राष्ट्रीय संत ललित प्रभ एवं शांति प्रभ सागर महाराज का हर्ष एवं उल्लास के साथ  दुर्ग आगमन  ……..जीवन नवनिर्माण एवं जीवन जीने की कला पर चार दिवसीय प्रवचन

राष्ट्रीय संत ललित प्रभ एवं शांति प्रभ सागर महाराज का हर्ष एवं उल्लास के साथ दुर्ग आगमन ……..जीवन नवनिर्माण एवं जीवन जीने की कला पर चार दिवसीय प्रवचन

दुर्ग (अमर छत्तीसगढ़) राष्ट्रीय संत श्री ललित प्रभ एवं शांति प्रभ सागर महाराज का हर्ष एवं उल्लास के वातावरण में चार दिवसीय प्रवास पर दुर्ग आगमन हुआ । आज बड़ी संख्या में सकल जैन समाज के सदस्य बड़ी संख्या में गुरुदेव श्री आगवानी करने उपस्थित थे । गाजे बाजे के साथ सकल जैन समाज, मूर्ति पूजक संध, एवं खतरगक्ष युवा परिषद् के सदस्य भगवान महावीर के जय घोष और जैन धर्म की जय जयकार के जय घोष के साथ गुरुदेव श्री की आगवानी कर रहे थे
नमस्कार परिसर पुलगांव चौक दुर्ग से ऋषभ कालोनी ग्राउंड तक उनका स्वागत अभिनंदन करते हुए लाया गया जहां उनकी दिव्य प्रवचन श्रृंखला प्रारंभ हुई ।

सकल जैन समाज के बैनर तले आयोजित प्रवचन श्रृंखला में जीवन नवनिर्माण एवं जीवन जीने की कला पर चार दिवसीय प्रवचन केंद्रित रहेगा

जैन धर्म गुरु संत श्री ललित प्रभ धर्म सभा को संबोधित करते कहा छत्तीसगढ़ की पावन भूमि में हमारा प्रथम बार आगमन हुआ है हम छतीसीकोम सभी धर्म मजहब के लोगों को जगाने आए हैं इस जागरण लिए आप सभी का सहयोग अपेक्षित है छत्तीसगढ़ की लोगों की भाव भक्ति देख कर हम अभीभुत है भाव विभोर हैं हमें तो छत्तीसगढ़ की भूमि पर 36 वर्ष पूर्व ही आ जाना चाहिए था ।

संत श्री ने कहा जीवन में सुख दुख मेहमान की तरह होते जो लंबे समय तक जीवन में नहीं रहते ऐसे समय मे धैर्य का परिचय देते हुए जीवन को समता भाव में जीना चाहिए
हमें अपने जीवन के अंदर इंसानियत के भाव रखना चाहिए हम संत बाद में इंसान पहले हे इंसान को इंसान समझते हुए जीवन को जिया जाना चाहिए

उन्होंने प्रवचन श्रृंखला में आगे कहा
पैर में पड़ी मोच और इंसान की छोटी सोच आगे बढ़ने में बाधक हे
राष्ट्र-संत श्री ललितप्रभ सागर जी महाराज ने कहा कि दुनिया में अच्छाइयाँ भी हैं और बुराइयाँ भी। आपको वही नज़र आयेगा जैसा आपका नज़रिया है। अच्छी दुनिया को देखने के लिए नज़ारों को नहीं, नज़रिये को बदलिए। हम केवल अच्छे लोगों की तलाश मत करते रहें, वरन खुद अच्छे बन जाएं। ताकि हमसे मिलकर शायद किसी की तलाश पूरी हो जाए। उन्होंने कहा कि लोग कहते हैं जब कोई अपना दूर चला जाता है तो तकलीफ होती है। परंतु असली तकलीफ तब होती है जब कोई अपना पास होकर भी दूरियाँ बना लेता है। याद रखें, किसी को सजा देने से पहले दो मिनट रुकि ये। याद रखिये, अगर आप किसी की एक गलती माफ करेंगे, तो भगवान आपकी सौ गलतियाँ माफ करेगा। गलती जिंदगी का एक पेज है, पर रिश्ते जिंदगी की किताब। जरूरत पडऩे पर गलती का पेज फाड़िए, एक पेज के लिए पूरी किताब फाडऩे की भूल मत कीजिए। उन्होंने कहा कि बड़ी सोच के साथ दो भाई 40 साल तक साथ रह सकते हैं वहीं छोटी सोच उन्हीं भाइयों को 40 मिनट में अलग कर सकती है। भाई के प्रति हमेशा बड़ी सोच रखिए, क्योंकि दुख-दर्द में वही आपका सबसे सच्चा मित्र साबित होगा।

याद रखें, पैर में मोच और दिमाग में छोटी सोच आदमी को कभी आगे नहीं बढऩे देती। कदम हमेशा सम्हलकर रखिए और सोच हमेशा ऊँची।

संतप्रवर शनिवार को सकल जैन समाज द्वारा जिला कचहरी के पीछे स्थित ऋषभ नगर मैदान में आयोजित चार दिवसीय जीने की कला प्रवचन माला के प्रथम दिन हजारों श्रद्धालुओं को सकारात्मक सोचने की कला सिखाते हुए संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि एक मिनट में ज़िंदगी नहीं बदलती, पर एक मिनट में सोचकर लिया गया फैसला पूरी ज़िंदगी बदल देता है। केवल किस्मत के भरोसे मत बैठे रहिये। जीवन में योग्यताओं को हासिल कीजिए। किस्मत से कागज तो उड़ सकता है, पर पतंग तो काबिलियत से ही उड़ेगी। भाग्य हाथ की रेखाओं में नहीं अपितु व्यक्ति के पुरुषार्थ में छिपा है। इस दुनिया में नसीब तो उनका भी होता है जिनके हाथ नहीं होते। हार और जीत हमारी सोच पर निर्भर है। मान लिया तो हार और ठान लिया तो जीत।
उन्होंने कहा कि जीवन में आगे बढऩे के लिए आत्मविश्वास जगाइये। खाली बोरी कभी खड़ी नहीं रह सकती और तकिये से कभी कील ठोकी नहीं जा सकती। जो लोग अपने हाथों का उपयोग हाथ पर हाथ रखने के लिए करते हैं, वे हमेशा खाली हाथ ही बैठे रहते हैं। भाग्य की रेखाएँ चमकाने के लिए लक्ष्य के साथ मेहनत कीजिए, आप पाएँगे आपकी किस्मत केवल चार कदम दूर थी। उन्होंने कहा कि भाग्य को हरा-भरा रखने के लिए सदा सत्कर्म का पानी डालते रहिये। आखिर हरी घास तभी तक हरी रहेगी, जब तक उसे पानी मिलता रहेगा। जीवन में केवल लाभ ही मत कीजिए कभी उसे पलट कर लोगों का भला भी कीजिए।
उन्होंने ने कहा कि जीवन बांसुरी की तरह है, जिसमें बाधाओं रूपी कितने भी छेद क्यों ना हों ,लेकिन जिसको उसे बजाना आ गया, समझ लीजिए उसी जीना आ गया। उन्होंने कहा कि लोग कैसा जीवन जीते हैं उसे देख कर मत जियो, बल्कि जैसा जीवन जीना श्रेष्ठ होता है वैसा जिओ ।अच्छा जीवन तो खुद को भी अच्छा लगता है और दूसरों को भी।
उन्होंने कहा कि जीवन को सुकून भरा बनाने के लिए 5 मंत्र अपने साथ जोड़ सकते हैं। पहला है विचार शैली को पॉजिटिव बनाएं ताकि आपके व्यवहार में हमेशा माधुर बना रहे।दूसरा जीवन में जो मिल रहा है उसका स्वागत कीजिए शिकायत मत कीजिए क्योंकि शिकायत आपके मन को हमेशा दुखी करती रहेगी। तीसरा जीवन में संतुष्ट रहने की आदत डालिए दुनिया में किसी को क्या मिल रहा है यह देख कर अपने मन को निराश करने की वजह एक बात हमेशा याद रखिए कि भगवान ने जो दिया है वह भाग्य से ज्यादा दिया है।
चौथा सूत्र देते हुए संत श्री ने कहा कि मुस्कुराने के अवसर हमेशा तलाश थी रहिए मुस्कुराता हुआ इंसान जहां रहता है वही स्वर्ग होता है। पांचवा मंत्र देते हुए उन्होंने कहा कि जिंदगी में कभी लोग ना लें और जो प्राप्त है वह पर्याप्त है अगर यह बातें हमारे जीवन में उतर जाती हैं तो हम मानसिक रूप से तो स्वस्थ रहेंगे ही और हमारा जीवन स्वर्ग और सुकून से भर जाएगा
इससे पूर्व राष्ट्रसंत श्री ललितप्रभ सागर जी और डॉ. मुनि शांतिप्रिय सागर जी महाराज के मंगल आगमन पर धर्म संघ की बहनों ने अक्षत उछाल कर गुरुजनों का स्वागत किया।
कार्यक्रम में नगर विधायक अरुण वोरा, नगर महापौर धीरज बाकलीवाल, सकल जैन समाज के अध्यक्ष मदन जैन, ओसवाल पंचायत के अध्यक्ष गौतम चंद बोथरा, दिगंबर समाज के अध्यक्ष ज्ञानचंद पाटनी, केवल्य धाम ट्रस्ट अध्यक्ष धर्मचंद लुनिया, नगपुरा तीर्थ के ट्रस्टी मूलचंद लुनिया, मूर्तिपूजक संघ के अध्यक्ष महेंद्र दुगढ़, कोषाध्यक्ष गौतम चंद टाटिया, नगर सभापति राजेश यादव, जिला भाजपा अध्यक्ष जितेंद्र वर्मा, जिला भाजपा महामंत्री ललित चंद्राकर, राजनांदगांव संघ अध्यक्ष नरेश डाकलिया के साथ संघ के अनेक विशेष सदस्य विशेष रूप से उपस्थित थे।
मंच संचालन और संतों का स्वागत आभार अध्यक्ष महेंद्र दुग्गढ़ ने किया।

रविवार को सुबह 9:00 बजे ऋषभ नगर मैदान में होंगे विशेष प्रवचन और सत्संग – सुबह 9:00 बजे ऋषभ नगर मैदान में आओ कमाएं दुआओं की दौलत विषय पर विशेष प्रवचन और सत्संग का आयोजन होगा जिसमें युवा पीढ़ी को जीवन जीने का शानदार पाठ पढ़ाया जाएगा जो कि उनके भविष्य के लिए यादगार पल होंगे।

जिंदगी ना बन जाए बला आओ सीखें जीवन जीने की कला

यह मानव जीवन अनमोल जीवन है इस जीवन को सकारात्मकता के साथ जीना चाहिए सकारात्मकता के भाव हमेशा सुख प्रदान करते हैं नकारात्मकता हमें निराश करती है और दुख पहुंचाती हे
मुनि श्री ने आगे कहा पुराने जमाने में लोगों के घर छोटे होते थे और रहने वालों की संख्या अधिक होती हे और उनका दिल बड़ा होता था सबको अपने दिल में बसा लेते थे आज लोगों के घर जरूर बड़े हो गए हैं लेकिन दिल में जगह का अभाव हो गया है अपनापन और अपनत्व के भाव समाप्त हो चुके हैं

सकल जैन समाज के आग्रह को स्वीकार करते हुए मुनि श्री ने अपना एक दिन का और समय सकल जैन समाज को प्रदान किया
2 जुलाई से 5 जुलाई तक जीवन जीने की प्रवचन श्रृंखला अब शाम 9:00 बजे से 10:30 बजे तक ऋषभ कॉलोनी ग्राउंड में चलेगी

धर्म सभा के कार्यक्रम का संचालन महेंद्र दुग्गड ने किया
सकल जैन समाज के अध्यक्ष मदन जैन ने सभी धर्म संप्रदाय के लोगों से प्रवचन सभा में उपस्तिथि का निवेदन किया है

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