भारतीय नस्ल की देशी गोवंश ही है हमारी गौमाता-राज्यपाल श्रीमती अनुसूईया उईके , देशी गोवंश के संरक्षण और संवर्द्धन की आवश्यकता है- कुलपति नारायण पुरुषोत्तम

भारतीय नस्ल की देशी गोवंश ही है हमारी गौमाता-राज्यपाल श्रीमती अनुसूईया उईके , देशी गोवंश के संरक्षण और संवर्द्धन की आवश्यकता है- कुलपति नारायण पुरुषोत्तम

खैरागढ़ (अमर छत्तीसगढ़) विगत बुधवार को खैरागढ़ इंदिरा कला संगीत विष्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के अवसर पर पहुंचे राज्यपाल महोदया श्रीमती अनुसूईया उईके का आगमन खैरागढ़ के प्रसिद्ध कामधेनु माता मंदिर मनोहर गौषाला में हुआ। वहाँ पहुंचकर उन्होंने कामधेनु माता की पूजा अर्चना की और आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर माँ पंचगव्य अनुसंधान केन्द्र लीटिया से आर्य प्रमोद व डिलेशवर साहू नें राज्यपाल महोदया से मुलाकात की। गौ पीयूष से निर्मित विशेष स्वास्थ्य रक्षक औषधि भेंट की। अपने विशेष अभियान के अंतर्गत पहुंचे अनुसंधान केन्द्र प्रमुख आर्य प्रमोद नें भारतीय देशी गाय और पूतना काऊ को समझाने का प्रयास किया। राज्यपाल महोदया नें कहा कि, भारतीय देशी गोवंश ही हमारी गौमाता है। हमें इसके संरक्षण और संवर्द्धन करने की आवश्यकता है। उन्होंनें कहा कि आपका प्रयास सराहनीय है, गौमाता की सेवा सबसे बड़ी सेवा है।

मनोहर गौषाला में आयोजित कार्यक्रम में पधारे कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा दुर्ग के कुलपति श्री नारायण पुरुषोत्तम दक्षिणकर ने कहा कि, कामधेनु विश्वविद्यालय अंजोरा लंबे समय से भारतीय देशी गोवंश के ऊपर ही षोघ कार्य कर रहा है। भारतीय नस्ल की गायें ही सर्वश्रेष्ठ है।

माँ पंचगव्य अनुसंधान केंद्र प्रमुख आर्य प्रमोद नें बताया कि, विदेशी नस्ल की जर्सी एचएफ काऊ के दूध में बीटा केफीन है जो कि एक धीमा जहर है। इसका सेवन गंभीर रोगों को जन्म देता है। जर्सी एचएफ नस्ल के दूध के साथ ही इसका मल मूत्र भी औषधीय गुणों से रहित है। जानकार विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने इसे पूतना काऊ का नाम दिया है।

ज्ञात हो कि माँ पंचगव्य अनुसंधान केन्द्र लीटिया राजनांदगांव द्वारा विगत 10 वर्षों से देशी गोवंश को उनके धार्मिक व वैज्ञानिक महत्ता के साथ प्रतिष्ठित करने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। यहाँ देशी गोवंश के गोवर गोमूत्र से विभिन्न दैनिक उपयोगी वस्तुओं व जीवन रक्षक औषधियों का निर्माण किया जा रहा है।

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