जैन समाज के गौरव ज्ञानचंद मुणोत का असामयिक निधन जैन समाज के लिए अपूरणीय क्षति-साध्वी बिन्दुप्रभा

जैन समाज के गौरव ज्ञानचंद मुणोत का असामयिक निधन जैन समाज के लिए अपूरणीय क्षति-साध्वी बिन्दुप्रभा


बागबाहरा(अमर छत्तीसगढ़)राजस्थान से पैदल उग्र विहार करके छत्तीसगढ़ के धमतरी नगर में चातुर्मास करने हेतु पधारे जयगच्छ समुदाय के जैन साध्वी डॉ.बिन्दुप्रभा श्री जी का बागबाहरा नगर में मंगलमय पदार्पण हुआ। उनके सानिध्य में जैन स्थानक भवन, बागबाहरा में दिनांक 10 मई को धर्म सभा का आयोजन किया गया। धर्मसभा के माध्यम से भगवान महावीर के सिद्धांतों का विश्लेषण करते हुए जैन समुदाय के लोगों को उन्होंने संबोधित किया।

उन्होंने अपने प्रवचन में श्रोता के तीन प्रकार बताएं पहला श्रोता वह होता है जो एक कान से सुनकर दूसरे कान से बातों को निकाल देता है, दूसरा श्रोता वह होता है जो एक कान से बातों को सुनता है एवं अपनी जुबान से उन बातों को दूसरे के समक्ष प्रकट कर भूल जाता है एवं तीसरा श्रोता वह होता है जो कानों से सुन कर उन बातों को अपने हृदय में धारण कर लेता है।

उन्होंने कहा हम सभी को तीसरा नंबर का श्रेष्ठ श्रोता बनकर भगवान एवं महापुरुषों की वाणी को सुनने पढ़ने के पश्चात हृदय में धारण कर उसे आचरण में उतारने प्रयास करना चाहिए। धर्मसभा में प्रवचन के पश्चात साध्वी जी ने कुछ दिनों पूर्व जैन समाज के दानवीर एवं समर्पित श्रावक ज्ञानगच्छ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ज्ञानचंद मुणोत, चेन्नई के असामयिक निधन पर उनके विराट एवं धर्ममय व्यक्तित्व को सभी के समक्ष रखते हुए श्रद्धांजलि व्यक्त की। धर्मसभा में उपस्थित उगम जैन, राजिम नितिन जैन, कोमाखान एवं सज्जन राज जैन बागबाहरा ने अपने संघों की तरफ से स्व.मुणोत जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उपस्थित जयगच्छ के पदाधिकारियों के द्वारा स्थानाकवासी संघ के अध्यक्ष नरेश चौरड़िया का समाज में उनके सहयोग सहभागिता हेतु अभिनंदन किया गया।

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