राग से नहीं हमें वितराग से जुड़ना चाहिए
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 2 अगस्त। “हम भगवान के पास मांगते ही रहते हैं । हमारा मन कटोरा हो गया है। जब देने वाला देने के लिए पूर्ण रूप से तैयार बैठा है तो हम उनसे बेकार की चीजें क्यों मांगते रहते हैं ? मांगना ही है तो हमें उनसे मन की समाधि मांगनी चाहिए।”उक्त उद्गार आज समता भवन में अपने नियमित प्रवचन के दौरान जैन संत श्री हर्षित मुनि ने व्यक्त किए।
श्री हर्षित मुनि ने कहा कि हम मांगे बिना रह नहीं सकते। हमारा मन भटकते रहता है और हम उस पारलौकिक परमात्मा से बेकार की चीज मांगते रहते हैं। हकीकत तो यह है कि हमने भगवान से रिश्ता ही नहीं बनाया है। हमें परमात्मा से मांगना चाहिए कि हमारी सारी इच्छाएं खत्म हो और हम उनसे मिले। उन्होंने कहा कि ऐसा समय याद करें कि आपकी इच्छाएं पूरी होकर तरबतर हो गई हो और आपका मन भक्ति से एकाग्र हो, शायद ऐसा समय आया ना होगा। हम छोटी-छोटी इच्छाओ को लेकर रहते हैं। द्रौपदी ने चीरहरण के समय जब किसी ने साथ नहीं दिया तो उन्होंने उस पारलौकिक परमात्मा से संपर्क जोड़ा और परमात्मा ने उनकी लाज बचाई और उनकी रक्षा की। आप भी पारलौकिक परमात्मा से संपर्क जोड़ने की कोशिश करें।
संत श्री ने फरमाया कि हमारा मन इसलिए भटकता है क्योंकि हमने अपने आपको परमात्मा की भक्ति में तल्लीन नहीं किया। यदि परमात्मा से हमारे तार जुड़ते हैं तो हमें दुनिया की सुधबुध भी नहीं रहती है। उन्होंने कहा कि आपसे पहली बार कोई व्यक्ति सहायता मांगता है तो आप उसकी सहायता करते हैं क्या?, नहीं ना आप उसकी सहायता करते हैं जो आपसे जुड़ा हुआ हो, आप उसे पहले से जानते हो। इसी तरह आप परमात्मा से कुछ मांगते हैं तो आपका नंबर नहीं लगता क्योंकि पहले से ही कई लोग लाइन लगाकर मांगते रहते हैं। यदि प्रतिदिन आप कहे कि भगवान हमारी चिंता आप करें, मैं तो आपकी शरण में हूं। आप प्रार्थना पूरी तल्लीनता से करें तो उस पारलौकिक परमात्मा से आपके संपर्क अवश्य जुड़ेंगे और आप मन की समाधि प्राप्त कर पाएंगे।यह जानकारी विमल हाजरा ने दी।