डीएपी नहीं, तो खेती नहीं – किसानों की अनदेखी कर रही सरकार, खाद संकट से जूझ रहा प्रदेश – विष्णु लोधी

डीएपी नहीं, तो खेती नहीं – किसानों की अनदेखी कर रही सरकार, खाद संकट से जूझ रहा प्रदेश – विष्णु लोधी

डोंगरगढ़(अमर छत्तीसगढ) 30 मई। प्रदेश में किसान एक बार फिर खाद के संकट से जूझ रहे हैं और सरकार गहरी नींद में है। डीपी खाद की भारी तिलक ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वर्तमान सरकार किसानों के हितों के प्रति कितनी संवेदनशील और उदासीन है।

छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में डीएपी खाद की कमी ने सरकार की पोल खोल दी है कि किस प्रकार खाद की भारी कमी के कारण किसान खाली हाथ सोसायटी से लौटने को मजबूर हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक विफलता है, बल्कि सीधे-सीधे किसान विरोधी मानसिकता का परिचायक है।

छत्तीसगढ़ लोधी समाज के प्रदेश कोषाध्यक्ष व वरिष्ठ कांग्रेस नेता विष्णु लोधी ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब मौसम विभाग ने इस वर्ष समय से पहले, 20 जून तक मानसून के आगमन की भविष्यवाणी की है, तब भी सरकार खाद की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं कर सकी। यह स्थिति इस बात का प्रमाण है कि सरकार को किसानों की नहीं, ठेकेदारों और मुनाफाखोरों की चिंता है।

विष्णु लोधी ने तीखे शब्दों में कहा कि जब किसान खेत की तैयारी में जुटे हैं, तब सरकारी गोदाम खाली हैं और कालाबाज़ारी सक्रिय है। खाद के नाम पर लूट हो रही है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। क्या यही ‘न्याय’ है किसानों के लिए? डीएपी का मूल्य 1350 है जिसे बढ़ाकर खुले बाजार में 1700 से 2000 रुपये तक बेच रहे है।

विष्णु लोधी ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही खाद की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की गई, तो किसानों की यह मौन क्रांति अब सड़कों पर दिखेगी और किसान इस उपेक्षा को चुपचाप सहन नहीं करेगी।

विष्णु लोधी ने सवाल उठाया कि –

जब खाद का उत्पादन और भंडारण पहले से तय होता है तो फिर कमी क्यों ?

सरकार ने किस योजना और नियोजन के तहत किसानों को खेती सीजन में निराश किया ?

आखिर क्या कारण है डीएपी खाद व्यापारियों के पास है और सहकारी समितियों में नहीं ?

आखिर कौन जिम्मेदार है इस लापरवाही का ? किसान जानना चाहते हैं।

विष्णु लोधी ने सरकार से माँग की है:

  1. प्रदेश के प्रत्येक सहकारी केंद्र पर डीएपी की तत्काल आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
  2. कालाबाज़ारी पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए और दोषी अधिकारी निलंबित किए जाएं।
  3. खाद की दरों को नियंत्रित किया जाए ।
  4. हर जिले में कृषि नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाए ताकि किसानों की शिकायतों का तत्काल समाधान हो सके।

विष्णु लोधी ने अंत में कहा कि खाद का संकट केवल एक आपूर्ति विफलता नहीं, बल्कि यह किसान की आत्मा पर किया गया सीधा प्रहार है। यह केवल सरकार की नाकामी नहीं, बल्कि उसकी संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।

Chhattisgarh