प्रवचन से प्रभावित होकर अनेक सगे भाइयों और देवरानी जेठानी ने एक-दूसरे को लगाया गले, माहौल हुआ भावपूर्ण
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़), 28 जून। राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि किसी भी घर की ताकत दौलत और शोहरत नहीं, प्रेम और मोहब्बत हुआ करती है। प्रेम के बिना धन और यश व्यर्थ है। जिस घर में प्रेम है, वहाँ धन और यश अपने आप आ जाता है। उन्होंने कहा कि जहां सास-बहू प्रेम से रहते हैं, भाई-भाई सुबह उठकर आपस में गले लगते हैं और बेटे बड़े-बुजुर्गों को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हैं, वह घर धरती का जीता-जागता स्वर्ग होता है। उन्होंने कहा कि अगर भाई-भाई साथ है तो इससे बढ़कर माँ-बाप का कोई पुण्य नहीं है, और माँ-बाप के जीते जी अगर भाई-भाई अलग हो गए तो इससे बढ़कर उस घर का कोई दोष नहीं है।
संतप्रवर श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ द्वारा सदर बाजार स्थित जैन बगीचा में आयोजित चार दिवसीय जीने की कला प्रवचन माला के तीसरे दिन हजारों श्रद्धालुओं को घर को कैसे स्वर्ग बनाएं विषय पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि अगर आप संत नहीं बन सकते तो सद्गृहस्थ बनिए और घर को पहले स्वर्ग बनाइए। जो अपने घर-परिवार में प्रेम नहीं घोल पाया वह भला समाज में क्या प्रेम रस घोल पाएगा? जो अपने सगे भाई को सहारा बनकर ऊपर उठा न पाया, वह समाज को क्या ऊपर उठा पाएगा? मकान, घर और परिवार की नई व्याख्या देते हुए संतश्री ने कहा कि ईंट, चूने, पत्थर से मकान का निर्माण होता है, घर का नहीं। जहाँ केवल बीबी-बच्चे रहते हैं वह मकान घर है, पर जहाँ माता-पिता और भाई-बहिन भी प्रेम और आदरभाव के साथ रहते हैं वही घर परिवार कहलाता है। चुटकी लेते हुए संतश्री ने कहा कि लोग सातों वारों को धन्य करने के लिए व्रत करते हैं, अच्छा होगा वे आठवां वार परिवार को धन्य करे, सातों वार अपने आप सार्थक हो जाएंगे।
राष्ट्र-संत ने कहा कि हम केवल मकान की इंटिरियर डेकोरेशन पर ही ध्यान न दें, अपितु मकान में रहने वाले लोगों के बोलचाल और बर्ताव सब कुछ सुन्दर हो। उन्होंने माता-पिता को बुढ़ापे में सम्हालने की सीख देते हुए कहा कि जीवन भर वे हमारा पालन पोषण करते हैं, हममें ही अपना भविष्य देखते हैं अपनी सारी शक्ति और औकात हमारे लिए लगाते हैं, अगर वे सरकारी कर्मचारी हैं, तो रिटायर्ड होने पर आने वाली एक मुश्त राशि भी हम पर खर्च करते हैं और मरने के बाद भी अपना सारा धन और जमीन जायजाद बच्चों के नाम करके जाते हैं और स्वर्ग चले जाएँ, तो भी वहाँ से आशीर्वाद का अमृत अपने बच्चों पर बरसाते हैं।
राष्ट्र-संत ने हर श्रद्धालु को पारिवारिक प्रेम के प्रति मॉटिवेट करते हुए कहा- अकेले हम बूँद हैं, मिल जाएँ तो सागर हैं। अकेले हम धागा हैं, मिल जाएँ तो चादर हैं। अकेले हम कागज हैं, मिल जाएँ तो किताब हैं। अकेले हम अल्फाज हैं, मिल जाएँ तो जवाब हैं। अकेले हम पत्थर हैं, मिल जाएँ तो इमारत हैं। अकेले हम हाथ हैं, मिल जाएँ तो इबादत हैं।
घर को मंदिर बनाने की प्रेरणा देते हुए संतश्री ने कहा जहां हम आधा-एक घंटा जाते हैं, उसे तो मंदिर मानते हैं, पर जहाँ 23 घंटे रहते हैं उस घर को मंदिर क्यों नहीं बनाते हैं। उन्होंने कहा कि घर का वातावरण ठीक नहीं होगा तो मंदिर में भी मन में शांति नहीं रहेगी पर हमने घर का वातावरण अच्छा बना लिया तो हमारा घर-परिवार ही मंदिर-तीर्थ बन जाएगा।
संतश्री ने कहा कि घर का हर सदस्य संकल्प ले कि वह कभी किसी का दिल नहीं दुरूखाएगा। हम किसी के आँसू पौंछ सकते हैं तो अच्छी बात है, पर हमारी वजह से किसी की आँखों में आँसू नहीं आने चाहिए। अगर हमारे कारण माता-पिता की आँखों में आँसू आ जाए तो हमारा जन्म लेना ही बेकार हो गया। उन्होंने कहा कि हमसे धर्म-कर्म हो तो अच्छी बात है, पर ऐसा कोई काम न करें कि जिससे घर नरक बन जाए।
घर को स्वर्ग बनाने के लिए संतश्री ने कहा कि घर के सभी सदस्य एक-दूसरे के काम आए। घर में सब आहूति दें। घर में काम करना यज्ञ में आहूति देने जितना पुण्यकारी है। संतश्री ने घर को स्वर्ग बनाने के सूत्र देते हुए कहा कि घर के सभी सदस्य साथ में बैठकर खाना खाएं, एक-दूसरे के यहाँ जाएं, सुख-दुरूख में साथ निभाएं, स्वार्थ को आने न दें, भाई-भाई को आगे बढ़ाए, सास-बहू जैसे शब्दों को हटा दें। जब बहू घर आए तो समझे बेटी को गोद लिया है और बहू ससुराल जाए तो सोचे मैं माता-पिता के गोद जा रही हूँ।
प्रवचन से प्रभावित होकर जब अनेक सगे भाइयों और देवरानी जेठानी आने एक दूसरे को आपस में गले लगाया तो माहौल भावपूर्ण हो गया। इस दौरान संत प्रवर ने आओ कुछ ऐसे काम करें जो घर को स्वर्ग बनाएं, जो टूट गए हमसे रिश्ते उनमें हम सांध लगाएं…भजन गुनगुनाया तो श्रद्धालु आनंद विभोर हो गए।
इस दौरान डॉ मुनि शांतिप्रिय सागर ने कहा कि
गुस्सा इंसान को बर्बादी की तरफ ले जाता है। गुस्से में अगर नौकरी छोड़ोगे तो करियर बर्बाद होगा, मोबाइल तोड़ोगे तो धन बर्बाद होगा, परीक्षा न दोगे तो वर्ष बर्बाद होगा और पत्नी पर चिल्लाओगे तो रिश्ता खराब होगा क्योंकि गुस्सा हमारा मुंह खोल देता है पर आंखें बंद कर देता है। यह पागलपन से शुरू होता है और प्रायश्चित पर पूरा होता है। उन्होंने कहा कि गुस्सा करने से पहले सौ बार सोचें, इससे लाभ नहीं नुकसान ही होना है। जो काम रुमाल से निपट सकता है भला उसके लिए रिवाॅल्वर का उपयोग क्यों किया जाए।
उन्होंने कहा कि गुस्सा आ भी जाए तब भी वाणी पर नियंत्रण रखने की कोशिश कीजिए नहीं तो आप हानि उठाएंगे। मां के पेट से निकला बच्चा और मुंह से निकले बोल वापस कभी अंदर नहीं जाते। उन्होंने कहा कि अगर गुस्सा करना ही है तो किसी को सुधारने के लिए करें, अहंकार जताने या किसी को नीचा दिखाने के लिए गुस्सा ना करें।
गुस्से को जीतने के टिप्स देते हुए उन्होंने कहा कि विरोध के वातावरण में भी मुस्कान को तवज्जो दीजिए, गुस्से को जीतने के लिए क्रोध के वातावरण से दूर रहिए, मौन का अभ्यास बढ़ाइए, सकारात्मक व्यवहार कीजिए, विनोदी स्वभाव के मालिक बनिए, सप्ताह में 1 दिन क्रोध का उपवास अवश्य कीजिए। अगर आप शांति के वातावरण में क्रोध करते हैं तो दुनिया की नजर में आप उग्रवादी कहलाएंगे वहीं यदि क्रोध के वातावरण में भी आप शांत रहेंगे तो किसी देवदूत की तरह पहचाने जाएंगे।
कार्यक्रम में श्रीमती राजा देवी सुरजन, विट्ठल दास सुरजन, प्रवीण कुमार सिंघवी, प्रमोद कुमार सिंघवी, संकेत कुमार सिंघवी, भंडेरा परिवार द्वारा सभी श्रद्धालुओं को अमृत वचन के कैलेंडर और साहित्य की प्रभावना दी गई। गुरुजनों ने दोनों परिवार को आशीर्वाद दिया और श्री संघ द्वारा उनका अभिनंदन किया गया।
कार्यक्रम में संघ अध्यक्ष नरेश डाकलिया, रिद्धकरण जैन, राजेंद्र कोटडिया, गौतम कोठारी, रोशन गोलछा, डॉक्टर पुखराज बाफना, डॉक्टर नरेंद्र गांधी, पुरुषोत्तम ठक्कर,विमल हाजरा, तोरण सिंह चौहान, लख्मीचंद आहूजा, राधा वल्लभ राठी, नरेंद्र लोहिया, भंवर लाल लालवानी, धूल चंद्र दुगढ़ , सुभाष लालवानी, संजय चोपड़ा, उम्मेद चंद कोठारी, इंदर चंद कोठारी, ज्ञानचंद बाफना, मूलचंद भंसाली, संतोष लालवानी, ज्ञान चंद कोठारी विशेष रूप से उपस्थित थे।
बुधवार को होंगे अंतिम प्रवचन और सत्संग, युवा पीढ़ी को मिलेगा विशेष मार्गदर्शन – जैन बगीचा में बुधवार को सुबह 9:00 बजे संत प्रवर के अंतिम प्रवचन और सत्संग होंगे जिसमें युवा पीढ़ी के संस्कार निर्माण पर विशेष मार्गदर्शन दिया जाएगा।सकल जैन श्री संघ के अध्यक्ष नरेश डाकलिया ने बताया कि सनसिटी में बुधवार से दो दिवसीय प्रवचन होगा ।श्री डाकलिया ने बताया कि राष्ट्र संतों के जैन बगीचा से बुधवार की शाम को 3: 30 बजे सनसिटी के लिए मंगल विहार होगा। शाम 5:00 से 6:00 बजे तक उनके प्रवचनों का सनसिटी प्रांगण में आयोजन होगा। गुरुवार को सुबह 9:00 से 10:30 तक सनसिटी में आओ जीवन को स्वर्ग बनाए विषय पर विराट प्रवचन कार्यक्रम का आयोजन होगा।