रायपुर(अमर छत्तीसगढ़)। रायपुरवासी हर दिन शुबह अपने घर के सामने कचरे का डिब्बा निकाल कर रख देते हैं। फिर एक गाड़ी आती है जिसमें गाना बजता है- गाड़ी वाला आया घर से कचरा निकाल आैर वह उस डब्बे के कचरे को गाड़ी में लेकर चला जाता है। ऐसे ही हर सुबह आपको अपने मन की गंदगी को भी बाहर निकालना है।
साध्वीजी कहती है कि एक बार देवलोक में चर्चा होती है सबसे बड़ा, सबसे बुद्धिशाली और सबसे ताकतवर कौन।
इसे लेकर उनके बीच में विवाद हो जाता हैं। इस बीच एक देव बोलते हैं कि सबसे बड़ी गंगा मैया है वह सबके पाप धोती है। इस पर सभी देव गंगा मैया के पास पहुंच जाते हैं और कहते हैं कि मैया आप सबका पाप धोते हो, पर आप सबका पाप भी खुद ही रखते हो। गंगा मैया कहती है कि मैं कोई पाप अपने पास नहीं रखती, सारा पाप समुद्र के पास भेज देती हंू। सब समुद्र के पास जाते हैं और उनसे बोलते हैं कि तुम अपने अंदर पापों का संग्रह कर रहे हो यह गलत है। समुद्र कहता है मैं अपने अंदर कोई पाप नहीं रखता मैं उसे भाप बनाकर मेघ देवता इंद्र के पास भेज देता हूं। इस पर सब लोग इंद्रदेव के पास पहुंचते हैं और कहते हैं कि आपने सबका पाप रखा है इसीलिए आप काले हो चुके हो। इंद्र कहते हैं मैं किसी का पाप अपने अंदर नहीं रखता मैं बारिश करवाता हूं और सबको सबका बाप वापस बांट देता हूं। साध्वीजी कहती है कि ऐसे ही आप भी किसी का कचरा नहीं लेते तो किसी बात का गठान बांधने का क्या मतलब।
दो ज्ञानी मिले तो रस आये, अज्ञानी मिले तो माथाकूट
एक लड़का डॉक्टर के पास जाता है और कहता है कि मेरी आंख चेक कीजिए मुझे हर चीज डबल दिखाइए दे रही है। डॉक्टर ने बोला कौन सी वाली आंख। तो उसने बोला दोनों। डॉक्टर ने कहा किसे इसे या उसे, तुम दोनों में से किसे यह समस्या है। लड़का पूछा कि डॉक्टर आप किस से बात कर रहे हैं। डॉक्टर ने कहा मैं आप दोनों से पूछ रहा हूं कि परेशानी किसको है। तब वह लड़का समझ जाता है की डॉक्टर को भी वही बीमारी है जो मुझे है अब वह डॉक्टर इस बीमारी का इलाज कैसे कर सकते हैं जबकि वह खुद ही उस बीमारी से ग्रसित हो। दो ज्ञानी जानी जब मिल जाए तो रस आता है। और वही जब दो अज्ञानी मिले तो माथाकूट हो जाता है। जिसके दुकान में ज्यादा ग्राहक जिसकी दुकान सबसे बड़ी जिसके पास सबसे ज्यादा जगह है वह सबसे बड़ा दुकानदार है। बड़ा साधु कौन होता है। जिसके पास भीड़ ज्यादा है जिसके भक्त ज्यादा है पर साधु साध्वी चाहते हैं क्यों उनके पास सिलेक्टेड लोग आएं। एक बार दो साधु मिले और वह अपनी मस्ती में मस्त हैं लेकिन उनके पास रोज लोग उनसे मिलने आते थे उन्होंने सोचा कि दिन भर लोग आते हैं समय को वह समझते नहीं है कि कब साधु उनसे मिलने के लिए तैयार हैं और कब नहीं। उन्होंने सोचा कि हमें अपनी मस्ती में मस्त रहने का समय नहीं मिल रहा है। दोनों ने सोचा कि हम दोनों आहार के समय झगड़ा करेंगे और इससे देखकर लोगों को लगेगा कि यह सब कैसे हैं अब इनके पास नहीं आना है। ऐसा करके वह दोनों लड़ने लगे। एक रोटी के लिए दो सालों को झगड़ा करते देख भक्तों ने कहा कि ऐसा कौन सा साधु है जो एक रोटी के लिए झगड़ा कर रहे हैं और उन्हें देख वे उनके पास आना बंद कर देते हैं। ऐसा कर साधु अपनी मस्ती में मस्त रहते है।
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धूमधाम से मनाया गया नेमिनाथ जन्मकल्याणक महोत्सव
न्यू राजेंद्र नगर में मंगलवार को नेमिनाथ भगवान का जन्मकल्याणक महोत्सव सुबह 8 बजे भव्य स्नान पूजा के साथ गुरुवर्याश्री की निश्रा में मनाया गया। नेमिनाथ भगवान के माता-पिता बनने का रविवार को चढ़ावा बोला गया था, जिसका लाभ श्रीमान सज्जन कुमार जी, शांति देवी कानूगा ने लिया। मुख्य लाभार्थी श्री फूलचंद जी मानिया भाई लुणावत भाई रहे। वहीं, 3, 4 और 5 अगस्त 2022 को पार्श्वनाथ भगवान के मोक्ष कल्याणक के निमित्त अट्ठम का आयोजन रखा गया है। जिसका संपूर्ण लाभ श्रीमान शिवराज जी, सरोज देवी, जय जी, विजय जी बेगानी परिवार ने लिया है।