विश्व शांति एवं सभी की मंगल कामना के अनुष्ठान के पांचवे दिन मंत्रोच्चार के साथ 128 अर्घ चढ़ाए गए….. सत्कर्म से अच्छी भोग सामग्री प्राप्त होती है और दुष्कर्म करने से शरीर रोगग्रस्त, संतान आचरणहीन और परिवार में होते हैं झगड़े – विधानाचार्य पंकज

विश्व शांति एवं सभी की मंगल कामना के अनुष्ठान के पांचवे दिन मंत्रोच्चार के साथ 128 अर्घ चढ़ाए गए….. सत्कर्म से अच्छी भोग सामग्री प्राप्त होती है और दुष्कर्म करने से शरीर रोगग्रस्त, संतान आचरणहीन और परिवार में होते हैं झगड़े – विधानाचार्य पंकज

बिलासपुर (अमर छत्तीसगढ़) श्री 1008 आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर क्रांतिनगर जैन मंदिर में सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन बड़े ही भक्ति और उत्साह के साथ चल रहा है। सुबह श्रद्धालुओं की उपस्थिति में श्री जी का अभिषेक इसके बाद शांतिधारा और पूजन की जाती है।

बिलासपुर जैन सभा के अध्यक्ष वीर कुमार जैन ने बताया कि पूजन के बाद सिद्धचक्र महामंडल विधान का पाठ प्रारंभ होता है और इंद-इंद्राणी मण्डल पर जाकर श्रीफल के साथ अर्घ्य समर्पित करते हैं। संध्याकालीन बेला में श्रीजी की आरती की जाती है। इसके बाद बाल ब्रह्मचारी पंकज भैया द्वारा शास्त्र प्रवचन किए जाते हैं। विद्वानों ने इस विधान को लघु समयसार कहा है। दिगम्बर जैन श्रमण संस्कृति की महान परंपरा के अनुसार अष्टान्हिका पर्व में पंच-परमेष्ठी की पूजा,आराधना करने का एक विशेष महत्व होता है।

अध्यक्ष श्री जैन ने बताया कि अष्ठानिका महापर्व के पावन पुनीत अवसर पर बिलासपुर में विगत वर्ष भी श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन किया गया था। बिलासपुर जैन समाज से सैकड़ों लोग इस धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हो रहे हैं। इस वर्ष के श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान में स.सि. प्रवीण शकुन जैन को राजा श्रीपाल मैनासुंदरी, स.सि. विशाल रेशू जैन को सौधर्म इन्द्र, सुकुमार सरिता जैन को धनपति कुबेर, डॉ. पी.सी. वासल रजनी वासल को महायज्ञ नायक, चौ. सुभाष जैन को यज्ञ नायक, शैलेष शालिनी सिंघई को ईशान इन्द्र, कैलाश चंद मंगला जैन को सनत कुमार इन्द्र, देवेन्द्र सुमनलता जैन को माहेन्द्र इन्द्र, भूपेन्द्र संगीता चंदेरिया को व्रद इन्द्र, डॉ. अरिहंत स्वाति जैन को लान्तव इन्द्र, अरूण आशा जैन को शुक्र इन्द्र, दीपक प्रतिमा जैन को सतारेन्द्र, राजेश संध्या जैन को आणत और राकेश सुनीता जैन को प्राणत इन्द्र बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

श्री 1008 सिद्धचक्र महामंडल विधान के ध्वजारोहण का सौभाग्य स.सि. प्रमोद सविता जैन परिवार को प्राप्त हुआ। इस पूरे आयोजन के द्रव्य दाता स.सि. विनोद रंजना जैन परिवार हैं। इस अनुष्ठान के पांचवें दिन मुख्य पात्र के अलावा आज शांतिधारा करने का सौभाग्य डॉ. पी.सी. वासल, मुकेश जैन, चौधरी सुभाष जैन, संदीप जैन, अरविन्द जैन, धन्य कुमार सुप्रीत जैन के परिवार को प्राप्त हुआ।

विश्व शांति एवं सभी की मंगल कामना के साथ प्रारम्भ हुए इस अनुष्ठान के पांचवे दिन मंत्रोच्चार के साथ 128 अर्घ चढ़ाए गए, विधानाचार्य पंकज भैया द्वारा पूजा में चढ़ाए गए अर्घ्यों का अर्थ विस्तार पूर्वक बताया गया। विधान के दौरान विधानाचार्य जी ने बताया कि कर्म मूलतः आठ होते हैं, जिनके कारण संसारी जीव सत्कर्म और असत्यकर्म करता है। सत्कर्म अच्छी भोग सामग्री प्राप्त होती है और दुष्कर्म करने से शरीर रोगग्रस्त, संतान आचरणहीन और परिवार में झगड़े होते हैं, कुल मिलाकर अशुभ चीज़ों की प्राप्ति होती है। भगवान् के दरबार में जो भी सिद्ध चक्र महामण्डल विधान को श्रद्धा भक्ति के साथ आयोजित करता है वह सदैव सुख सम्पत्ति और वैभव को प्राप्त करता है। उन्होंने कहा कि जैन अनुष्ठानों में इस विधान का स्थान सर्वोपरि है। इस अनुष्ठान को करने वाला, कराने वाला या रंच मात्र भी सहयोग करने वालों को ऐसा पुण्य लाभ होता है जो कभी कम अथवा नष्ट नहीं होता। विधानाचार्य जी ने कहा कि जैन धर्म समेत लगभग सभी धर्मों में चक्र का विशेष महत्व है। यह धर्म चक्र तीर्थंकरों के आगे-आगे चलता है, इसलिए अंतरात्मा के साथ श्रद्धापूर्वक पूजा करने से अलौकिक पुण्य को प्राप्त कर अपने जीवन को धन्य बना सकते हैं।

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