जैन संत का उपदेश – कोई भी कार्य पूरी तल्लीनता से करें
राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 4 अगस्त। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने आज यहां कहा कि वर्तमान आनंद लेने का है, लेकिन हम वर्तमान को भविष्य की चिंता में खो देते हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी कार्य पूरी तल्लीनता से करें तो उसमें सफल अवश्य होंगे।
स्थानीय गौरव पथ स्थित समता भवन में आज जैन संत श्री हर्षित मुनि ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि यह जीवन कुछ करने के लिए है। हम कोई भी कार्य फायदे के लिए नहीं बल्कि रस आ रहा है, इसलिए करते हैं। किसी भी कार्य को करने के लिए यह आवश्यक है कि हम वह कार्य पूरी तल्लीनता से करें। आत्मिक शांति भी तभी मिलती है जब भीतर आत्मविश्वास व श्रद्धा हो। भौतिक वस्तुएं हमें आत्मिक शांति नहीं दे सकती वह केवल बाहरी शांति ही देती है। वर्तमान आनंद लेने का होता है लेकिन हम उसे भी भविष्य की चिंता में खो देते हैं। वर्तमान ही धीरे-धीरे आगे बढ़कर भविष्य बनता है। उन्होंने कहा कि हम अपने मन को साधे तो धीरे-धीरे लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर लेंगे। मन में अगर विश्वास आ जाए और हम उसमें रम जाएं तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी। प्रभु का नाम स्मरण करने पर भी मन की समाधि पाई जा सकती है।
संत श्री ने फरमाया कि जब तक किसी कार्य के लिए अहो भाव नहीं होंगे तब तक वह कार्य सिद्ध नहीं होगा। उन्होंने कहा कि किसी कार्य में इतने तल्लीन हो जाए कि हमें उसका दृश्य सामने नजर आने लगे। परमात्मा का अनंत रूप हमारे सामने हो, ऐसा तल्लीन होकर ध्यान करें। किसी एक पद की साधना शुरू करें और उसे पूरी तल्लीनता के साथ करें। जब तक किसी कार्य को करने के लिए मन नहीं बनेगा तब तक वह कार्य पूरा नहीं होगा। कलह के समय मौन धारण करना चाहिए, ऐसा करने से कलह आगे बढ़ नहीं पाती और वह वही खत्म हो जाती है। हम समय ना देखें और अपना कार्य पूरी तल्लीनता से करें। चिंताएं तो घूमती रहती है, उसे मन में स्थान न दें। यह जानकारी एक विज्ञप्ति में विमल हाजरा ने दी।