज्यादातर जगदलपुर, गरियाबंद तथा धमतरी जिले के हैं। भारतमाला परियोजना के लिए भू-अर्जन के नाम पर घोटाले की रकम 48 करोड़ रुपए है। ऐसे में गरियाबंद, जगदलपुर सहित धमतरी में भारतमाला परियोजना के नाम पर भू-अर्जन के नाम पर घोटाला किया गया होगा, तो घोटाले की रकम कई गुना और बढ़ सकती है। ऐसे में जांच का दायरा और बढ़ जाएगा।

भारतमाला परियोजना के लिए किन इलाकों का भू-अर्जन किया जाना है, इसकी जानकारी लीक होने के बाद जमीन दलाल के साथ जमीन कारोबारी सक्रिय हो गए। इसके बाद जमीन दलाल और जमीन कारोबारियों ने राजस्व विभाग के अफसर, पटवारी, आरआई से साठगांठ कर किसानों से कम दर पर जमीन खरीदी और उसे टुकड़ों में बांटकर मोटी कमाई की। रायपुर के बाद जिन और नई जगहों पर भू-अर्जन के नाम पर घोटाले की बात सामने आ रही है, वहां भी रायपुर पैटर्न में गड़बड़ी किए जाने की आशंका है।

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