मनुष्य का मन ही स्वर्ग और नर्कका कारण है – हर्षित मुनि

मनुष्य का मन ही स्वर्ग और नर्कका कारण है – हर्षित मुनि

बच्चे की मां के प्रति जैसी श्रद्धा होती है, वैसी श्रद्धा भगवान के प्रति हमारी भी हो

राजनांदगांव(अमर छत्तीसगढ़) 5 अगस्त। जैन संत श्री हर्षित मुनि ने आज यहां कहा कि मनुष्य का मन ही स्वर्ग और नर्क का कारण है। मन में अहो भाव आ जाता है तो व्यक्ति, दुख से दूर हो जाता है, मन आनंदित हो जाता है। किस व्यक्ति के मन में कब परिवर्तन आ जाए कुछ कहा नहीं जा सकता किंतु मन में अहो भाव अवश्य रखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जिस तरह बच्चे के मन में अपनी मां के प्रति श्रद्धा होती है और मां बिना बोले ही बच्चे के मन की बात समझ जाती है , उसी तरह हमारा भी भगवान के प्रति विश्वास और श्रद्धा होनी चाहिए।
गौरव पथ स्थित समता भवन में आज संत श्री हर्षित मुनि ने अपने नियमित प्रवचन में कहा कि चिंता को मिटाने के लिए प्रार्थना जरूरी है। विश्वास करना है तो पूरा तरह करो नहीं तो कुछ भी विश्वास मत करो। हम इस हाथ देकर उस हाथ से लेने पर विश्वास करते हैं। भगवान मेरे साथ है ऐसा विश्वास जिस व्यक्ति के पास होता है , उसका विश्वास कभी नहीं टूटता। अगर आपने विश्वास ही कमा लिया तो समझ जाओ आपका जीवन सफल हो गया। श्रद्धा के बलबूते तीर्थंकर बना जा सकता है।
श्री हर्षित मुनि ने फरमाया कि हर कार्य में कुछ न कुछ रहस्य रहता है। हमेशा यही सोचे कि जो भगवान चाहते हैं, वही होता है। हम यदि यही सोच कर चले तो हम कभी दुखी नहीं होंगे। भगवान सब कुछ कर देते हैं वो जानते हैं कि इस व्यक्ति की पसंद क्या है। इतने साधु साध्वी विचरण करते हैं आखिर वे किसके भरोसे विचरण करते हैं। उन्होंने कहा कि गुरुदेव से प्रश्न पूछे किंतु शंका से मत पूछिए। आप जिज्ञासा पूर्वक उनसे प्रश्न पूछे।

आपको गुरु के प्रति विश्वास होना चाहिए। चिंता मत करो, विश्वास रखो प्रभु रक्षा करने वाला बैठा है। ऐसी श्रद्धा जो बच्चों की मां के प्रति होती है, वैसी ही श्रद्धा आपकी भगवान के प्रति भी हो। यह मन है कुछ भी कर सकता है, कहीं भी जा सकता है जब तक यह सधेगा नहीं, तब तक इस पर नियंत्रण किया जाना मुश्किल ही है। यह जानकारी विमल हाजरा ने दी।

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