रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। न्यू राजेंद्र नगर महावीर जिनालय में चल रहे चातुर्मासिक प्रवचन में ‘मग्नता कैसे प्राप्त हो’ विषय पर साध्वी स्नेहयशाश्रीजी ने सोमवार को संबोधन दिया। उन्होंने कहा कि जैसे बिना टिकट ट्रेन में यात्रा करने से मन में डर रहता है कि कब टीटी आ जाए, कहीं वह चेक ने कर ले, बिना टिकट पकड़ा गया तो कहीं जेल में ना डाल दे। भले ही टीटी आए या नहीं आए तो भी आपके मन में यह डर बना रहता है। ऐसे ही काम की चोरी होती है। आपको किसी ने कोई काम करने कहा और आपने किसी कारण से वह काम नहीं किया तो इसे काम की चोरी कहते है। दुकानदार, दुकान में माल देने के दौरान नापतौल में गड़बड़ी कर चोरी करता है, कई बार लोग नोटों की गड्डी देते हैं और उसमें से एक-दो नोट निकाल लेते हैं, यह भी चोरी है।
साध्वी जी कहती है कि अपने बच्चे और दूसरे के बच्चे को कुछ खिलाने के दौरान जो प्यार अपने मन में अपने बच्चे के प्रति रहता है, वह दूसरों के बच्चों के प्रति नहीं होता। यह भी चारी है। दूसरों के दुकान के नाम से धंधा करना, दूसरों की पहचान बताकर अपना काम करवाना, पिताजी के नाम पर लोन लेना भी चोरी के समान है। इस चोरी को व्यसन में ना बदलने दें। छोटी-छोटी चाेरी किस दिन बड़ी हो जाए यह आपको पता भी नहीं चलेगा और आपको सब सही लगेगा। एक स्कूल जाने वाला बच्चा भी अपने बैग में कुछ ना कुछ घर लेकर आता है। यह अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि उसके बैग को रोज चेक करें कि कहीं वह किसी दूसरे बच्चे की पेन-पेंसिल तो लेकर नहीं आ रहा है। अगर वह ऐसा करता है तो उसे आप को रोकना होगा, नहीं रोकने पर उसके हौसले बुलंद हो जाएंगे।
आपने अंदर मग्नता लाओ
‘मग्नता कैसे प्राप्त हो’ विषय पर साध्वी जी कहती है कि जितना हम बाहर से अंदर की ओर जाएंगे, जितना हम पर से स्व की ओर जाएंगे उतनी ही हमारी विकास यात्रा क्रमशः आगे बढ़ती जाएगी। विकास यात्रा पूरी करने के लिए हमें मग्नता चाहिए। वास्तव में हम पुदगल से प्रेम करते है। अब तक बाहर कर रंग और उसका राग हमें प्रिय है। बाहर जो हमें प्रतीत होता है, हम उसी में डूबते जाते हैं। यह मृग की नाभि में छुपा हुआ कस्तूरी के समान है। कस्तूरी की गंध सूंघकर उसे पाने के लिए मृग इधर-उधर दौड़ता है, उसे पता नहीं कि वह कस्तूरी उसके अंदर ही है। एक बार की बात है, पागलखाने में आग लग जाती है। इसे देख सभी पागल उसकी और आगे बढ़ने लगते हैं। वह देखते हैं कि आग तो बहुत अच्छी है, लाल और पीली कलर की है। इसे अपने पास लाएंगे और अपने कमरे में रखेंगे। ऐसा कर वो उसे पकड़ने जाते हैं। पागल खाने का वार्डन जब यह देखता है तो उन्हें मना करने जाता है और कहता है कि आग को छूओगे तो जल जाओगे। इस पर चार पागल वार्डन को धक्का देते हैं और उसे कहते हैं कि इससे अच्छी कोई दिवाली नहीं, तुम पागल हो हमें जाने नहीं दे रहे हो। अब आप ही बताइए पागल कौन है। जो सुख में झुलसने के लिए आगे आए वह सांसरिक पागल होता है। जिसे लगता है कि बाहर दिवाली है तो वह पागल है। एक बार अपने आप से प्रेम कर लो अब तक पर से प्रेम करते आए हो, तो दूसरे के लिए प्रेम जगा कर नहीं खुद के अंदर प्रेम जगाआे।
दोहरा जीवन मत जीयो
एक तोता पिंजरे में कैद था। उसके मालिक ने उसे सिखा रखा था की जब मैं तुम्हारा पिंजरा खोल दूं तो तुम्हें आसपास ही घूमना है और अगर इस बीच बिल्ली आ जाए तो उड़ जाना है। इस बात को उसने रट लिया और वह हमेशा यही कहता रहता कि बिल्ली आए तो उड़ जाना, बिल्ली आए तो उड़ जाना, बिल्ली आए तो उड़ जाना। एक दिन बिल्ली आई तो वह कहने लगा कि बिल्ली आए तो उड़ जाना। उसके बाद बिल्ली उसके पास आ गई फिर भी वह कहता रहा कि बिल्ली आए तो उड़ जाना और ऐसा कहते ही हुए बिल्ली ने उसके ऊपर झपट्टा मार दिया। ऐसा ही दोहरा जीवन आप जीते हैं। अंदर कुछ और होता है और बाहर कुछ और ही होता है। अभी तक हमारे अंदर एक बालक की तरह निर्दोषता नहीं आई है। उसके अंदर कोई गठान नहीं होता। वह किसी बात का गठान नहीं बांधता। साधुओं को भी निर्ग्रंथ कहा जाता है। निर्ग्रंथ यानी कोई गठान नहीं। गलती करने पर आप बच्चों को मारते हो, उसे चिमटी काटते हो, उन्हें चिमटे से जला देते हो, फिर भी मां से ही लिपट कर रोता है। यह गठानमुक्त जीवन साधु जीते हैं और उसे बरकरार रखने के लिए बड़ी-बड़ी साधनाएं भी करते हैं। बालक के पास यह चीज सहज ही है। जैसे गन्ने के गठान से रस नहीं निकलता, वैसे ही जीवन में अगर गठान लग जाए तो विकास मुश्किल हो जाता है। समुद्र के इस पार गठान अगर बांध कर रखा है और उस पार अगर मोक्ष है तो आप कैसे जा सकते हैं। आपको उलझना नहीं है नेचुरल रहना है। कोई पुरानी बात हो तो उसे कैलेंडर की तरह पलट दो।
कचरा निकलवाने हर दिन आपके घर आती है गाड़ी
आप रायपुरवासियों के घर के सामने हर दिन सुबह गाड़ी आती है और गाना चलाती है कि गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल। यह बहुत बड़ा संदेश देती है। आप हर दिन हर सुबह घर का कचरा निकालते हो लेकिन आपको इसके साथ खुद के अंदर का कचरा भी साफ करना है। मोर रायपुर स्वच्छ करना ही है लेकिन लोगों को भी अंतर्मन से स्वच्छ रहना है। जो बात कचरे के जैसी है उसे बाहर निकालो। जो बात कचरा फैला रही है उसे बाहर निकालो।
नेमिनाथ जन्मकल्याणक महोत्सव 2 को
नेमिनाथ भगवान का जन्मकल्याणक महोत्सव 2 अगस्त 2022 को प्रातः 8:00 बजे भव्य स्नान पूजा के साथ गुरुवर्याश्री की निश्रा में मनाया जाएगा। नेमिनाथ भगवान के माता-पिता बनने का रविवार को चढ़ावा बोला गया, जिसका लाभ श्रीमान सज्जन कुमार जी, शांति देवी, अजय जी, विजय जी, संजय जी कानूगा परिवार ने लिया। वहीं, 3, 4 और 5 अगस्त 2022 को पार्श्वनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक के निमित्त अट्ठम का आयोजन रखा गया है। जिसका संपूर्ण लाभ श्रीमान शिवराज जी, सरोज देवी, जय जी, विजय जी बेगानी परिवार ने लिया है।